Science could just be a fun and discourse of a very high intellectual order.Besides, it could be a savior of humanity as well by eradicating a lot of superstitious and superfluous things from our society which are hampering our march towards peace and prosperity. Let us join hands to move towards establishing a scientific culture........a brave new world.....!
Thursday, 24 January 2008
मंगल पर निर्वस्त्र महिला की मटरगस्ती ?
अखबारों मे आज का यह सनसनीखेज मामला अब सरेआम चर्चा का विषय बन चुका है -मंगल की सतह पर यह निर्वसना मोहक आलिंगन की मुद्रा लिए न जाने किसकी आतुर प्रतीक्षा कर रही है !यह खबर नेचर डाट काम वेब -द ग्रेट बियांड पत्रिका- http://blogs.nature.com/news/thegreatbeyond/2008/01/no_bigfoot_does_not_live_on_ma.htmlपर भी आ चुकी है -यह अकेली महिला मंगल पर क्या कर कर रही है जहाँ ९० फीसदी सीओ -२ है और बस नाम मात्र की प्राणवायु ,तापक्रम शून्य के नीचे और वायुदाब धरती से काफी कम !यह मामला भी धरती के येती जैसा है जो तमाम दावों के बाद भी आज तक प्रामाणिक तौर पर न तो देखा जा सका और न ही पकडा जा पाया है . इस चित्र को लेकर दावे प्रतिदावे शुरू हो चुके है -कोई इसे चट्टान का हिस्सा माने है तो कोई इसे मोहक आमंत्रण देती मंगल की नारी मान रहा है -मैं तो इसे चट्टान का ही एक भाग मान रहा हूँ जिसे शरारतपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है - दाद देनी होगी मानव की कल्पना की कि वह ऐसे चित्र विचित्र रचनाओं मे कुछ ढूंढ लिया करती है -यह प्रवृत्ति मनोवैज्ञानिकों की भाषा मे पेरिडोलिया कहलाती है -अभी हाल मे किसी परित्यक्त इमारत पर लोगों ने साई बाबा का चेहरा देखा तो कहीं से पदों मे गणेश की तस्वीर उभरी दिखाई दी
.यह मामल भी कुछ ऐसा ही है ,मगर लोगों को तो एक मुद्दातो मिल ही गया है अखिल ब्रह्माण्ड मे हम अकेले नहीं - नक्षत्रों से कौन निमंत्रण देता मुझको मौन ...कही यहीमहिला तो नही ?
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