मन के भावों की मूक अभिव्यक्ति में भौहें अपनी भूमिका बखूबी निभाती हैं। भारत की कई नृत्य शैलियों में भौहों के क्षण-क्षण बदलते भावों को आपने देखा सराहा होगा। तनी भृकुटि और चंचल चितवनों की मार से भला कौन घायल नहीं हुआ होगा। भौहों के जरिये कई तरह के अभिप्राय पूर्ण इशारे किये जाते हैं- जिसमें प्रेम, क्रोध, घृणा जैसे मनोभावों की अभिव्यक्ति शामिल हैं।
पुरुषांें की तुलना में नारी भौहें (आईब्रोज) कम बालों वाली होती हैं। नारी के इसी प्रकृति प्रदत्त विशेष लक्षण को चेहरे के `सौन्दर्य मेकअप´ में उभारा जाता है- भौहों को सफाचट करके या फिर कृत्रिम भौहे बनाकर। ऐसा इसलिए ताकि नारी सुलभ कुदरती गुण/सौन्दर्य को बनावटी तरीके से ही सही और उभारा जा सके- नारी सुन्दरता में चार-चा¡द लगाया जा सके। किन्तु पश्चिम में खासकर हालीवुड की अभिनेत्रियों में अब भौहों को सफाचट करने का फैशन नहीं रहा, कारण वे अब पुरुषोंचित गुणों की बराबरी में आना/दिखना चाहती हैं। वहा¡ अब ``आई ब्रो पेिन्सलें` वैनिटी बैंगों में ढ़ूढे नहीं मिलतीं। कभी इंग्लैण्ड में भौहों के कुदरती बालों को साफ कर चूहों की चमड़ी चिपकाने का भी अजीब रिवाज था और यह सब महज इसलिए की नारी सौन्दर्य में इजाफा हो सके।