Saturday, 27 September 2008

प्रलय की एक नई सुगबुगाहट .......!

कही ऐसा ही तो कोई क्षुद्र ग्रह नहीं टपकेगा धरती पर ?
मीडिया की बलिहारी ,प्रलय (जो नही आई ) के एक खौफनाक सदमें से हम अभी अभी गुजरे हैं.पर अब प्रलय की जो नई सुगबुगाहट सुनाई दे रही है उसमें तो दम ख़म है .अब जो चेतावनी है वह किसी आसमानी जलजले की संभावनाओं की आहट दे रही है -बकौल खगोल विदों के धरती पर प्रलय अन्तरिक्ष से यहाँ आ टपकने वाले किसी क्षुद्र ग्रहिका या अचानक नमूदार हो जाने वाले धूमकेतु से हो सकती है .तो क्या दबे पाँव सकती है प्रलय ?
अन्तरिक्ष अन्वेषियों के एक संगठन ने संयुक्त राष्ट्र में इस मामले को उठाने की सोची है .वैसे संयुक्त राष्ट्र ने अन्तरिक्ष में धरती के करीब के घुमंतू पिंडों पर कड़ी नजर रखने के लिए बाकायदा एक कमेटी बना रखी है जिसकी बैठक अगले वर्ष विएना में होनी तय है .खगोलविद इसी कमेटी में ही आसमानी जलजले की ओर पुरजोर तरीके से सम्बन्धित लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते है ।
अगर अचानक कोई पथभ्रष्ट घुमंतू पिंड धरती की ओर लपक पड़े तो क्या होगा ?हम कैसे उसकी टकराहट को रोक पायेंगे ?हमें इसकी काफी तैयारियां समय से कर लेनी होगी .मगर कैसी तैयारियां ? हमें सारी धरती पर कई जगहों पर बहुत शक्तिशाली दूरदर्शियों को स्थापित करना होगा और धरती के सन्निकट के अन्तरिक्ष में हर वक्त नजर गडाए रखनी होगी .ऐसे दूरदर्शी अगले १५ वर्षों में करीब १० लाख घुमंतू पिंडों पर नजर रखेंगे जिन में ८ से १० हजार खतरनाक हो सकते हैं .कुछ खगोल विदों का मनाना है कि एक छोटे से स्टोर नुमा कमरे के बराबर का भी भटका हुआ पिंड धरती पर भारी तबाही मचा सकता है जो तकरीबन ४० हजार हिरोशिमा बमों की बराबरी कर सकता है .और एकाध किलोमीटर का पिंड तो लाखों हिरोशिमा बमों के विध्वंस को मात दे सकता है .जिनसे सारी धरती ही तबाह हो जायेगी .यदि ऐसा कुछ ज़रा भी संभावित हुआ तो यह वैश्विक आपातकाल का मंजर बनेगा .क्या उन्हें समय रहते हम अन्तरिक्ष में ही किसी तकनीक से विनष्ट कर सकेंगे ? या उनके पथ में ज़रा सा भी बदलाव कर आसन्न बला को धरती से टाल सकेंगे ?ऐसे खतरे से कोई पूजा पाठ तो हमें बचा नहीं सकेगा ,केवल वैज्ञानिक -तकनीक ही हमारा तारणहार बनेगी !इसलिए आज ही से ऐसी तैयारियों के लिए प्रबल जनमत को तैयार करना और राजनीतिक पहल की जरूरत है ।
यह पूरी ख़बर मशहूरअमरीकन वैज्ञानिक पत्रिका में सुर्खियों में है -यहाँ देखें .