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अफ्रीकी मूल की टिलैपिया मछली दुनिया भर में इसलिए कुख्यात है कि यह किसी भी जलतंत्र में घुसपैठ कर ऐसा कब्जा जमाती है कि दूसरी प्रजाति की मछलियों की छुट्टी ही नही कर देती है बल्कि उन्हें पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देती है -इसलिए यह घुसपैठिया जलीय प्रजातियों-एक्वेटिक इन्वैजिव स्पीशीज (IAS) में अव्वल नंबर पर है -इसने पिछले कुछ सालों से गंगा और सहयोगी जल प्रणालियों में भी प्रवेश पा लिया है और दिन दूनी और रात चौगुनी दर से बढ़ रही है बिल्कुल सुरसा की तरह ! यह जबरदस्त प्रजननं कारी है ,साल भर बच्चे देती रहती है ! गंगा में इसके प्रवेश से यहाँ की देशज मछलियों पर अभूतपूर्व संकट आ गया है !
कल छुट्टी के बावजूद भी मुझे डी एम का आदेश मिला कि मैं तत्काल लक्सा के के निकट लक्ष्मीकुण्ड पर पहुंचू और वहां मर रही मछलियों की समस्या दूर करुँ -मैं आश्चर्यचकित रह गया कि कुंड टिलैपिया मछलियों से भरा पडा है जबकि उसका सम्बन्ध गंगा से नही है और नही उससे कोई नाला नाली ही जुडी है जिससे कहीं और से यह मछली आ सके -पूंछताछ पर पता लगा कि प्रत्येक मंगल और शनि को यहाँ राहु से पीड़ित वैष्णव जन आ आ कर मछलियाँ डाल जाते हैं -किसी भक्तजन ने टिलैपिया भी लाकर डाल दी होगी और अपनी आदत के मुताबिक इसने बच्चे बच्चे दे देकर तालाब को भर दिया !
जब भी बदली कई दिनों से छाई रहती है और सूरज महाराज के दर्शन नही होते तो तालाबों में घुलित आक्सीजन कम पड़ जाती है -जलीय शैवाल ,प्लवक और वनस्पतियाँ प्रकाश संश्लेषण नही कर पाते -आक्सीजन की कमी पड़ती जाती है जबकि उनका श्वसन चालू रहता है और निकट परिवेश की आक्सीजन भी वे लेते रहते हैं -एक ऐसी स्थिति आ पहुँचती है कि पानी में आक्सीजन की मात्रा बहुत कम (१ -२ पी पी एम ) मात्र ही रह जाती है -तब मछलियाँ पानी की सतह पर आकर बेचैन होकर मुंह खोल खोल कर मुंह में हवा लेती देखाई पड़ती हैं ! और सदमें से मरने लगती है .यही घटना लक्ष्मी कुंड पर अल्लसुबह घटी -सैकडों मछलिया मर के उतरा गयीं ! चिल्ल पो मच गयी ! हम लोग इस स्थिति के आदी हो चुके हैं -वहाँ पहुँच कर लाल दवा आदि छिड़क कर पानी को हिला डुला कर ,टैकरों से पानी मंगा मंगा कर उसमे डाल कर उनका मरना नियंत्रित किया गया !
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यह है सबसे घुसपैठिया टिलैपिया प्रजाति -ओरिओक्रोमस मोजाम्बिकस
यह तो समस्या का तात्कालिक हल हुआ है -वहां से टिलैपिया का निकलना ही स्थाई हल है -मगर स्थानीय भक्तजनों की भावनाएं इन मछलियों से जुडी हुयी हैं -वे उन्हें निकालने के लिए राजी नही हैं ! देखिये यह समस्या अपना हल कैसे ढूंढती है ?
कुछ छूटा है तो वह यहाँ पर है !