Thursday, 5 July 2012

पिंकी प्रामाणिक के लिंग की प्रमाणिक जांच कब तक?


अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी पिंकी प्रामाणिक की लैंगिक पहचान का मुद्दा गहराता जा रहा है। जाहिर है उसके बाह्य लैंगिक प्रमाण पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में गुणसूत्रों की जांच ही अब एकमात्र भरोसेमंद और प्रामाणिक विकल्प बचा है। आश्चर्य है कि जिस देश में डीएनए विश्लेषण से पैतृकता तक की पहचान अब आम बात हो गयी हो वहां किसी के लिंग की पहचान को लेकर इतना घमासान मचा हुआ है जबकि अवैध रूप से लिंग पहचान का यह धंधा भारत की गली कूचो में बैठे डॉक्टरों तक चलता रहा है। मगर वहां मकसद कन्या भ्रूण की पहचान और गर्भ समापन का रहता है। जहां एक देश, एक व्यक्ति और समाज की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो, वहां एक छोटी सी जांच का इतना लटकाया जाना आश्चर्य में डालता है। यह दूसरे देशों के सामने भी भारत में तकनीकी स्तर की अक्षमता का गलत नज़ारा पेश करता है।

बार बाडी से लिंग की पहचान 

वैसे भ्रूण के लिंग की जांच की प्रक्रिया जो अम्नियोसेंटेसिस कहलाती से लिंग की जांच सहजता से हो जाती है और पता लग जाता है कि भ्रूण लड़की का है या लड़के का....मतलब लड़की के दो लैंगिक गुणसूत्र समान होते हैं जो अंग्रेजी के एक्स एक्स सरीखे दिखते हैं। लड़के में एक एक्स आधा टूटा हुआ दिखता है। लेकिन वयस्क में इसी टेस्ट के लिए उसका कोई ऐसा ऊतक (कोशिका समूह ) जांच के लिए लेना होता है जिसमें कोशिका विभाजन तेज गति से चलता हो -जैसे अस्थि मज्जा (बोन मैरो)। बोन मैरो लेकर उसे अल्कोहल और एसिटिक अम्ल के एक निश्चित अनुपात में डालकर प्रिजर्व करने के बाद एक विधि जिसे कैरियो टाईपिंग कहते हैं के जरिये गुणसूत्रों का मानचित्रण होता है। अगर लैंगिक गुणसूत्रों के जोड़े असमान हैं मतलब एक एक्स दूसरा वाई तो वह लड़का है और अगर दोनों समान हैं तो लडकी मतलब एक्स एक्स। 
               
पुरुष गुणसूत्रों का प्रोफाईल 
एक  और जांच है जिसे बार बॉडी टेस्ट कहते हैं। इससे किसी महिला होने की सहज ही पुष्टि हो जाती है। यह बेहद आसान विधि है और मिनटों में संपन्न की जा सकती है। और इसका उतक केवल गालों की अंदरुनी खुरचन से ही मिल सकता है। इसमें मइक्रोस्कोप में एक ख़ास रासायनिक रंग से रंगे ऊतक में एक काला धब्बा दिखता है जो महिला होने की प्रामाणिक पुष्टि  है.  .                                                                                                        

                                                                                                                        
                                                                                                                        नारी गुणसूत्र 

ये दोनों तरीके भारत में भी सहज है आम हैं और पूरी दुनिया में दशकों से आजमाए जा रहे हैं मगर खिलाड़ी पिंकी का मामला इतना रहस्यमय क्यों बनाए रखा गया है, यह आश्चर्यजनक है और कई निहितार्थों की ओर संकेत करता है। क्या वह सचमुच एक एक्स वाई लड़का है? तब तो भारत की भी पूरी दुनिया में बड़ी किरकिरी होगी और कई लोगों पर कार्रवाई भी। क्या इसीलिए ही इस मामले को दबाया जा रहा है? जो भी हो आज की इस वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी समृद्ध दुनिया में ऐसे सच को ज्यादा दिनों तक दबाया नहीं जा सकेगा। सच अब बिना विलम्ब के हमारे और दुनिया सामने आ जाना चाहिए । अब यह किसी एक देश से जुड़ा मसला न होकर अंतरराष्ट्रीय बन चुका है।


मगर कई ऐसे मामले हैं जिनमें सेक्स का गुणसूत्रीय सत्यापन भी जटिल हो जाता है जो लैंगिक गुणसूत्रों के असामान्यता के चलते होता है .पिंकी प्रामाणिक का अगर ऐसा भी कोई मामला है तो भी वह सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा सकता ?
विशेष सूचना:ओलम्पिक असोसिएशन ने अब स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए लैंगिक सत्यापन की बाध्यता समाप्त कर दी है!