Monday, 4 June 2012

सूर्य पर शुक्र की चहलकदमी


जी हाँ आप भारत के किसी भी हिस्से से कल सुबह उठते ही एक बहुत दुर्लभ अद्भुत आकाशीय नज़ारा देख सकेगें जिसे शुक्र का पारगमन कहा जाता है .दरअसल यह सूर्य पर शुक्र का ग्रहण है .ठीक वैसे ही जैसे सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण वैसे ही शुक्र ग्रहण ..मतलब सूर्य और धरती के बीच अपने परिक्रमा पथ पर शुक्र का आ टपकना..अब जब चंद्रमा सूर्य और धरती के बीच होता है तो चंद्रमा की पूरी चकती सूर्य को ढक लेती है- कारण यह कि नजदीक होने से चंद्रमा की चकती सूर्य की चकती के बराबर ही लगती है ..मगर शुक्र तो दूर होने से काफी छोटा लगता है और इसलिए यह सूर्य की बड़ी चकती पर बस चहलकदमी करता नज़र आता है ...कहने भर को ग्रहण होना चरितार्थ करता है ....और यह पूरा तमाशा सात घंटे चलेगा और इस बीच शुक्र सूर्य की चकती के इस पार से उस पार हो जाएगा -बस यही तो है शुक्र पारगमन जिसे लेकर इतना हौवा मचा हुआ है .
मगर यह एक दुर्लभ दृश्य इसलिए है कि जल्दी जल्दी नहीं घटता .अगला शुक्र पारगमन ११ दिसम्बर २११७ को घटित होगा और तब हम आप इस दुनिया में नहीं होंगे ....जाहिर है इस शताब्दी में यह अंतिम अवसर है इस आकाशीय नज़ारे को देखने का .....पिछली बार यह जून ८ ,२००४ को घटित हुआ था . दरअसल प्रत्येक २४३ वर्षों  में यह घटना जोड़ों में घटती है -इस शती में २००४ और २०१२ में यह घटना घटी है -इसके पहले जोड़े में आठ वर्षों के अंतराल पर १८७४ और १८८२ में घटी थी . इस नयनाभिराम दृश्य को सीधे नहीं देखा जा सकता .बल्कि ख़ास चश्मों से या रिवर्स इमेज तकनीक के सहारे जिसमें दूरबीन को सूर्य की ओर  बिना देखे फोकस कर रिवर्स तस्वीर कागज़ पर ली जाती है और घटना की प्रगति देखी जाती है . ऐसी तस्वीरो में सूर्य की चमकदार चकती पर शुक्र का काला धब्बा आगे बढ़ता हुआ दिखता जाता है .इस बार यह लगभग सात घंटे का मजमा है .

 भारत में कई वेधशालाएं इस दृश्य को आम लोगों को दिखाने का जतन   कर रही हैं .आप अपने शहर में ऐसे किसी अस्ट्रोनोमी क्लब ,या वेधशाला तक पहुँच कर इस दृश्य का लुत्फ़ उठा सकते हैं .या फिर इस मकसद हेतु ख़ास तौर पर बनाए काले चश्मों से सीधे भी देख सकते हैं या फिर वेबकैम के जरिये कम्प्युटर पर भी देख सकते हैं -कोई जुगाड़ न हो पाया तो परेशान न हो इस  वेबसाईट पर जाकर इस घटना क्रम के पल पल की जानकारी और दृश्य देख सकते हैं . टी वी भी इस दृश्य को फोकस करेगें ही ....हाँ इतना जरुर गाँठ बाँध लें कि दुर्लभ होने के बावजूद भी यह एक सामान्य खगोलीय  घटना ही है और मनुष्य के ऊपर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पढने वाला है . अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से इस बार इस घटना को कैमरे में कैद करने की तैयारी है .यह वीडियो  देखिये -