टाइम पत्रिका का ताजा एशियन संस्करण एक लीड स्टोरी समेटे हुए हैं .कौगर (cougar sex ) यौन सम्बन्ध पर .अब कौगर क्या है आप खुद क्लिक कर पढ़ें .भारतीय समाज यौन मुद्दों पर खुलकर बात करने से कतराता है ,हमारे संस्कार ,हमारे कतिपय सुनहले नियम इसका प्रतिषेध करते हैं .और एक दृष्टि से यह उचित भी है .किन्तु जब ऐसी वर्जनाएं यौन कुंठाओं को जन्म देने लगे तो हमें कुछ स्वच्छन्दता लेनी चाहिए -और वैज्ञानिक निष्कर्षों के प्रति एक खुली दृष्टि रखनी चाहिए -विचार विमर्श होते रहना चाहिए नहीं तो खाप पंचायतों जैसी हठधर्मिता ,भयावह सामाजिक स्थितियां भी मुखरित हो उठती हैं .
चलिए आज के मुद्दे पर विचार कर लिया जाय .नए अध्ययन के मुताबिक़ जहाँ टीन एजर्स युवकों में यौन इच्छा प्रबल होती है वहीं मध्य उम्र की महिलाओं में काम भावना अधिक पाई गयी है .टेक्सास विश्वविद्यालय के यौनिक मामलों के विशेषज्ञ डेविड बास और उनके तीन छात्रों के नए शोध अध्ययन में पाया गया है कि ३० वर्ष से ऊपर की किन्तु ४७ से कम उम्र की महिलाओं में यौन भावना की तीव्रता होती है .उनकी यौन सबंध बनाने की फ्रीक्वेन्सी भी १८ से २६ वर्ष की युवतियों से अधिक होती है .यही वह तबका है जिसे यौनिक सम्बन्धों में ज्यादा लिप्त पाया गया है यहाँ तक कि आकस्मिक और एक रात्रि की घनिष्टता तक में भी ये अधिक स्वच्छंद हैं.
इसके उलट पुरुषों में यौनिक सक्रियता टीन एजेर्स में सबसे अधिक होती है और फिर एक स्थायित्व पा लेती है और जीवन भर उसी पर थमी रहती है .७० वर्ष के ऊपर तक के पुरुषों में यौनिक सक्रियता एक आम बात है जबकि रजो निवृत्ति के बाद स्त्रियों में यौन रुझान घटने लगती है .तो आखिर स्त्रियाँ अपने टीन एज और बीसोत्तरी वर्षों के उपरान्त के मध्यवर्ती उम्र में ही इतनी यौन सक्रिय क्यों होती हैं ? ऐसा इसलिए है कि जैसे ही उनकी रजोनिवृत्ति नजदीक आने लगती है उनकी सगर्भता की संभावनाएं न्यून होने लगती हैं और इसलिए नैसर्गिक प्रेरणा से वे ज्यादा यौन सम्बन्ध के लिए तत्पर रहती हैं ...
चूंकि टीन अवस्था वैसे ही काफी उर्वर होती है इस काल में सगर्भता के लिए यौनिक सम्बन्ध बनाने की अतिरिक्त तत्परता की आवश्यकता ही नहीं रहती ..ज्यादातर अवांछित गर्भधारण टीनएजर्स में ही देखा जाता है इसलिए उन्हें सावधान भी रहना चाहिए . .मगर उम्र के मध्यकाल में उन्हें खुद सक्रिय होना होता है . उम्र की यह अवधि २७ से ४७ के वर्ष के बीच पाई गयी है .पाया गया कि १८ से २६ और पुनः ४७ से आगे की उम्र में स्त्रियों में यौन संपर्कों मे खास रूचि नहीं रहती ..यह दोनों अवधियाँ गर्भ धारण की दृष्टि से विशेष है -एक में गर्भ धारण सहज ही हो जाता है जबकि बाद में इसकी नौबत ही नहीं रह जाती ..अतः २७ से ४७ वर्ष की उम्र ऐसी होती है कि इसमें उनके स्थायी सहचर/पति से दीगर अस्थायी सम्बन्धों की संभावनाएं बढी हुई होती हैं .
डेविड बास ने एक चर्चित पुस्तक भी लिखी है -
इन निष्कर्षों के भारतीय निहितार्थों पर विचार आमंत्रित हैं !