तोते आवाजों की नक़ल में उस्ताद तो हैं ही ,अब यह भी पता चला है कि वे अपने बच्चों का बाकायदा नामकरण करते हैं और उन्हें उन्ही नामों से पुकारते भी हैं .कार्नेल विश्वविद्यालय में वेनेजुएला के जंगलों में पाए जाने वाले हरी कूबड़ के तोतों पर हुए इस अध्ययन से पक्षी -प्रतिभा और व्यवहार की यह हैरतन्गेज जानकारी हुयी है .
प्रोसीडिंग्स आफ द रायल सोसायटी बी के अभी हाल के अंक (१३ जुलाई ,२०११) में इस अध्ययन की रिपोर्ट आयी है .
यह पाया गया है कि हरे कूबड़ वाले तोतों की इस प्रजाति जो अपेक्षाकृत छोटे तोतों की एक प्रजाति है -६ से ७ अंडे अपने घोसलों में देती है और करीब एक पखवारे में इनसे बच्चे निकल आते हैं जो बहुत असहाय से होते हैं ...आपको पता होगा कि पक्षी जगत में दो तरह के बच्चे /चूजे जन्मते हैं -एक तो अंडे से बाहर निकलते ही दौड़ने भागने वाले 'प्रीकासिअल' और दूसरे असहाय से एक मांस लोथड़े के सदृश पड़े रहने वाले 'ऐलट्रिसीयल '....तोते इस दूसरे तरह के बच्चे देते हैं ....अध्येता कार्ल बर्ग कहते हैं कि ये तोते मनुष्य की भांति एक ख़ास अलग अलग "वोकल सिग्नेचर टोन " से अपने बच्चों को बुलाते हैं और वे बच्चे भी उन्ही ध्वनि पैटर्न को अपने नाम के रूप में याद रखते हैं !
Green-rumped parrotlets from Venezuela. Image credit: Nicholas Sly
वैज्ञानिक बर्ग मनुष्य और तोतों के इस शिशु नामकरण व्यवहार के कई साम्यों की जिक्र करते हैं -मनुष्य -शिशु भी लम्बे समय तक असहाय से होते हैं और ये तोते के बच्चे भी -नाम से इनके संबोधन से दैनंदिन के इनके लालन पालन में इनके ध्यान के आकर्षण में सुभीता हो जाती है -तोते भी मनुष्य के बच्चों की तरह अपना नाम ताउम्र याद रखते हैं .उनके मां बाप भी अपने बच्चों के नाम याद रखते हैं -और मां बाप ही नहीं कुनबे के दूसरे लोग भी बच्चों को और उनके बड़े होने पर भी उनके नाम से संबोधित करते हैं -यह बात मनुष्य और तोते में कामन है ! है न मजेदार बात ?
कोई आश्चर्य नहीं, मानव आबादी के निकट रहने वाले तोते अपने मित्र और शत्रु मानवों का भी नामकरण न कर देते हों -कनवां,मर्कहवा ,कलूटवा,कलमुहिया टाईप नाम -क्या आप इस विषय पर शोध करना चाहेगें ?