सापों से मरने का सिलसिला फिर शुरू हो चुका है .अब से अक्टूबर तक अमूमन हर रोज अखबारों की सुर्खियाँ आपको सापों से हो रही बेमौत मौतों का दास्तान बयान करती रहेंगी .यह एक वार्षिक त्रासदी है .भारत में हर वर्ष तकरीबन ३०००० लोग साँप काटने से मरते हैं ।मैंने इस भयावह त्रासदी को कोई तीसेक साल से जाना समझा है ।ये मौते रूक सकती हैं .ऐसा भी हो सकता कि एक भी मौत सौंप काटने से न हो .लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नही हो पा रहा है .कारण ?
सबसे बडा कारण भोले भाले ग्रामीणों के अंधविश्वास हैं .साँप काटने पर गावों में जो चिल्ल पों मचती है उसे आप सब ने देखा होगा .सबसे पहले लोग ओझा सोखा के पास लेकर रोगी को भागते हैं .अब साँप है तो उसको लेकर जितनी मुंह उतनी बातें -कोई बह्चरिया साँप का विष उसी साँप को बुलाकर खींच लेने का दावा करता है तो कोई जडी बूटी से काटे के इलाज का दंभ भरता है ।कोई मरीज को तुरत फुरत मस्जिद मजार वाले फकीर के पास ले जाने कि जिद करता है .नतीजा यह कि ज्यादातर मामलों में बिचारा मरीज बेमौत मारा जाता है .
सर्पदंश के शिकार व्यक्ति की बड़ी ही दुर्दांत मौत होती है -वह लकवाग्रस्त हो जाता है .जबान भी इसलिए बेकार हो जाती है ...बोल नही पाता ..संज्ञा बनी रहती है बस वेचारा असहाय लोगों को देखता निहारता अपनी बेबसी और लाचारी लिए संसार से विदा हो जाता है -सर्प दंश की मौत इसलिए ही दुसह दुःख देने वाले मानी जाती है .आप आश्चर्य करेंगे पूरे भारत में महज ४ ही साँप ऐसे हैं जिनके काटने से लोग मरते हैं -कोबरा ,करईत ,और वाईपर की दो प्रजातियाँ जो महाराष्ट्र और कुछ जगहों पर ही मिलती हैं -ज्यादातर तो यही कोबरा यानी नाग और करईत ही लोगों के मौत के जिम्मेदार हैं ।इनका विष नुरोटाक्सिक है यानी स्नायुतंत्र इनकी असर से काम करना बंद करता है ॥फेफडे काम करना बंद कर देते हैं .वाइपेर्स का विष खून को जमा देता है ,रक्त संचार रूक जाता है .
जहाँ का मैं रहने वालाहूँ -पूर्वांचल ,उत्तर प्रदेश -केवल नाग और करईत के गिरफ्त में है .यहाँ प्रतिवर्ष २ हजार लोग साँप काटने से मरते हैं .आख़िर सर्पदंश से बचने का और कारगर इलाज का मन्त्र क्या है ?बस केवल एंटी वेनोम और केवल एंटी वेनोम का इंजेक्सन ही सर्पदंश का शर्तिया इलाज है जो अब सरकार के आदेश से हर पी एच सी -प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्ध है .यह पोलीवलेंट है यानी सभी चारों प्रकार के विषैले साँप को काटने पर लगाया जा सकता है -इसे इंट्रावेनस लगाते हैं -सीधे रक्त वाहिका में .अगर सर्पदंश के काटे को ६ घंटों के भीतर यह इंजेक्शन लगवा दिया जाय तो बच जायेगा -इसे गारंटी ही समझिये ।अक्सर यह छः घंटे झाड़ फूक में बीत जाते हैं और फिर कुछ नही किया जा सकता .
क्रमशः ......