ऐसी घटना भारत में पहले कभी नहीं घटी। असम के सादिया शहर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गयी जब रहस्यमयी मकड़ियों का एक विशाल झुण्ड न जाने कहां से आ गया। इन मकड़ियों ने लोगों पर हमला कर दिया। जिन्हें इन मकड़ियों ने डसा उनमें से दो के मरने की खबर है। हालांकि शवों का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया मगर कुछ कीट विज्ञानी मानते हैं कि ये मकड़ियां विषैली रही होंगी। चूंकि भारत में ये मकड़ियां पहले कभी देखी नहीं गईं इसलिए इन्हें लेकर विश्वभर के कीट विज्ञानियों में जिज्ञासा है। यहां तक कि विश्व प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने भी इस खबर को प्रमुखता से 4 जून 2012 के अंक में प्रकाशित किया है। मकड़ियों का यह आक्रमण पिछले महीने में देखा गया था और एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने इस पर ख़ास 'स्टोरी' की थी।
टैरनटूला से मिलते जुलते ऐसे ही थे वे मकड़े
डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के कीट विज्ञानियों ने इस मकड़ी या मकड़े को पहचानने में असमर्थता व्यक्त की है मगर कहा है कि ये विश्व के एक खौफनाक विशाल मकड़े टैरनटुला के परिवार की हो सकती हैं। एक दूसरे कीट विज्ञानी ने कहा कि यह दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया मूल की मकड़ी ब्लैक विशबोन हो सकती है। मगर ऑस्ट्रेलिया की मकड़ी आखिर यहां कैसे आ पहुंची? मधुमक्खियों का झुंड में हमले करना एक आम घटना है और हॉलीवुड की कई फिल्मों में मधुमक्खियों के झुंडों में हमले के खौफनाक दृश्य भी दिखाए गए हैं। हालांकि हॉलीवुड मकड़ियों के हमले पर भी फिल्में बना चुका है। '8 लेग्ड फ्रीक्स' काफी चर्चित हुई थी। मगर मकड़ियों/मकड़ों का ऐसा आक्रमण कम से कम भारत में तो अब तक कहीं से सूचित नहीं है।
बहुत से लोग कई तरह के जीव जंतुओं को डर के चलते भरीपूरी आंख से देख भी नहीं सकते। मकड़ी ऐसे टॉप टेन भयावने जंतुओं की सूची में है। गोलियेथ टैरनटुला सबसे बड़ा मकड़ा है जो छोटी हमिंग चिड़ियों को भी अपना शिकार बना लेता है। यह एक फुट तक बड़ा हो सकता है और इसके विषदंत भी काफी बड़े होते हैं। माना जा रहा है कि सादिया का मकड़ा इसी नस्ल से मिलता जुलता है। इस तरह के मकड़ा-आक्रमण ने भारतीय मकड़ी विज्ञानियों की पेशानी पर बल ला दिया है। आगे की खोजबीन जारी है।
'8 लेग्ड फ्रीक्स' का एक दृश्य
ब्रितानी प्रकृति विज्ञानी विजय के सिंह ने कहा है कि मकड़ियों का झुंड में हमला करना एक बहुत कम घटने वाली घटना है। उनके अनुसार पर्यावरण में हुआ कोई असामान्य परिवर्तन उनकी जनसंख्या वृद्धि को उकसा सकता है। जैसे पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ के पश्चात मकड़ियों के एक विशाल झुंड ने खेतो को मकड़जालों में तब्दील कर दिया था। पाकिस्तान में भी आयी विशाल बाढ़ के पश्चात मकड़ियों ने पेड़ पौंधों को मानो ढक सा दिया हो। सदिया की मकड़ियों को पहचान के लिए महाराष्ट्र के मकड़ी संस्थान (इन्डियन सोसायटी ऑफ अरैक्नोलॉजी) को भेजा गया है।बहुत से लोग कई तरह के जीव जंतुओं को डर के चलते भरीपूरी आंख से देख भी नहीं सकते। मकड़ी ऐसे टॉप टेन भयावने जंतुओं की सूची में है। गोलियेथ टैरनटुला सबसे बड़ा मकड़ा है जो छोटी हमिंग चिड़ियों को भी अपना शिकार बना लेता है। यह एक फुट तक बड़ा हो सकता है और इसके विषदंत भी काफी बड़े होते हैं। माना जा रहा है कि सादिया का मकड़ा इसी नस्ल से मिलता जुलता है। इस तरह के मकड़ा-आक्रमण ने भारतीय मकड़ी विज्ञानियों की पेशानी पर बल ला दिया है। आगे की खोजबीन जारी है।