Tuesday, 14 July 2009

पशु पक्षियों के प्रणय सम्बन्ध (३)-बड़े खतरे हैं इस राह में (डार्विन द्विशती विशेष )

पशु पक्षियों में प्रणय याचन के अनेक भड़कीले प्रदर्शन केवल जीवन साथी को ही आकर्षित नही करते वरन वे कुदरती दुश्मनों ,परभक्षियों को भी सहज ही आकर्षित कर लेते हैं जो की किसी आफत से कम नही है .मादा को रिझाने के विज्ञापन अनुष्ठान (advertisement ritual )खतरनाक शिकारी प्रजातियों को भी आकर्षित करते हैं -टर्र टर्र करते मेढको के झुंड पर सहसा ही कोई चमगादड़ झपट पड़ता है और प्रणय सगीत का आरोह अचानक ही टूट जाता है .दादुर धुन सुन साँप सहज ही प्रणय रती बेसुध /बेखुद मेढक के पास पहुँच उसे दबोच लेता है और प्रणय गीत की जगह सहसा जीवन रक्षा की प्राणेर गुहार सुनाई देने लगती है .बरसात के मौसम में ऐसे आर्तनादों से आपका भे पाला पडा हो शायद -ये आर्तनाद प्रेम की वेदी पर बलि चढ़ जाने वाले बिचारे निरीह प्राणियों की हैं जो अपने समूह /प्रजाति संतति संवहन के लिए यह अनचाहा प्राणोत्सर्ग कर जाते हैं ! मगर यह तो कुदरत की बड़ी बेइंसाफी है .अब प्रणय निवेदन भी गुनाह है ?मतलब प्रणय पुकार का मतलब है जीवन को ही दांव पर लगा देना ?


बचो प्रणयी -कोई झपटने वाला है !

हाँ ,यहाँ एक नाजुक संतुलन की दरकार है -अगर प्रणयी प्राणी ज्यादा तड़क भड़क प्रर्दशित करता है तो वह अपनी मौत को भी आमंत्रित करता है और यह प्रदर्शन तनिक फीका रहा तो जीवन संगिनी का मिलना सम्भव नही और ख़ुद उसके वंश बेली का बढ़ना मुश्किल ! और इन दोनों ही स्थितियों में सम्बन्धित प्राजाति का विलोपन निश्चित है ।कुदरत ने इसलिए प्रजातियों को उनके नाजुक स्थिति /स्तर को देखकर प्रणय प्रदर्शन के अंग वस्त्रम /तौर तरीके सौंपे हैं .जो परभक्षियों के चपेट में नाहे हैं ऐसे पशु पक्षी काफी तड़क भड़क प्रणय प्रदर्शन कर लेते हैं जैसे जहरीले मेढक की प्रणय पुकार बहुत कर्कश होती है ,लंबे समय की होती है क्योंकि कोई परभक्षी उन्हें खाने की जुर्रत नही कर सकता .धोखे मेंपकड़ लिया तो सांप छछूदर की गति मिल जाती है .व्हेलें ज्यादा समय के लिए इसलिए ही गाती हैं की समुद्र में उनका कोई परभक्षी ही नही है -हाँ डालफिन कम देरी तक ही गा पाती है !

मगर जो प्राणी परभक्षियों से घिरे रहते हैं उनमें प्रणय प्रदर्शन ज्यादा तड़क भड़क लिए नही होता .और उनके जीवन संगी भी जल्दी ही रीझ जाते हैं.प्राणि जगत में कई नर बहुत ही तड़क भड़क तरीके से प्रणय संवाद करते हैं ! अब मोर को ही देखिये -यह कितना भव्य लगता है -औरअपने हरम की मादाओं को ही नही हमें भी रिझाता नहीं ? और क्या यही कारण नही है की मोरपंख की खातिर ही कितने मोरों को अपनी जान तक गवानी पड़ती है ! सच है प्रणय के राह में बड़े खतरे हैं -बच के भाई !

जारी.......