Tuesday 29 December 2009

इस मछली के पुनर्वास की फौरी जरूरत है!


कल मैंने ऊपर दिया  चित्र लगाया था यहाँ और उसके बारे में पूंछा था! कुछ जवाब आये हैं -दो तरह के -एक वर्ग मानता है यह कोई मछली है और दूसरा गांगेय डालफिन! एक वर्ग के प्रबल दावेदार हैं हिमांशु तो दूसरे के गिरिजेश! उन्मुक्त जी की मनाही है कि इसे डालफिन न माना जाए ! उन्मुक्त जी ,नहीं मानते हैं इसे डालफिन और न हीं सील -अरे यह स्तनपोषी   थोड़े ही है ! यह तो अपनी मोय -चीतल मछली है ! अंगरेजी में फीदर बैक . गंगा नदी की एक प्रमुख मछली ! यह जिस परिवार की है भारत  में उसकी बस दो प्रजातियाँ हैं -एक नोटोंप्टेरस नोटोंप्टेरस और दूसरी नोटोंप्टेरस चिताला ! पहली छोटी होती है यही कोई आधा फुट की मगर दूसरी जिसकी फोटो मैंने यहाँ लगाई थी कई फुट की हो सकती है -३-४ फुट और वजन भी कई किलो ! मगर दुःख है यह प्रजाति अब दुर्लभ हो चली है! १९८० के दौरान जब मैं मछलियों पर इलाहाबाद में शोध कर रहा था तो यह आसान से हाथ से फेकने वाले जाल -फेकौआ जाल से पल भर में मिल जाती थी उस जगह से जहाँ आजकल ज्ञानदत्त जी सफाई अभियान चलाये हुए हैं ! मगर अब जल्दी नहीं मिलती !



नदियों और कुदरती जल क्षेत्रों  में   तेजी से दुर्लभ होती इस मछली के पुनरुस्थापन का प्रयास मैंने यहाँ बनारस के मत्स्य पालक  मक़सूद अली के सहयोग से राजकीय मत्स्य प्रक्षेत्र उन्दी पर किया  है और सफलता से ब्लॉग परिवार को  भी अवगत कराने की इच्छा  हो आई ! इस सफलता पर जी फूला नहीं समा रहा था जो .....अपने यहाँ तो यह एक महत्वपूर्ण और उम्दा भोज्य मछली है मगर विदेशों की एक मशहूर अलंकारिक ,शोभाकर अक्वेरियम मछली .हम केवल इसे उदरस्थ करते रहे हैं और विदेशी इसे अक्वेरियम की मछली बना कर लाखो करोडो कमा रहे हैं -यह है भारत की  दरिद्रता का करण ! कुछ चित्र और देखें और एक अक्वेरियम में इस मछली की अठखेलियाँ भी !एक्वेरियम व्यवसाय में इस मछली का नाम क्लोन नायिफ फिश कर दिया गया है ! इसके पुनर्वास की फौरी  जरूरत है अब !

पहले आप पहचानिए यह क्या है ,फिर मैं तफसील से बताउंगा!

जी जरा अपने दृश्य और ज्ञान चक्षुओं की परीक्षा लीजिये और बताईये यह क्या है ? फिर मैं तफसील से बताता  हूँ कि यह है  क्या और मैंने क्यों यहाँ साईब्लोग पर इसे जगह दी है!

मुझे लगता है कि उन्मुक्त जी को तो सहजता से बता देना चाहिए मगर फिर भी देखता हूँ ? और सीमा गुप्ता जी ,अल्पना वर्मा जी ,संजय बेंगाणी साहब और मेरे प्रिय मित्र भूत भंजक सहित आओं आओं सब पहेली विद्वान् ,विदुषियों और बूझो यह है क्या आखिर?