Thursday, 22 May 2008

यह है महाझींगा-जैंट फ्रेश वाटर प्रान !


यह है महाझींगा-जैंट फ्रेश वाटर प्रान , जो कभी गंगा और सहायक नदियों मे इफरात मिलता था .यह समुद्राभिमुखी प्रवासी प्राणी है जिसका मतलब यह कि यह नदियों से समुद्र की ओर प्रजनन के लिए कूँच करता था .इसलिए कि इसके विकास की प्रक्रिया में लार्वा स्तर पर समुद्री पानी की उपस्थिति बेहद जरूरी है .जब से हुगली नदी पर फरक्का बाँध बना इनका प्रवास प्रजनन बाधित हो गया .लिहाजा आज हालत यह है कि पूरी कि पूरी महाझींगा मात्स्यिकी गंगा ऑर सहायक नदियों से विलुप्त हो चुकी है ।

मगर अब इस महत्वपूर्ण मात्स्यिकी सम्पदा को तालाबों मे पुनर्वासित कराने के प्रयास हो रहे हैं ,जिसमे वाराणसी ,उत्तर प्रदेश में सफलता मिल गयी है .महाझींगा को स्कैम्पी के व्यापारिक नाम से सारी दुनिया में जाना जाता है -जो एक अंतर्द्वीपीय व्यंजन है ऑर काफी महंगा है .इसका आज का रेट ६८० रूपये प्रति किलो है। जाहिर है इसके बाहरी निर्यात से भारी विदेशी मुद्रा कमाने के द्वार खुल रहे हैं -मुझे संतोष है कि बनारस के मत्स्य पालकों ने इसमे लीड ले लिया है .आज यहाँ के काशी विद्यापीठ तालाब ब्लाक में कंदवा गाव के एक साधारण से मछली व्यवसायी

श्री राजेन्द्र के तालाब पर मैं गया तो वहाँ से निकले झींगो के आकार प्रकार से खुश हो गया .ग्रीस्मावकाश मना रही बेटी प्रियेषा भी साथ थी जो विस्मय से झींगों का फोटो ले रही थी .इस एक चित्र में एक नर झींगे की गहरी ब्लू टांगें प्रमुखता से दिख रही हैं .मैं भी हूँ चित्र में .......आप मुझमें ऑर झींगे मे फ़र्क तो कर ही लेंगे ,यदि पहले कभी झींगा न भी देखा तो भी .........



5 comments:

दीपान्शु गोयल said...

बहुत अच्छी जानकारी.

Udan Tashtari said...

झींगा और आपमें फरक कर लिया. :)

Gyan Dutt Pandey said...

यह तो बड़ा जू जू सा लगता है - आप नहीं झींगा!

कृपया और लिखिये मत्स्य विषयक; चित्रों के साथ। यह प्रयास हिन्दी ब्लॉगजगत को विविधता प्रदान करेगा।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

शायद आपने झींगे के साथ अन्जाने में थोडी ज्यादती कर दी है, क्योंकि फोटो में आपका चेहरा तो काफी बडा है, जो आना भी चाहिए, पर बेचारा झींगा पहचान में नहीं आ रहा। इसलिए अगली बार अगर उससे मुलाकात भी हो गयी, तो पहचानना मुश्किल होगा। साथ में अगर बेचारे झींगे का एक क्लोजअप भी होता, तो मजा आ जाता।
बहरहाल आपका साईब्लॉग हिट होता जा रहा है और ब्लॉग जगत में एक नई पहचान बना रहा है। बधाई स्वीकारें।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बनारस में क्या भाव है? हम बड़े शौकीन हैं बड़े झींगे के। पता ही नहीं था कि मीठे पानी में भी होते हैं।