Friday, 21 September 2012

महिलाओं को यौन कर्म घृणित लगता है,जिम्मेदार पुरुष ही होते हैं!


तनिक सोचिये, सहवास (सेक्स) एक तरह से असहज कार्य नहीं है? -पसीना और उसकी दुर्गन्ध,लार,वीर्य -द्रव तथा और भी असहज स्थितियां ! एक सर्वे के मुताबिक़ बहुत से लोगों ख़ास कर आधी दुनिया के नुमायिन्दों को यह बहुत अनकुस(खराब) लगता है मगर वे फिर भी इसके लिए तैयार हो जाती हैं .आखिर क्यों? नीदरलैंड में इस विषय पर शोध किया गया है और एक रिपोर्ट टाईम पत्रिका ने प्रकाशित की है !
शोधार्थियों का अध्ययन बताता है कि सामान्यतः  महिलायें अगर उत्तेजित न की जायं तो उन्हें सहवास में कोई रूचि नहीं होती बल्कि वे इसे एक जुगुप्सा भरा कार्य मानती हैं . उनकी उत्तेजित अवस्था ही उनके जुगुप्सा प्रतिक्रिया को शमित करती है और वे सहवास की उन क्रियाओं -क्रीडाओं में सहयोग करने ;लगती हैं जिन्हें अन्यथा वे पसंद नहीं करतीं . ग्रोनिंजन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने ९० महिलाओं पर अपने इस प्रेक्षण को प्रमाणित करने के लिए प्रयोग किये . उन्हें तीन समूहों में बांटा. एक समूह को कामोद्दीपक वीडियो दिखाए गए . दूसरे समूह को ऐसे रोमांचक वीडियो दिखाए गए जिनसे शरीर में ऐडरेलिन का प्रवाह बढ़ता हो जैसे रीवर राफ्टिंग और स्काई डाईविंग -इनमें भी वे उद्वेलित हुईं मगर वह कामोत्तेजना से पृथक का उद्वेलन था . तीसरे समूह को कोई सामान्य सा वीडियो दिखाया गया . 
तदनंतर उन्हें कुछ बहुत अप्रिय से ,अनकुस से काम करने को दिए गए जैसे किसी गिलास में कीड़ा (नकली ) पड़े द्रव को पीना,पहले से ही इस्तेमाल हुए टिश्यू पेपर से हाथ साफ़ करना ,ऐसे बिस्किट खाना जो कीड़े के समूह जैसे दिख रहे थे या फिर इस्तेमाल हुए कंडोम के भीतर उंगली डालना. पाया गया कि जिस समूह ने कामोत्तेजक वीडियो देखा था उसने इंगित कामों को करने में अपेक्षाकृत काफी कम असहजता दिखाई. यह साफ़ था कि उनके कामोद्वेलन ने उनकी कई जुगुप्सात्मक प्रवृत्तियों को तिरोहित कर रखा था .
उक्त अनुसन्धान के जरिये शोधार्थियों ने यह प्रमाणित करना चाहा कि सहवास जैसी गतिविधि के  असहज होते हुए भी लोग उसमें इसलिए संलिप्त हो जाते हैं क्योकि वे कामोत्तेजित हो उठते  हैं या कर दिए जाते हैं  -काम -क्रिया विशेषज्ञ  भी महिलाओं के सहवास पूर्व काम -उद्वेलन के पहलू पर पर ज्यादा जोर देते हैं . इस अध्ययन का एक प्रबल पक्ष यह है कि इसके परिणामों के मद्दे नज़र उन महिलाओं जिनका यौन जीवन असामान्य है या जो सेक्स को जुगुप्सा मानती हैं के लिए कारगर सेक्स थिरेपी इजाद हो सकती है . आज भी ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमें महिलायें सहवास के बाद अपनी अत्यधिक साफ़ सफाई ,बार बार नहाने सरीखे कार्यों में लग जाती हैं . पुरुषों के लिए भी यह अध्ययन महत्वपूर्ण है जिन पर यौन क्रिया के पूर्व यौन -सहकर्मी को पूर्णतया कामोद्वेलित करने का दायित्व होता है .अन्यथा सहवास केवल एकतरफा आनंद बन कर रह जाता है -सहकर्मी के लिए केवल एक त्रासद अनुभव!  यही कारण है कि महिलाओं में सेक्स के प्रति एक विराक्ति भाव घर कर जाता है  और जोड़ों का यौन जीवन असहज और असामान्य हो उठता है जिसके  ज्यादातर जिम्मेदार पुरुष ही होते हैं!  

6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

महत्वपूर्ण आलेख। कम से कम पुरुषों के लिए।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

यहाँ तो काम की बातें हैं।:)

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

सही बात है।

प्रेम सरोवर said...

सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "बहती गंगा" पर आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।

विकास गुप्ता said...

सहज प्रस्तुति

Rajput said...

अच्छी जानकारी, मगर न जाने क्यों हम लोग सेक्स शिक्षा से किनारा सा करते रहते हैं। जबकि विकसित देशों मे ऐसी शिक्षा आम बात है।