यह पोस्ट अभी भी एक ब्लॉग पर चल रही निरर्थक बहस से प्रेरित है .जहाँ एक फलित ज्योतिषी हठयोग किये हुए है कि उसकी भविष्यवाणी गलत हो ही नहीं सकती ..... विज्ञान और फलित ज्योतिष का बड़ा फर्क भी यही है .एक विज्ञानधर्मी के शोध नतीजों को जब दूसरा विज्ञानी आपने प्रयोग परीक्षणों के आधार पर (ज्यादातर तो आंशिक ही) पूरी तरह से भी खंडित कर देता है तो इतनी हील हुज्जत नहीं होती जितनी की इंगित ब्लॉग पर हो रही है. वैज्ञानिक नए तथ्यों को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं क्योकि विज्ञान की पद्धति यही है,संस्कार भी यही है . वैज्ञानिक पद्धति एक तार्किक और विश्लेषणात्मक तरीके पर आधारित है -जहाँ जिज्ञासाओं के समाधान हेतु कल्पित संभावनाए और फिर अनेक संभावनाओं में से सही कौन है के चुनाव के लिए प्रयोग परीक्षण और पुनि पुनि सत्यापन के बाद प्राप्त नतीजा स्वीकार किया जाता है .और यह विज्ञान विधि गोपन नहीं है ,सर्वज्ञात है . कोई भी इस पद्धति को सत्यनिष्ठा से अपना कर शोध कार्य कर सकता है और नतीजों पर पहुँच सकता है.
अब फलित ज्योतिषी पहले तो ऐसी किसी पद्धति को नहीं अपनाते ...और अगर कोई पद्धति अपनाते भी हैं तो वह बहुत कुछ गोपनता लिए होती है .और नतीजे भी दोहरी व्याख्या लिए होते हैं -मतलब चित भी मेरी और पट भी मेरी ! जैसे एक ज्योतिषी को बताना था कि अमुक व्यक्ति को लड़का होगा या लडकी तो उसने एक लिफ़ाफ़े में अपनी महान भविष्यवाणी बंद कर चुनौती दी कि जब संतानोत्पत्ति हो तभी इसे खोला जाय ,बहरहाल जजमान को पुत्री हो गयी -लिफाफ खोला गया -लिखा था -पुत्री न पुत्रा .ज्योतिषी जी ने तुरंत व्याख्यायित कर दिया -मैंने कहा था न कि पुत्री ....न पुत्रा... अब देखिये पुत्री हुई. फलित ज्योतिषियों का यही आजमूदा नुस्खा है.आप उनसे पार नहीं पा सकते .
मैं फलित ज्योतिष और इनके पोषकों और अनुयाइयों से बहुत खार खाता हूँ मगर एक बात मुझे रोकती है जेहाद छेड़ने में -इनके चलते बहुत से लोग जीवन में आशा की किरण देखते है ,दुश्चिंताओं से थोडा बच जाते हैं -दुखी मानवता के लिए ये फलित शास्त्री एक स्थाई राहत केंद्र हैं -मगर हाँ विज्ञान की भावना के कट्टर उन्मूलक भी है ये. और इसलिए विज्ञान प्रेमियों को इनके पुरजोर विरोध में लगातार सक्रिय रहना चाहिए -ताकि दुनिया में अन्धविश्वास का ही एक छत्र राज्य न हो जाय.इधर कुछ दिनों से ब्लागजगत में इनकी धमाचौकड़ी फिर बढ रही है ऐसे में हमें कुछ और तस्लीम और साईंस ब्लागर्स चाहिए जो निरंतर ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश का अभियान छेड़ सकें .
फलित ज्योतिष(अस्ट्रोलोजी) और ज्योतिष /ज्योतिर्विज्ञान(अस्ट्रोनोमी ) में बहुत फर्क है .एक मात्र पत्रा देख कर ऊलजलूल भविष्यवाणियाँ करता है तो दूसरा गणनाओं की पुष्टि स्वरुप आसमान /अन्तरिक्ष को भी निहारा करते हैं -अस्ट्रोनोमी का जहां आशातीत विकास हुआ है अस्ट्रोलोजी बाबा आदम के ज़माने के आगे नहीं बढ सकी है ...और बढ़ना भी नहीं चाहती. फलित ज्योतिष आज भी आदि मानवों के भय आशंकाओं को केंद्र बनाकर भविष्यवाणियाँ करता है -ग्रहण में कुछ खाओ पीओ मत ,दक्षिण की दिशा में मत जाओ ,सोमवार को पूर्व दिशा में मत चलो आदि आदि हास्यास्पद निर्देशों के ऊपर नहीं उठ सका है फलित ज्योतिष. घबराये, डरे लोगों का मनोविज्ञान आज भी फलित को जिलाए हुए हैं .कल सूर्यग्रहण था लोग बाग़ पर कोई असर नहीं दिखा ,ज्यादातर लोग खान पान करते दिखे .ऐसे ही जब लोगों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति का प्रसार हो जायेगा फलित ज्योतिष के अलविदा का पल आ पहुंचेगा .लेकिन अभी सम्पूर्ण शिक्षा और वैज्ञानिक मनोवृत्ति का लक्ष्य दूर है ..तब तक ज्योतिषियों की चांदी रहेगी .
ॐ फलित ज्योतिर्विद्याय नमः