आगामी 23 जून की पूर्णिमा को एक नयनाभिराम आकाशीय नज़ारा देखने को तैयार रहिये .इस दिन इस वर्ष का बडका चाँद निकलेगा बोले तो सुपर डुपर मून . आसन्न पूर्णिमा को चाँद धरती के सबसे निकट (perigee ) रहेगा और इसलिए इस वर्ष दिखने वाले सबसे बड़े चाँद का खिताब हासिल करेगा . धरती के इतना करीब चाँद फिर एक साल के इंतज़ार के बाद अगस्त 2014 में ही दिखेगा . वैसे तो सारे देश में मासूम सक्रिय हो गया है और बादल छाये की संभावना ज्यादा है मगर हो सकता है कुछ लोगों के बादलों से लुकाछिपी चाँद नज़र आ ही जाय . पिछली बार जब मार्च 19, 2011 को धरती के सबसे निकट यानी 'पेरिगी' का चाँद दिखा था तो इसे सुपर मून का नामकरण दे दिया गया था। अभी पिछले महीने 24-25 मई का चाँद भी एक छोटा सुपर मून ही था .इस नामकरण का भी एक रोचक मसला है.
मजे की बात है कि सुपर मून का नामकरण किसी आधुनिक ज्योतिर्विद (एस्ट्रोनामिस्ट ) द्वारा न देकर एक फलित ज्योतिषी द्वारा दिया गया है मगर अब इसे सब ओर मान्यता मिल गयी है . फलित ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने अपने अपने वेब साईट astropro.com पर 1979 में यह नामकरण किया था . जिसके अनुसार सूर्य ,पृथ्वी और चन्द्रमा के एक सीध में आने पर और चन्द्रमा के धरती के सबसे निकट आने की अवस्था में सुपरमून का वजूद होता है और ऐसी स्थिति वर्ष में चार -छह बार आ सकती है . इस २3 जून 2013 को धरती से चाँद की दूरी बस केवल 356,991 किलोमीटर रहेगी! इसके दो सप्ताह बाद सात जुलाई को ही चाँद अपनी कक्षा में धरती से सबसे दूर चला जाएगा जिसे एपोजी (apogee) कहते हैं और तब चाँद धरती से 406,490 किमी दूर होगा .
इस चित्र से पूर्ण चन्द्र और बडके चंद्र का फर्क समझा सकता है (सौजन्य:अर्थस्काई )
खगोलविदों की गड़ना के अनुसार नवम्बर 2016 का बड़का चाँद धरती के इतने निकट होगा कि उतना निकट फिर नवम्बर 25, 2034 को आयेगा . अर्थस्काई वेबसाईट ने विगत सुपरमूनों (2011-2016) का एक विवरण दिया है। दो पूर्णिमा के बीच का वक्त एक चान्द्रमास कहलाता है यानी 29.53059 दिन का औसत समय. सुपर मून साल भर में के चौदह चान्द्र्मासों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं .क्या इस बार के सुपर मून से धरती पर और भी प्रबल ज्वार भाटे आयेगें ? इस बड़के चाँद से तो और भी बड़े ज्वार आने की संभावना है .अगर इसके साथ मौसमी तूफ़ान का भी संयोग हो गया तो बड़े ज्वार की संभावना बनेगी . समुद्र तट के किनारे बसे लोगों को थोडा चौकस सहना चाहिए
मजे की बात है कि सुपर मून का नामकरण किसी आधुनिक ज्योतिर्विद (एस्ट्रोनामिस्ट ) द्वारा न देकर एक फलित ज्योतिषी द्वारा दिया गया है मगर अब इसे सब ओर मान्यता मिल गयी है . फलित ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने अपने अपने वेब साईट astropro.com पर 1979 में यह नामकरण किया था . जिसके अनुसार सूर्य ,पृथ्वी और चन्द्रमा के एक सीध में आने पर और चन्द्रमा के धरती के सबसे निकट आने की अवस्था में सुपरमून का वजूद होता है और ऐसी स्थिति वर्ष में चार -छह बार आ सकती है . इस २3 जून 2013 को धरती से चाँद की दूरी बस केवल 356,991 किलोमीटर रहेगी! इसके दो सप्ताह बाद सात जुलाई को ही चाँद अपनी कक्षा में धरती से सबसे दूर चला जाएगा जिसे एपोजी (apogee) कहते हैं और तब चाँद धरती से 406,490 किमी दूर होगा .
इस चित्र से पूर्ण चन्द्र और बडके चंद्र का फर्क समझा सकता है (सौजन्य:अर्थस्काई )
खगोलविदों की गड़ना के अनुसार नवम्बर 2016 का बड़का चाँद धरती के इतने निकट होगा कि उतना निकट फिर नवम्बर 25, 2034 को आयेगा . अर्थस्काई वेबसाईट ने विगत सुपरमूनों (2011-2016) का एक विवरण दिया है। दो पूर्णिमा के बीच का वक्त एक चान्द्रमास कहलाता है यानी 29.53059 दिन का औसत समय. सुपर मून साल भर में के चौदह चान्द्र्मासों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं .क्या इस बार के सुपर मून से धरती पर और भी प्रबल ज्वार भाटे आयेगें ? इस बड़के चाँद से तो और भी बड़े ज्वार आने की संभावना है .अगर इसके साथ मौसमी तूफ़ान का भी संयोग हो गया तो बड़े ज्वार की संभावना बनेगी . समुद्र तट के किनारे बसे लोगों को थोडा चौकस सहना चाहिए