Wednesday, 25 November 2009

क्या प्रलय सचमुच इतना करीब है ? कौन जाने यह दबे पांव आ ही न जाय !

आगामी २०१२ में प्रलय की अनेक संभावनाएं व्यक्त हो रही है ! एक ब्लाकबस्टर फ़िल्म भी अभी अभी रिलीज हुई है नाम है २०१२!
हिन्दी नाम रखा गया है प्रलय की शुरुआत! क्या फिलम है भाई!हौलनाक,दहशतनाक ,खौफनाक सब विशेषण पानी मांगते नजर आते हैं! कमजोर दिल वालों का हार्ट अटैक हो सकता है -बिलीव मी! मैं तो इंटरवल में ही पनाह मांग गया -बार बार दिल को यकीन दिलाया कि भैये ये हकीकत नहीं है तब जाकर उसने बल्लियों उछलना छोड़ा! आप भी मजबूत कलेजा करके ही इस फ़िल्म को देखें! सच  कह रहा हूँ -इसे कैजुअली लिए तो भुगतिएगा! इस फ़िल्म में धरती का महाविनाश दिखाया गया है!कारण तो बोगस विज्ञान(गलत ढंग और तौर तरीके से पेश हुआ विज्ञान ) है कि सौर ज्वालाओं की अधिकता के चलते न्यूट्रिनो (एक नाभिकीय अनावेषित कण ) की बौछार से धरती का गर्भथल  पिघल उठता है और ऊपरी परतें दरक जाती हैं ,और दरकती चली  जाती हैं -महाद्वीप के महाद्वीप नष्ट होते जाते हैं -भयंकर सुनामियाँ उन्हें लीलती चलती हैं! जैसे खुद महाकाल अपने जबड़ों को खोल सारी दुनिया को निगल लेने को उद्यत हो गया हो! मानवता का वजूद मिटने को है ! एक नई प्रलय आ धमकी है!

कहानी: धरती में पड़ती दरारें और भूकंप जैसी घटनाओं की जांच के संबंध में एक अमेरिकी भूवैज्ञानिक एड्रियन (श्वेतल एजिफर) को अपने एक दोस्त वैज्ञानिक सतनाम (जिम्मी मिस्त्री) से मिलने के लिए भारत आना पड़ता है। सतनाम एड्रियन को दिखाता है कि किस तरह से धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। एड्रियन वापस जाकर इसकी रिपोर्ट अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस विल्सन (डैनी ग्लोवर) के सचिव कार्ल (ऑलिवर प्लैट) को सौंपता है। कुछ अन्य देशों के राष्ट्रपतियों की बैठक के बाद यह साफ हो जाता है कि तीन वर्षो बाद यानी 2012 में धरती का विनाश हो जाएगा।"
मगर क्या यह सब हकीकत में बदल सकता है? क्या २०१२ में प्रलय आने वाली है? क्या उसके पहले नहीं आ  सकती? आने वाली प्रलय अगर वह आई तो कैसी होगी? जल प्रलय? जिसमे सारी दुनिया जल समाधि  लेगी! या फिर अग्नि प्रलय जिसमे सूर्य नेजे पर (धरती के बहुत करीब ) आ जायेगा और धरती भक्क से जल उठेगी! सारीं मानवता  स्वाहा! आखिर ऐसी हे तो होगी प्रलय? मगर वैज्ञानिकों की राय में धरती पर आने वाली आपदाओं में किसी पथभ्रष्ट धूमकेतु या फिर उल्का पिंड या क्षुद्र ग्रह/ग्रहिका की ज्यादा भूमिका हो सकती है जो अचानक ही धरती के परिवेश/कक्षा  में आकर जल कर या सीधे टकरा कर प्रलय सी तबाही मचा सकते हैं! जैसे कि कहा जाता है कि कोई ६ करोड़ वर्ष पहले ऐसी ही एक घटना में डायनोसोर लुप्त हो गए थे!सौ वर्ष पहले रूस के तुंगुस्का में भी एक ऐसी ही घटना में लाखो जीव जंतुओं का सफाया हो चुका है!


प्रलय का कोई दिन मुक़र्रर नहीं है -यह दबे पांव आ  भी सकती है -संभावनाएं हैं मगर २०१२ में ही ऐसा हो कौन निश्चितता से  कह सकता है ? प्रलय आनी होगी तो कभी भी आ  सकती है -आसमान के रास्ते ! दबे पांव ! मगर हम भी तैयार है बल्कि हो रहे हैं ! मेरी माने तो मस्त रहे -धरती का बाल बांका भी नहीं होने वाला है ! मगर मेरी इस बात में क्या दम है -सही आपत्ति है आपकी मगर यह एक अंतर्बोध है जिसके वजूद को विज्ञान की पद्धति में भी इनकार नहीं किया जा सका है !