Monday 12 October 2009

छठी का दूध याद है ? अरे वही पांचवा स्वाद ?

काफी समय  तक यही  माना जाता रहा की  मनुष्य की जीभ चार मूल स्वाद ग्रहण कर सकती है -मीठा ,खट्टा,कसैला/तीता    और नमकीन .स्वाद की अनुभूति में गंध की भी अहम् भूमिका होती है -जुकाम के समय व्यंजनों का स्वाद न मिलने का कारण यही है ! मगर ठीक   १०० साल पहले जापान एक प्रोफेसर  किकुने एकेडा ने एक समुद्री सेवार (सी वीड ) से निकले पदार्थ "अजीनोमोटो" से  पाँचवे स्वाद का जायका लोगों को दिलवाया.  "अजीनोमोटो" यानि ग्लूटामेट  (जो एक  नान -एसेंसियल अमीनो अम्ल है)  को चखने से एक नए स्वाद की अनुभूति लोगों को हुई !  और यही आगे चल कर पांचवा स्वाद कहलाया .बताते चलें कि नान एसेंसियल अमीनो अम्ल वे हैं  शरीर जिनका  उत्पादन  कर सकता है और एसेंसियल अमीनो एसिड वे होते हैं जिनका उत्पादन शरीर नहीं कर सकता और जिन्हें बाहर से लेना जरूरी हो जाता है  .  पाँचवे स्वाद का नामकरण हुआ युमामी (Umami ) जो जापानी शब्द है जिसका हिन्दी में कामचलाऊ अर्थ है "स्वादिष्ट"!अगर अब कोई पूंछे की स्वाद कितने प्रकार का होता है तो  मीठा ,खट्टा ,कसैला  /तीता और नमकीन के साथ  युमामी का जिक्र करना न भूलें .


ग्लूटामेट का इस्तेमाल हम अक्सर चायनीज व्यंजनों में करते हैं - अपने यहाँ मशहूर "चायनीज" व्यंजनों - चाओमिन ,चिली पनीर ,मंचूरियन आदि में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एम् एस जी ) ई -६१  डाला जाता है ! इसका व्यापारिक निर्माण जापान की अजीनोमोटो (Ajinomoto Kabushiki)  नाम से जानी   जाने वाली कम्पनी करती है जो दुनिया में इस पदार्थ के सम्पूर्ण खपत का अकेले ३३% आपूर्ति करती है ! इसलिए ही आम बोल चाल की भाषा में ग्लूटामेट अजीनोमोटो बन गया !


अजीनोमोटो (Aji no Moto = “Essence of Taste,”)  का शाब्दिक अर्थ है स्वाद का सत्व ! यही मोनो सोडीअम ग्लूटामेट है जिसकी खोज  केकुने   इकेदा ने किया और १९०९ में इसे जापान में ही पेटेंट करा लिया ! मुझे याद है मैंने पहली बार MSG(मोनोसोडियम ग्लूटामेट) का स्वाद तब चखा था जब मैगी उत्पादों(नेस्ले) का भारत में चलन शुरू हुआ था -यही कोई बीसेक वर्ष पहले !वैसे इसके पहले ही अजीनोमोटो नाम से यह पदार्थ पंसारी /किराना की दुकानों पर भी मिल जाता था ! मैंने बाद में जाना कि अरे यही अजीनोमोटो ही मोनोसोडियम ग्लूटामेट है !  लेकिन तब तक मैगी ने अच्छा खासा पैसा खलीते से निकाल लिया था ! तब मैगी इसका व्यापार स्वाद वर्धक के रूप  में छोटी पुड़ियों में कर रही थी ! मुझे तभी इसका स्वाद भाया  था  और अब तो आज के बच्चों की यह पहली पसंद बन गया है ! अनेक वैज्ञानिक परीक्षणों में पाया गया है कि यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए निरापद है बशर्ते मात्रा का नियंत्रण रखा जाय !




पके टमाटरों में और  चीज उत्पादों में  कुदरती तौर पर ग्लूटामेट मिलता है ! इसमें सोडियम आयन की मात्रा भी खाने वाले सामान्य नमक से काफी कम होती है -मतलब स्वास्थ्य की दृष्टि से ब्लड प्रेशर आदि के कुछ मामलों में साधारण नमक का  यह बेहतर विकल्प हो सकता है ! कई पके फलों और खमीर वाले फरमेंटएड   खाद्य पदार्थों में यह पर्याप्त मात्रा में मिलता है -पके टमाटर में  तो भरपूर ही - २५०-३०० मिली ग्राम /प्रति १०० ग्राम ! और माँ के दूध में भी इसकी मौजूदगी (०.०२%) होती है !फिर तो  इसका स्वाद बचपन से हमारे मुंह लगा हुआ है !  वैसे भी मानुष जाति  यानि हम ठहरे चटोरे जनम के ....

तो पांचवे स्वाद की कहानी कैसी लगी ? खट्टी या मीठी ?...या युमामी !