यह कमाल की खबर है सात क्लोन कोरियाई कुत्तों की जिसे बी बी सी हिन्दी सेवा ने आज प्रमुखता दी है ।देखते देखते क्लोन तकनीक कितना विकसित हो गयी ।डाली भेड़ से शुरू हुआ क्लोनिंग का सफरनामा अब उस मुकाम पर जा पहुंचा है जहाँ इस तकनीक का व्यवहारिक उपयोग भी शुरू हो गया ।अब देखिये तो ये सात क्लोन करिश्माई -कोरियाई कुत्ते जिन्हें सात शरीर एक आत्मा कहा जा सकता है कोई नया कारनामा करने को तैयार हैं ।
आईये पहले पूरी ख़बर पढ़ लें -
दक्षिण कोरिया में क्लोनिंग के ज़रिए तैयार किए गए सात 'स्निफ़र कुत्तों' को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन क्लोन कुत्तों को तैयार करने में लाखों डॉलर खर्च किए गए हैं
एक साल पहले इन सातों कुत्तों को लेब्रडोर नस्ल के कुत्ते की कोशिकाओं से तैयार किया गया था.
दक्षिण कोरिया के कस्टम विभाग का मानना है कि सूंघ कर खोज करने वाले जिस कुत्ते से इन सातों का क्लोन तैयार किया गया है वो विभाग का सबसे बेहतरीन कुत्ता है.
पिछले साल दक्षिण कोरिया के कस्टम विभाग ने एक बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी को पैसे देकर 'कैनेडियन लेब्रडोर' कुत्ते के क्लोन तैयार करवाए थे.
इन सातों कुत्तों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का मानना है कि इन सभी में काबलियत के गुण अभी से दिखाई देने लगे हैं.
आम तौर पर प्राकृतिक रूप से जन्मे 30 फ़ीसदी 'स्निफ़र' कुत्ते ही बेहतरीन सूंघने वाले कुत्ते साबित होते हैं.
लेकिन दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लोनिंग के ज़रिए तैयार किए गए 90 फ़ीसदी कुत्ते बेहतरीन स्निफ़र कुत्ते साबित होंगे.
वैज्ञानिकों ने इन सातों क्लोन कुत्तों को तैयार करने के लिए 'चेज़' नाम के एक 'स्निफ़र' कुत्ते की कोशिकाएँ तीन 'सरोगेट' माँ के पेट में प्रत्यारोपित की थीं.
इस तरह से सात कुत्तों के क्लोन तैयार करने में लगभग तीन लाख डॉलर का खर्च आया था.
क्लोनिंग तकनीक का एक यह सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है पर हमे सजग रहना होगा ,यही तकनीक विकृत मानसिकता वालों के हाथ पड़ जाने पर दुरूपयोग की जा सकती है -कई बिन लादेन भी शायद बना लिए जायं .अभी तो एक ने ही दहशत गर्दी फैला रखी है .
आईये पहले पूरी ख़बर पढ़ लें -
दक्षिण कोरिया में क्लोनिंग के ज़रिए तैयार किए गए सात 'स्निफ़र कुत्तों' को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन क्लोन कुत्तों को तैयार करने में लाखों डॉलर खर्च किए गए हैं
एक साल पहले इन सातों कुत्तों को लेब्रडोर नस्ल के कुत्ते की कोशिकाओं से तैयार किया गया था.
दक्षिण कोरिया के कस्टम विभाग का मानना है कि सूंघ कर खोज करने वाले जिस कुत्ते से इन सातों का क्लोन तैयार किया गया है वो विभाग का सबसे बेहतरीन कुत्ता है.
पिछले साल दक्षिण कोरिया के कस्टम विभाग ने एक बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी को पैसे देकर 'कैनेडियन लेब्रडोर' कुत्ते के क्लोन तैयार करवाए थे.
इन सातों कुत्तों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का मानना है कि इन सभी में काबलियत के गुण अभी से दिखाई देने लगे हैं.
आम तौर पर प्राकृतिक रूप से जन्मे 30 फ़ीसदी 'स्निफ़र' कुत्ते ही बेहतरीन सूंघने वाले कुत्ते साबित होते हैं.
लेकिन दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लोनिंग के ज़रिए तैयार किए गए 90 फ़ीसदी कुत्ते बेहतरीन स्निफ़र कुत्ते साबित होंगे.
वैज्ञानिकों ने इन सातों क्लोन कुत्तों को तैयार करने के लिए 'चेज़' नाम के एक 'स्निफ़र' कुत्ते की कोशिकाएँ तीन 'सरोगेट' माँ के पेट में प्रत्यारोपित की थीं.
इस तरह से सात कुत्तों के क्लोन तैयार करने में लगभग तीन लाख डॉलर का खर्च आया था.
क्लोनिंग तकनीक का एक यह सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है पर हमे सजग रहना होगा ,यही तकनीक विकृत मानसिकता वालों के हाथ पड़ जाने पर दुरूपयोग की जा सकती है -कई बिन लादेन भी शायद बना लिए जायं .अभी तो एक ने ही दहशत गर्दी फैला रखी है .