भूकंप और सुनामी के बाद जापान सदी के अब तक के भयंकर परमाणु प्रकोप के मुहाने पर है .फूकुशिमा के तीन नाभकीय सयंत्रों में मेल्टडाउन से परमाणु विकिरण का खतरा उत्पन्न हो गया है .यहाँ कुल छः खौलते पानी वाले परमाणु रिएक्टर हैं जो १९७० दशक के दौरान बने थे .इनमें परमाणु से बिजली बनाने की क्रियाविधि एक सी है -सभी में एक केन्द्रिक पात्र (कोर वेसेल ) है जिसमें कई सौ ईधन छड़ें हैं जो एक मिश्र धातु जिर्कोनियम की बनी है जिसके भीतर रेडिओ धर्मी यूरेनियम और ३-५ फीसदी आईसोटोप यू -२३५ भी है . संयंत्र -३ में प्लूटोनियम -२३९ भी है .यहीं एक श्रृखला बद्ध प्रक्रिया के तहत नियंत्रित नाभिकीय विघटन शुरू होता है और उत्पन्न ताप से इर्द गिर्द का पानी खौलता है और भाप को टर्बायिनों से गुजार कर बिजली पैदा की जाती है .फिर नलियों के जरिये वही अति शुद्ध ठंडा पानी इन्ही रेडियो धर्मी ईधन के इर्द गिर्द से लगातार गुजारा जाता है जिससे कोर वेसेल ठंडा बना रहता है, नहीं तो इसके अभाव में यह पिघल सकता है -जिसे ही मेल्ट डाउन कहते हैं .कोर वेसेल के मेल्ट डाउन का मतलब है रेडिओ धर्मी विकिरण का बाहर फ़ैल जाना ...फुकूशिमा के तीन सयंत्रों में इसी मेल्ट डाउन की नौबत आ पहुँची है ...
११ मार्च को आये भूकंप और सुनामी के बाद ठन्डे पानी के परिभ्रमण की यही प्रक्रिया अवरुद्ध हो गयी और यहाँ के कोर वेसेल लगातार गर्म होते जा रहे हैं ..इसी को ठंडा करने के जी तोड़ प्रयत्न हो रहे हैं और इनमें बाहरी समुद्री जल लाकर डाला जा रहा है जिसका मतलब यह है कि अब ये संयंत्र दुबारा इस्तेमाल लायक नहीं रहेगें ...समुद्री पानी नाभकीय संयंत्र को प्रदूषित कर देता है -लेकिन अब कोई विकल्प भी शेष नहीं है -अगर यह समुद्री पानी भी इस्तेमाल नहीं हुआ तो कोर वेसेल पिघल कर रेडियो धर्मिता को बिखेर देगा ....आशंका यही है कि मेल्ट डाउन की प्रकिया शुरू हो गयी है और जिर्कोनियम की छड़ें पिघल कर भाप से क्रिया कर हाईड्रोजन बना रही हैं और सयंत्र एक और अब तीन में इसी ज्वलनशील हायड्रोजन का विस्फोट हो चुका है और इन सयंत्रों के कुछ हिस्से छतों के साथ उड़ गए ...
सबसे बड़ा खतरा यही है कि कोर वेसेल के पिघल जाने से नाभिकीय ईधन की अनियंत्रित विघटन की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और यह परमाणु प्रकोप की शुरुआत होगी ...सारे दुनिया की आँखे अब इसी घटनाक्रम पर लगी हैं -यह वक्त है कि हम अपने परमाणु सयंत्रों की सुरक्षा की जांच भी कर ले -प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने इस बारे में आज ही राष्ट्र को आश्वस्त भी किया है . लेकिन उनका वक्तव्य केवल मौके के राजनीतिक लाभ लेने वाला बयान ही बनकर नहीं रह जाना चाहिए ...