Monday, 11 February 2013

टल जायेगी यह आसमानी बला भी ......!


धरती का एक निकटवर्ती क्षुद्रग्रह -2012 DA14 हमारे काफी पास से 15 फरवरी(2013)  को गुजर जाने वाला है जो किसी आसमानी बला से कम नहीं है . मगर प्रेम दिवस आराम से मनाकर आराम फरमाएं ,कोई खतरा नहीं है। नभ वैज्ञानिकों ने जोड़ घटा कर देख लिया है कि यह  धरती से टकराने वाला नहीं है हालांकि यह धरती से चंद्रमा की कक्षा से भी कम दूरी (27,680किमी ) तक आएगा . यहाँ तक की यह हमारे तमाम भूस्थिर कृत्रिम संचार उपग्रहों (communications satellites) की परिधि के भी भीतर .तक आ जाएगा ,यही नहीं यह अब तक धरती के इतने पास से बिना नुकसान पहुंचाए गुजर जाने वाला सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह है .
यह क्षुद्र ग्रह खुली  आँखों से तो नहीं दिखेगा मगर इसे अंतर्जाल पर दिखाने के इंतजाम किये गए हैं . तो क्या होगा जब यह धरती के सबसे करीब से गुजर जाएगा? उत्तर है कुछ नहीं :-) कम से कम इस बार तो घबराने की कोई बात नहीं है . यह इतने कम गुरुत्व का है कि इसके चलते न तो कोई ज्वार उठेगा और न ही ज्वालामुखी भभक उठेगें . हाँ लगता है अपने टीवी चैनेल और भारत के फलित ज्योतिषी  अभी तक इससे बेखबर हैं नहीं तो अब तक हो हल्ला मच गया होता .
क्षुद्र ग्रह का भ्रमण पथ (साभार ,अर्थस्काई )
हाँ क्षुद्र ग्रहों /ग्रहिकाओं और धूमकेतुओं के धरती से टकराने की संभावनाओं से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता -बहुत से लोग मानते हैं कि धरती पर प्रलय के कई कारणों में से एक ये भी हो सकते हैं . कोई छह करोड़ पहले ऐसे ही एक टकराव से डायनासोर के लुप्त हो जाने के कयास हैं . साईबेरिया के तुंगुस्का क्षेत्र में पिछली शती(1908)  भी ऐसे ही एक महा विस्फोट में बहुत विनाश हुआ था . अब जैसे यही गृह है -पूरा 45 मीटर लम्बा और करीब एक लाख तीस हजार मेट्रिक टन भारी है -धरती से इसके टकराने का मतलब है एक साथ अनेक  परमाणु /हाईड्रोजन बमों का फूट  पड़ना-अर्थात महाविनाश! प्रलय! खुदा न खास्ता ऐसा कोई क्षुद्र ग्रह धरती से टकरा जाय तो 2,4 मेगाटन टी एन टी ऊर्जा निकलेगी -ऐसा ही एक छोटा पुच्छल तारा या क्षुद्र ग्रह जब तुंगुस्का से टकराया था तो सारे रेनडियर जानवर मारे गए थे और पूरा वन क्षेत्र विनष्ट हो गया था हालांकि कोई विशाल गड्ढा नहीं पाया गया है . भारत की लोनार झील के भी किसी क्षद्र ग्रह  के टकराने से वजूद में आने की बात कही जाती है . पुष्कर का विशाल जलाशय भी ऐसी ही बना होगा क्योंकि वहां की जन श्रुतियों में आसमान से एक विशाल ब्रह्म कमल के आ टकराने का जिक्र है . तो ऐसे क्षुद्र ग्रह समूची धरती को तो तबाह नहीं कर सकते मगर हाँ एक भरे पूरे शहर का तो सफाया कर ही सकते हैं।
नक्षत्र विज्ञानी इस पर चौबीसों नज़र रखे हुए हैं कोई फ़िक्र की बात नहीं है . सूरज का इसका परिभ्रमण पथ धरती सरीखा है और यह निरंतर अपने भ्रमण पथ पर धरती से दूर पास आता  जाता रहा है -कहते हैं यह 2020 में फिर करीब से गुजरेगा मगर तब भी टकराहट की संभावना नहीं है !