Saturday 11 December 2010

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जन संचार पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन से लौट कर!

दिल्ली के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर सन्निकट पूसा के भव्य शिंदे भवन और सभागार में ६ दिसम्बर से १० दिसम्बर तक आयोजित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जन संचार (पी सी एस टी -२०१०) पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन से अपरिहार्य कारणों से समापन समारोह के पहले ही लौटना पड़ा है ....मगर जब तक वहां रहा यानि ६ से ८ तक कुल तीन दिन तक  भारत के अब तक इस सबसे बड़े विज्ञान संचार के आयोजन से शैक्षणिक और मनोरंजन की दृष्टि से तृप्त होता रहा .

इस आयोजन को आयोजकों ने एक ऐसा विजन दे दिया था कि विज्ञान संचार के परिदृश्य या फलक में आने वाली छोटी से छोटी बातें और विषय भी इसमें संयोजित दिखे ...पचास देशों से भी ऊपर के देशों के प्रतिभागी ,जाहिर है भारी संख्या में विदेशी विद्वानों का जमावड़ा इसमें दिखा ....आम जनता तक विज्ञान जैसे आम समझ के शुष्क नीरस विषय को कैसे ले जाया जाय ,कैसे लोगों में वैज्ञानिक नजरिये के संस्कार को विकसित किया जाय इस सम्मलेन का मुख्य प्रतिपाद्य था .
 सम्मेलन का उदघाटन संबोधन हमारे प्रिय पूर्व राष्ट्रपति जी ने दिया ....

सम्मलेन के अपने उदघाटन भाषण में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम  साहब ने एक नारा बुलंद किया कि बच्चों युवाओं को पकड़ो --कैच देम  यंग ....और इसकी जिम्मेदारी उन्होंने शिक्षकों के कंधे पर डाली ..उन्होंने अपने संस्मरण के झरोखे से दिखाया कि कैसे उनके शिक्षक ने चिड़ियों के उड़ने के अध्याय से उनके मन में एरो डायनमिक्स की ओर रुझान का बीजारोपण किया ...हमें ऐसे शिक्षक जो बच्चों में विज्ञान के प्रति आकर्षण उपजा सकें .उनका पूरा व्याख्यान यहाँ है!



सम्मलेन के कई प्लेनरी सेशन ,थीमैटिक और वैज्ञानिक सत्रों में  ,विज्ञान की जन समझ ,ज्ञान की बहुलता और अल्पज्ञता ,डिजिटल डिवायिड,ज्ञान के प्रसार के माडलों ,विज्ञान कथा ,सूचना प्रौद्योगिकी के विविध रूपों और संभावनाओं और इस हेतु  कम्प्यूटर के योगदान और विविध उपयोगों ,लोक /जन माध्यमों के जरिये विज्ञान का संचार , विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संचार के वैश्विक परिदृश्य और मुद्दों पर  व्यापक विचार मंथन हुआ है .यह आयोजन पूर्णतः सफल रहा है और भारतीय विज्ञान संचार के इतिहास में एक सुनहले मील के पत्थर के रूप में सुशोभित हो चला है ....इस पूरे आयोजन के स्वप्न को साकार कर दिखाने में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एन सी एस टी सी ,डी  एस टी )  के मौजूदा मुखिया और वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. कमलकांत द्विवेदी के दिशा निर्देशन में ही परिषद् के ही निदेशक डॉ. मनोज पटैरिया ने अपने टीम के साथ रात दिन का  लगातार  अथक परिश्रम किया जो एक अब तक के सबसे सफल विज्ञान संचार के आयोजनों का सबब बनी ..
मैंने इस आयोजन के एक समान्तर थीमैटिक सेशन में विज्ञान कथाओं  के जरिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार पर एक जीवंत चर्चा का समन्वयन किया जिसमें मिथकों और विज्ञान गल्प के एक नवाचारी संयोजन से अनपढ़ लोगों में विज्ञान का संचार करने की अप्रतिम  सूझ के साथ ही विज्ञान गल्प के ब्लॉग और विज्ञान गल्प फिल्मों के जरिये बच्चों में विज्ञान की अभिरुचि बढ़ाने आदि पर चर्चा हुई ...

इस सम्मलेन के आयोजन पक्ष- स्थल चयन ,भोजन ,चर्चा के आडियो विजुअल ताम झाम और सुस्वादु भोजन ,खासकर स्वागत और समारोह के भोजन  की भूरि भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए  ...और आयोजकों को अब तक के इस सबसे बड़े विज्ञान संचार आयोजन की सफलता पर बधाई और आभार भी! इस आयोजन की धमक और स्मृतियों में इसकी ताजगी अगले दशकों तक बनी रहेगी ...

 सम्मलेन का आगाज डॉ मनोज पटैरिया ने खजुराहो भोपाल में किया !
इस कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्टिंग यहाँ ,यहाँ और यहाँ तथा सीधे पी सी एस टी की साईट -मीडिया सेंटर पर भी दर्शनीय है ...
चित्र सौजन्य :पी सी एस टी की अधिकारिक  वेबसाईट