Monday, 2 June 2008

एक ऑर रोचक जंतु व्यवहार -इम्प्रिन्टिंग !

कोनरेड लोरेंज़ के आजीवन साथी
प्राणी व्यवहार से से जुडा एक मशहूर वाकया है जो इस विषय के पिता कोनरेड लोरेंज़ से जुडा है .वे एक प्रयोग के दौरान बत्तखों के अण्डों को इन्कुबेटर में सेने के बाद उनसे चूजे निकाल रहे थे -उन्होंने ध्यान नही दिया ऑर एक एक चूजा अण्डों से निकलने के बाद फौरन उनको घेर कर खडा हो जा रहा था .जब दर्ज़न भर चूंजों को वे हैच कराकर जाने के लिए उठे तो सारे चूजे उन्हें पिछिया लिए .वे हैरान कि आख़िर माजरा क्या है .वे आगे बढे ,तेज कदमों से चले फिर थोडा दौड़ने भी लगे पर क्या मजाल कोई भी चूजा उनका साथ छोड दे -वे भी उन्हें पिछियाये ही रहे .थक हार कर हांफते हून्फते वे बैठ गए ऑर ये लो चूजे उन्हें फिर घेर कर बैठ गए -ऑर यहीं से शुरू हुयी विज्ञान के एक बहुत रोचक अध्ययन -इम्प्रिन्टिंग -अनुकरण [?]की शरुआत .
यह एक वह व्यवहार है जिसमे ज्यादातर जंतु अपने जन्म के ठीक बाद या कुछ समय तक अपने पास के किसी भी हिलते डुलते जीवित ईकाई या वस्तु को अपना माँ बाप मान लेते हैं ऑर जीवन भर साथ नही छोड़ते ,यहाँ तक कि उनसे या समान आकार प्रकार से ही यौन सम्बन्ध बनाते है ऑर अपने वास्तविक मान बाप को तवज्जो नही देते .सभी उच् प्राणियों में यह व्यवहार कमोबेश मौजूद है -मनुष्य मे भी । जो शोध का सक्रिय विषय है ।
मनुष्य की कई यौन या व्यवहार गत समस्याओं में इम्प्रिन्टिंग की भूमिका से इनकार नही किया जा सकता ।
हाँ एक पक्षी ऐसा है जिसमे इम्प्र्टिंग नही होती -वह अपवाद है -कोई बताएगा कौन ?