Thursday 9 October 2008

पुरूष पर्यवेक्षण -होठों पर इक नजर !

पुरूष पर्यवेक्षण के दौरान कुछ सूक्ष्म बातों पर भी ध्यान जा रहा है जैसे कि ये दो शब्द -मुख और मुंह ! क्या ये दोनों समानार्थी हैं ? मुझे तो नहीं लगता .मुख बोले तो पूरा मुखमंडल और मुंह बोले तो मुंह मंडल जिसमें होठ ,दांत और जीभ भी समाहित हैं .यदि किसी को इस वर्गीकरण पर ऐतराज हो कृपया बताये ।
जब हम मुंह की बात करते हैं तो होठों पर अनायास ही नजरें उठती हैं .चहरे पर होठ भावाभिव्यक्ति में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं -इनके आकार प्रकार में कई ऐच्छिक परिवर्तन लाये जा सकते हैं .होठों के ऊपर नीचे दायें बाएं करने से चेहरा अजब गजब भाव ग्रहण कर लेता है .होठों से सीटी बजाने से लेकर चुम्बन का चुम्बकीय हवाई सिग्नल भी ये होठ दे देते हैं .पर यह सब होठ करते कैसे हैं ? यह जानना रुचिकर हो सकता है ।
दरअसल होठ एक बहुत ही शक्तिशाली पेशी से संयुक्त होते है जिसे आर्बिक्यूलेरिस ओरिस कहते हैं इसकी ही गति या संकुचन से चुम्बन के आमंत्रण से लेकर होठ सिल लेने जैसी चुप्पी साधी जा सकती है .जब कोई मुक्केबाज रिंग में प्रतिद्वंदी से भिड़ता है तो ज़रा गौर से देखिये कि कैसे वह किसी मुक्के की प्रत्याशा में सहसा ही मुंह को भीच लेता है ,उसके होठ भिंच उठते हैं .यह सब कमाल उस पेशी का ही है . बदलते मूड को भांप कर होठ भी वैसा ही भाव बनते हैं या फिर इनकी गति से चेहरे का भाव बदल उठता है ।
प्रायः चार प्रकार के होठीय सिग्नल पहचाने गए हैं -खुले होठ ,बंद होठ ,होठों की अग्र गति और पच्छ गति.ये प्रफुल्लता से लेकर अवसाद तक की इन्गिति करते हैं । आर्बिक्यूलेरिस ओरिस नाम मुख्य होठ की पेशी चेहरे की दूसरी पेशियों से मिलकर चेहरे की कई भाव भंगिमाओं का प्रगटीकरण करती है .एक संक्षिप्त परिचय यूँ है -
१.levatar -इसकी मदद से ऊपरी होंठ दुःख ,घृणा और क्षोभ को प्रगत करते हैं ।
२.Zygomaticus - ऊपर उठ मुस्कराहट और हंसी
३.Triangularis-उदासी
.Depressor -निचले होठ को और भी नीचे करके तिरस्कार की अभिव्यक्ति
५.Levator menti -ठुड्डी को ऊपर करके निचले होठ को आगे बढाकर निष्ठुरता-अवज्ञा का प्रगटीकरण
६.Buccinataor -यह गालों को दातों तक खींच कर लाती है -फूँक मारने और खाना खाते समय की मुखमुद्रा !
७.Platysma - भय ,पीडा ,और खामोश गुस्से की अभिव्यक्ति !
इन सभी पेशियों के आपसी तारतम्य से होठ गुस्से के इजहार ,अट्ठहास आदि भावों को भी प्रगट करते हैं .खुश मिजाजी और दुखी चेहरे को अभिव्यक्त करने होठों को महारत हासिल है .खुले मन की हंसी में ऊपरी होठ ऊपर उठ कर ऊपरी दांतों तक को दिखा देते हैं .यदि हंसी में कोई नीचे के दांत भी दिखा देता है तो समझिये उसकी नेकनीयत नही है .वह बनावटी हंसी हस रहा है .होठों के फैलाव से खींसे भी निपोरी जाती हैं ।
दूसरे प्राणियों की तुलना में मात्र मनुष्य में ही होठों की श्लेष्मा सतह बाहर की ओर से दिखती है -यह एक यौन संकेतक भी है .घनिष्ठ क्षणों में ये थोडा फुले हुए ,ज्यादा रक्ताभ और थोडा बाहर की ओर निकलते हुए दीखते हैं .ये बहुत संवेदनशील हो उठते हैं -होठों के मामले में नारियां पुरुषों से बाजी मार ले गयी है क्योंकि उनके होठ अमूमन पुरूष से ज़रा से बड़े से होते हैं ! नर होठ -साभार