Saturday 15 May 2010

एक करामाती गोली के हुए पचास साल.....एक चिट्ठी भावी निरुपाय निरुपमाओं के नाम ....!

मारग्रेट सैंगर  -गर्भ निरोध आन्दोलन की जन्मदाता
गर्भ निरोधक गोली के पचास साल इसी ९ मई को पूरे हो गए ....इनोविड नाम था उस पहली गर्भ निरोधक गोली का जिसे अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने ९ मई १९६० को हरी झंडी दिखाई थी ....यह एक क्रांतिकारी घटना थी ....और यह परिणाम एक जुनूनी महिला के  हठयोगी परिश्रम का था जिसने नारी को देह के बंधन से आजादी दिला दी थी ....वह फौलादी व्यक्तित्व की स्वामिनी महिला थीं कोर्निया न्यूयार्क में १८७९ में एक कैथोलिक परिवार में जन्मी मारग्रेट सैंगर जिनकी माँ अपने अट्ठारवें प्रसव के दौरान ही ५० वर्ष की अल्पायु में चल बसी थीं.. सैंगर ने अपने बाप से साफ़ साफ़ कहा कि उन्होंने माँ की जांन  ले ली थी ....सैंगर ने संकल्प लिया कि वे नारी जाति को अनचाहे मातृत्व के बोझ से मुक्त किये बिना चैन से नहीं सोयेगीं .....उन्होंने ही  गर्भ निरोध (बर्थ कंट्रोल ) का नारा बुलंद किया  -और अपने अभियान को तेज  करने के लिए वीमेन रिबेल नाम की पत्रिका निकाली ....लेकिन तत्कालीन कानूनों के अंतर्गत वे गिरफ्तार हुईं ,जमानत लेकर देश से बाहर गयीं मगर फिर जल्दी ही लौट आयीं और अमेरिका का पहला फैमली प्लानिंग क्लीनिंग ब्रूकलिन में खोला ..फिर गिरफ्तार हुईं ...३० दिन जेल में रहीं ...मगर फौलादी इरादों वाले जेल की सीखचों से कब  डरते हैं भला ...

सैंगर १९१७ में एक और क्रांतिकारी नारीवादी महिला कथेरायींन डेक्सटर मैक्कार्मिक से मिलीं जो मैसाच्युसेट्स इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलोजी से दूसरी महिला ग्रेजुयेट थीं ..इस जोड़ी  ने मिलकर एक  शोधकर्ता जांन  रॉक और ग्रेगरी पिंकस को मदद देकर नारी हारमोन प्रोजेस्टेरान की गोलियों के रूप में गर्भनिरोधक गोली मानवता को सौप दी ..आज यह  सब एक इतिहास बन चुका है ..एक ऐसी गोली जिसने मातृत्व के चेहरे की कालिमा हटा दी थी अब बाजार  में थी ....चर्च ने और अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने भी गर्भ निरोध  के अपने फैसले बदल दिए..
एनोविड -छोटी सी गोली के बड़े गुन
टाइम मैगजीन के इसी माह के एक अंक ने इस बड़ी घटना को अपनी कवर स्टोरी बनाया है ..उसके अनुसार ४६००० महिलाओं पर किये गए शोध यह बताते हैं कि जो महिलाए गोली लेती रही हैं वे दीर्घायु हैं और उन्हें ह्रदय और कैंसर की बीमारियाँ अपेक्षाकृत कम हुई है ....आज दुनिया में १० करोड़ महिलायें गोली का सेवन कर रही हैं .आज की कम सांद्रता वाले डोज की गोलियां पूरी तरह से निरापद हैं ..मगर अफ़सोस है कि आज  भी इस करामाती गोली को लेकर तरह तरह की निर्मूल शंकाएं  की जाती हैं ....जो लोग इस गोली पर अंगुली उठाते हैं .और यह कहते हैं कि इसके चलते अनेक यौन व्यभिचार और स्वच्छन्दता समाज  में फ़ैली वे भूल जाते हैं कि इस गोली के पहले भी वे समाज में विद्यमान थे..व्यभिचारी स्त्री इस गोली को न भी खाकर व्यभिचारी ही रहती/रहेगी  ....फिर दोष इस गोली को क्यूं ?

 टाईम आमुख-३ मई २०१० 

अपने यहाँ  यौनिक जागरूकता का आलम यह है कि  देश की  राजधानी की एक अच्छी खासी पढी लिखी  और आधुनिक मीडियाकर्मी अविवाहित मातृत्व का बोझ लेकर एक त्रासदपूर्ण और ह्रदय विदारक घटनाक्रम में इस दुनिया से चल बसी और     लापरवाही का नतीजा एक अजन्मे अबोध के   मौत का भी कारण बनी ...इस गोली के पचास साल होने पर यह एक विडम्बनापूर्ण घटना ही तो कही  जायेगी ....काश निरु पाय -माएं  इस गोली की सुधि भी रखतीं ...एक अमेरिकी महिला ने तो कहा कि मैं अपनी बेटी को सुबह के नाश्ते के दूध में  उसे बिना बताये गोली दे  देती हूँ ..एक अतिरिक्त सजगता    की तस्वीर यह है और एक तस्वीर है हमारी जिसने कितने ही   अभिभावकों ,माताओं -पिताओं को हिला कर रख दिया है .. आये दिन अजन्मे अबोधों  के साथ कितनी ही  निरुपाय निरुपमायें मौत को अभिशप्त हैं ....

आगे आईये ...बच्चों को इस गोली के बारे में एजुकेट कीजिये ....