Wednesday, 16 December 2009

क्या महिलायें बहलाने फुसलाने में ज्यादा पारंगत होती हैं ?



क्या महिलायें बहलाने फुसलाने में ज्यादा पारंगत होती हैं ? जी हाँ पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह हुनर ज्यादा विकसित है -ऐसा कहना है व्यव्हारविदों का ! उनका मानना है कि ऐसा इसलिए होता है कि माताओं पर बच्चों के लालन पालन का दायित्व पुरुषों से अधिक होने के नाते उनका यह स्वभाव ही बनता जाता है -अब बालहठ को आखिर कैसे संभाला जाय ? मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों -लीजिये मासूम हठी बालक चान्द ही मांग बैठा ! और वह कविता तो आपको याद होगी न -"हठ कर बोला चाँद  एक दिन ...." यह भी बाल मन को ही इंगित करती कविता है ! अब माँ करे भी तो क्या ..बाप को अपने बाहर के कामों से फुरसत नहीं -और यह शिकारी मनुष्य के काल से ही चलता आया है -घर पर अकेली माँ बच्चे को अब कैसे बहलाए फुसलाये ? तो प्रक्रति ने उत्तरोत्तर माँ को ऐसी क्षमता देनी शुरू की जिससे वह कन्विंसिंग लगे -बच्चे को लगे कि उसकी माँ झूंठ नहीं बोल रही है !... और माँ ने ऐसे निरापद झूठ  बोलने की क्षमता विकास के दौर में हासिल कर ली कि  इस विधा में पारंगत ही बन बैठी !

मगर कहानी यहीं खत्म नहीं होती ..बच्चे तो बच्चे ...बच्चों के बाप भी अक्सर झांसे में आ  जाते हैं -प्रेमी तो अक्सर बनते ही  रहते हैं -क्या मजाल कि झूंठ का ज़रा भी भान हो जाय ! पुरुष इतने सफाई से झूंठ नहीं बोल पाता -याद कीजिये पिछली बार कैसे झूंठ बोलते हुए आप पकडे गए थे...चेहरा सफ़ेद पड़ गया था  और हकलाहट थोड़ी बढ गयी थी न ?और तिस पर झपकती आँखों ने सारे राज का पर्दाफाश कर दिया था ...मगर यह आपको पता नहीं हैं कि मोहतरमा उससे कई ज्यादा बार आपको उल्लू बना चुकी हैं और आपको उसका आभास तक नहीं हुआ ! मगर यह काम महिला एक सरवाईवल वैलू के ही लिहाज से करती है ताकि परिवार का विघटन बचा रहे -बड़े होते बच्चों पर कोई विपदा न आ  जाय !

कई रियल्टी शो नारी के इस  आदिम हुनर का बेजा फायदा उठा रहे हैं -झूंठ बोलने की मशीन का बेहूदा प्रदर्शन कर महिला से यह उगलवाने का निर्लज्ज प्रदर्शन करते भये हैं कि उसका गैर वैवाहिक सम्बन्ध भी   है -अब दर्शक दीर्घ में बैठे बिचारे पति को तो मानो काटो तो खून नहीं ..एक रियलटी शो में मशीन ने जो झूंठ पकड़ा कि लोगों की रूहें काँप गयीं -मोहतरमा अपने पति की ह्त्या ही नियोजित किये बैठी थीं ! यद्यपि झूंठ पकड़ने वाली मशीने खुद भी विवादित रही हैं और बहुत से वैज्ञानिक उनकी सत्यता पर आज भी सशंकित से हैं मगर यह इन्गिति तो हो ही जाती है कि महिलायें ज्यादा सहज हो झूंठ बोल  जाती हैं जो सौ फीसदी सच लगता है !

अंतर्जाल पर ऐसे अनेक दृष्टांत हैं जिन्हें रूचि हो वे यहाँ, यहाँ और यहाँ देख सकते हैं और खुद भी गूगलिंग कर इस रोचक मामले की पड़ताल कर सकते हैं ! कुछ ऐसे मामले हैं जहाँ वह केवल अपने जीवन साथी को खुश रखने के लिए ही झूंठ बोल जाती है जैसे कि उसने उसे सचमुच संतुष्ट कर दिया है !
संकलित कड़ियाँ यहाँ भी हैं  ! 
दावात्याग : अभी भी वैज्ञानिकों में यह मामला विवादित है -यहाँ केवल व्यवहारविदों (ईथोलोजिस्ट  )की राय व्यक्त हुई है!