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सामान्यत: नारी की नाक पुरुष की अपेक्षा छोटी होती है-पर यह सौन्दर्य का प्रतीक है, किसी तरह की हीनता का नहीं।
सौन्दर्य प्रेमियों की दृष्टि में ही नहीं वरन व्यवहारविदों की भी राय यही है कि नारी की नाक बहुत कुछ बचपन सरीखी नाक-संरचना को बनाये रखती है। बच्चों की छोटी नाक सहज ही बड़ों को आकिर्षत करती है। चूंकि नारी में अपने सहकर्मी की ओर से सुरक्षा की चाहत रहती है, अत: प्रकृति भी उसकी नाक को बच्चों सरीखा बनाये रखती है। ताकि उसके पुरुष सखा अनजाने ही उसकी देखभाल और सुरक्षा के प्रति सचेष्ट रहें ।
नारी की बड़ी नाक विश्व की बहुतेरी सम्यताओं में कुरूपता की निशानी मानी गयी है। बड़ी नाक वाली महिलाओं के प्रति पुरुषों के मन में सुरक्षा प्रदान करने का ``सहज बोध´´ (इंस्टिंक्ट ) जागृत नहीं होता। मॉडल सुन्दरियों या फिर अभिनेत्रियों में छोटी नाक का होना बहुतों के लिए उन्हें और भी आकर्षक बना देता है। इसलिए पाश्चात्य सम्यता में अधिक सुन्दर दिखने की चाह के चलते नारियों में अपनी नाकों को प्लािस्टक सर्जरी के जरिये छोटा बनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही हैं। विश्व के बहुत से देशों में नाक में आभूषण पहनने का चलन है। भारत में भी महिलायें अलंकरण के लिए तरह-तरह के आभूषण -नथनी, नथ, बुलाक, बेसर आदि पहनती है।
नगर बधुओं में `नथ´ से जुड़ी एक रस्म का सम्बन्ध तो कौमार्यता से भी है। इन आभूषणों और उनके पहनावों से महिलाओं की एक विशिष्ट जाति पहचान भी जुड़ी हुई हैं।