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Monday, 2 April 2012

तितलियों के काले पंखों से अब ऊर्जा की इन्द्रधनुषी आभा


नए ऊर्जा स्रोतों की तलाश इक्कीसवी सदी की कतिपय बड़ी चुनौतियों में से एक है .एक सम्भावना पानी और सूरज की रोशनी से प्राप्त की जा सकने वाली हाईड्रोजन गैस है जो हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति में मददगार हो सकती है. यह प्रक्रिया एक ऐसे प्रविधि से संभव है जिसमें सूर्य के प्रकाश से उन उत्प्रेरकों के काम में तेजी लाई जाती है जो पानी को आक्सीजन और हाईड्रोजन के घटकों  में तोड़कर मुक्त कर सकें ...इस काम के लिए सूर्य की रोशनी के बड़े संग्राहकों की जरुरत है .

सैन डियागो में अभी २६ मार्च को संपन्न एक वैज्ञानिक गोष्ठी में कुछ शोधकर्ताओं ने ऐसी ही एक प्रविधि का विवरण प्रस्तुत किया है .तोंग्क्सियांग फैंन  ने तितलियों की दो प्रजातियोंत्रोइदेस  एअचुस, और  पपिलियो  हेलेनुस   के पंखों में सूर्य की रोशनी को कैद करने के ऐसे ही गुण को देखा परखा है . तितली के पंख सूर्य ऊर्जा को सहजता से कैद करने की नैसर्गिक क्षमता लिए हुए हैं . कीट विज्ञानी यह पहले से ही जानते आये हैं कि तितलियों के पंख के शल्क (स्केल्स) सूर्य की ऊर्जा को शोषित कर जाड़े के ठण्ड दिनों में भी इन नन्हे कीटों  को गरम बनाए रखने में मददगार रहते  हैं . अब शंघाई टैंग विश्वविद्यालय के शोध छात्र डाक्टर फैन की अगुयायाई में इसी प्रविधि की नक़ल कर कृत्रिम तरीके से बड़े सौर संग्राहकों के निर्माण में जुट गए हैं ...

प्रयोग प्रेक्षण में ली जाने वाली तितलियाँ काले पंखों वाली हैं जिनसे ऊर्जा का बड़े पैमाने पर शोषण तो होता है मगर अपक्षय बहुत कम ...वैज्ञानिक इसी तरह की प्रौद्योगिकी के विकास में जुट गए हैं ..इसके लिए तितलियों के पंखों पर के शल्कों की बड़े बारीकी से जांच चल रही है और ऐसी ही एक कृत्रिम प्रतिकृति के निर्माण पर जोर है ...शल्कों की रचनाएं कई कोणों वाली हैं -और ऐसे पदार्थ पर अनुसन्धान चल रहा   है जो इनकी  प्रतीति  कर सके ..अभी तो तितलियों के वास्तविक पंखों को ही टेम्पलेट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें 'डिप-कैलसिनिंग' प्रक्रिया से टाईटनम  डाई आक्साईड में बदला जा रहा है ...

काले पंखों का जादू 
ज्ञात हो कि टाईटनम  डाई आक्साईड में पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में तोड़ने की क्षमता है .इसी तितली पंख उद्भूत टाईटनम  डाई आक्साईड के ऊपर प्लैटिनम नैनो पार्टिकल के लेपन से इसकी आक्सीजन  -हाइड्रोजन विलगन क्षमता को बढ़ाने में भी सफलता मिली है .यह अनुसन्धान बायोमीमिक्री की नयी शाखा के एक बड़े लाभकारी उपयोग की संकेत दे रही है -तितलियों  के काले पंखों का जादू अब ऊर्जा की इन्द्रधनुषी आभा बिखेरने को बेताब है ..