Monday 9 February 2009

देखी मैंने ये पीठ मुद्राएँ ! (पुरूष पर्यवेक्षण )

इन दिनों पीठ पर प्यार की थपकी देते फिर रहे ओबामा
किसी का स्वामित्व स्वीकारना है तो झुक कर पीठ दिखा दीजिये -मतलब आगे की ओर झुक कर सर नीचे करते हुए .और अगर आप साष्टांग लेट ही गए तो फिर कहना ही क्या आपने सम्पूर्ण समर्पण ही कर दिया .वैसे यह साष्टांग दंडवत वाली मुद्रा अमूमन ईश्वर को ही समर्पितहोती है -उससे बड़ा जबरा कौन है ? मगर सावधान अगर आप ने मुड़ कर पीठ दिखा दी समझे गये काम से !इसका मतलब हुआ की आपने सामने वाले का अपमान कर डाला ! याद है फिल्मों में बादशाहों के दरबार के वे सीन जिसमें बादशाह के सामने फरियाद के बाद दरबार से वापस होते समय फरियादी या /और सैनिक उल्टे क़दमों ही चल कर बाहर निकलते दिखाए जाते हैं ! यहाँ पीठ दिखाने का भाव शत्रु से पीठ दिखा कर भाग जाने से बिल्कुल अलग है ।
किसी दबंग या सम्मानित आदमी के सामने ही मुड़ कर पीठ दिखाने का मतलब है की आप उसका अपमान कर रहे हैं .उसके प्रभुत्व को नजरअंदाज कर रहे हैं ! और ध्यान रहे किसी से तुंरत परिचय के बाद तो आप तुंरत उसकी ओर पीठ न मोडें -वह अपने को अपमानित समझेगा ! यह भाव भंगिमा शिष्टाचार के भी विरुद्ध है ,अपने बास से आफिस या आफिस से बाहर भी इसका ख़याल रखें !
एक मुद्रा है अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर गर्दन के पीछे ,पीठ ऊपर बाँधना ! यानी "आर्म्स बिहाईंड बैक" यह एक बेहद दबंग मुद्रा है . ऊंचे स्टेटस ,राजसी परम्परा के लोग ,नेता लोग इस मुद्रा को अपना लेते हैं -यहाँ तक कि स्कूल के ग्राऊंड में बच्चों के बीच चहलकदमी करते मास्टर साहब भी अक्सर यह मुद्रा अपना लेते हैं भले ही इंसपेक्टर साहब के आ जाने पर भीगी बिल्ली बन झुक झुक कर पीठ दिखाते फिरें !
बच्चे झूंठ बोलते वक्त हाथों को पीठ पीछे ले जाकर उँगलियों को उलझाते है -किसी की पीठ थपथपाना कामतलब ही है शाबासी - उत्साहित करना ,यह दोस्ताना अंदाज भी है ,बधाई देने का लहजा भी है और हंसी मजाक की भी एक मुद्रा है ! यह किसी को प्रेम से बाहों में भर लेने का मिनिएचर फार्म है और इसका उदगम बचपन में स्नेहमयी माँ की गोद की सुरक्षा और उसका प्यार से पीठ को सहलाने और थपकियाँ देने से ही है .मुन्ना भाई एम् बी बी एस के सौजन्य से आज प्रचलित जादू की झप्पी का उदगम् भी यही है -अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा भी पीठ पर थपकी देना नहीं भूलते -इसका असर जादुई है -ख़ुद आजमा के देखें ! यह हमारे बचपन के कुछ बहुत आश्वस्ति भरे क्षणों की अनुगूंज है ।