Sunday, 22 February 2009

लो आ गया लूलिन -मेरे साथ रतजगा करेंगें ?

ऐसा दिखेगा लूलिन -(सौजन्य -नासा )
जी हाँ यह नया धूमकेतू आ धमका है -नाम है लूलिन जो आज के मध्यरात्रि के बाद दक्षिणी -पश्चिमी आकाश में चमक बिखेरेगा ! इसे 2007 में चीनी और ताईवानी खगोलविदों ने संयुक्त रूप से खोजा था और औपचारिक रूप से इसे C/2007 N3 नामकरण दिया गया है !

जैसा कि आप जानते ही होंगे कि धूमकेतु सौर मंडल के स्थायी वासी तो होते नही -वे सौर्य मंडल के आखिरी छोर के अन्तरिक्षीय द्रव्यों की एक मांद / ऊर्ट क्लाऊड से सहसा सौर आँगन में आ टपकते हैं -इसलिए लोकमान्यताओं में तो धूमकेतुओं के लिए हमारे अंगने में तुम्हारा क्या काम वाला भाव ही रहता है -ये अशुभ माने जाते हैं !

दरअसल लूलिन की खोज का श्रेय ये(YE ) नामके एक किशोर को दिया जाता है जो चीन स्थित मौसम पूर्वानुमान विभाग सन याट सेन विश्विद्यालय का छात्र है जिसने एक ताईवानी खगोलविद चाई सेंग लिंग द्वारा लुलिन वेधशाला से गगन गगन चक्रमण (स्काई पेट्रोलिंग ) के दौरान खींचे चित्र में इसे अन्तरिक्ष के निस्सीम विस्तार में से खोज लिया था !

उसी वेधशाला के नाम पर नामकरण के पश्चात् यह हरित सौन्दर्य अब धरती के सबसे करीब आ पहुँचा है ! और २६ की अल सुबह यह हमारे सबसे करीब होगा ! यह विरला धूमकेतू है जो हरे रंग का है ! यह हरा रंग इस धूमकेतु के नाभिक से निकलने वाली जहरीली गैस सायानोजेन (CN) और द्वि परमाणुवीय कार्बन (
C2) के कारण है जो अन्तरिक्ष के निर्वात में सूर्य की रोशनी से हरीतिमा की चमक उत्पन्न करते हैं !

1910 में जब हैली धूमकेतु के सायनोजेन सनी पूँछ में से धरती गुजरने वाली थी बड़ा कुहराम मच गया था -लोगों को लगा था की कहीं उसकी पूँछ से गुजरना धरतीवासियों के लिए कालरात्रि न बन जाय ! मगर यह झूंठा भय निकला -धरती का घना वातावरण हैली की पूँछ के लिए अभेद्य बन गया ! और अगर कुछ सायनोजेन धरती के वातावरण में समाया भी होता तो उसकी सघनता इतनी नाम मात्र की होती कि किसी का बाल भी बांका नहीं होता !
लूलिन की हालत तो खासी पतली है -हैली के मुकाबले यह कहीं नहीं ठहरता ! यह धरती की निकटतम दूरी ३.८ करोड़ मील तक कल २६ फरवरी को ब्रह्म मूहूर्त में पहुँच रहा है !

कल तीन बजे भोर का अलार्म लगाईये और चढ़ जाईये अपनी छत पर या निकल जाईये किसी गाँव गिरावं के अपने संबंधी के यहाँ क्योंकि हो सकता है कि यह शहर के चका चौध में आपको न दिखे -मगर देखें तो बायिनाक्युलर से ही -पास न हो तो पडोसी से मांग लें या खरीद ही लें क्योंकि जीवन का यह एकबारगी मौका फिर हाथ आने वाला नहीं ! और वह भी सम्भव नहीं तो मेरे निवास पर आपका स्वागत है जहाँ इसके दर्शन के लिए रतजगा होने वाला है .
यह सूर्योदय के कुछ घंटे पहले ही उदित हो जाएगा और दक्षिणी आकाश में दिखेगा ! आपकी सुविधा के लिए आकाशीय चित्र और लूलिन की पोजीशन वाला चार्ट यह रहा ! चार्ट में यह शनि से बस कुछ ही अंश /कोण पर सिंह राशि में दिखेगा !

बायनाकुलर से आप आसानी से देख सकते हैं ! शनि को तो अपने देखा ही होगा बस उसी के इर्द गिर्द नजरे घुमाईये -भाग्य आजमाईये दिख गया तो बस बल्ले बल्ले ! और अगर यह हरित सौन्दर्य आपको बिस्तर से नहीं उठा सका तो आख़िर फिर आपको भगवान ही उठा पायेगा !(ईश्वर आपको लम्बी उम्र दें ! )