Wednesday, 2 February 2011

सैन्य अधिकारियों ने जब पूछा मछली मछली कितना पानी!

सैन्य अधिकारियों के एक हाई प्रोफाईल पंद्रह सदस्यीय दल ने कल शाम वाराणसी के राजकीय प्रक्षेत्र ऊंदी पर मछलियों की विविध प्रजातियों का अवलोकन किया और भारत में मत्स्य पालन की तकनीकों की जानकारी ली ..उन्होंने जाना कि भारत में प्रचलित मिश्रित (कम्पोजिट ) मत्स्य पालन में कैसे तीन देशज प्रजातियों कतला ,रोहू ,नैन और तीन विदेशी प्रजातियों ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, और कामन कार्प को एक साथ तालाबों में पाला जाता है .इनसे एक वर्ष में एक हेक्टेयर के तालाब से आसानी से पांच हजार किलो मछली का उत्पादन कर एक लाख रूपये तक का शुद्ध लाभ लिया जा सकता है .
 उंदी मत्स्य प्रक्षेत्र की जल श्री -रोहू 

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के मेजर जनरल अनिल मलिक के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका, जापान, मलेशिया, यूएई व भूटान सेना के अफसरों समेत 15 सदस्यीय दल के प्रत्येक सदस्य को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया था ...सभी सदस्यों ने मछलियों की पाली जा रही प्रजातियों ,उससे जुड़े क्षेत्रीय विकास ,लाभ लागत से जुडी अनेक जिज्ञासाएं प्रगट कीं ....जिनका समाधान वर्तमान में उंदी पर कृषि तकनीक प्रबंध समिति  (आत्मा -एग्रीकल्चर टेक्नोलोजी मैनेजमेंट कमेटी ) के अधीन गठित कृषक सहायता समूह के अध्यक्ष मक़सूद आलम और मेरे द्वारा दी गयी .
बनारस में उंदी मत्स्य प्रक्षेत्र पर वर्तमान में मछली पालन का एक प्रदर्शनीय माडल तैयार हो गया है जिसे दूसरी जगहों पर अंगीकार किया जा सकता है ...आप भी जब बनारस आयें तो इस मत्स्य प्रक्षेत्र पर आपका स्वागत है ,सैन्य अधिकारियों ने इसे पसंद किया तो आप भी पसंद कर सकते हैं ..

स्थानीय अखबारों ने इस खबर को सुर्ख़ियों में जगह दी है -

सैन्य अफसरों ने उंदी में देखा मत्स्य पालन