ये बिचारे शकर खोरा नाम की चिडिया के चूजे हैं -अभी ठीक ठीक उड़ना नही आया है .घोसले से बार बार गिर पड़ते हैं ।अब बिचारी माँ कहाँ तक झेले ,तब भी प्राण प्रण से इनकी जीवन रक्षा मे जुटी है बेचारी ...मगर घोसले मे तो डाल नही सकती ,यह काम खेल कूद मे मगन हमारे ग्रामीण बच्चों के जिम्मे है .अभी बिटिया गावं गयी थी तो उसे चूजे की यह राम कहानी देखने को मिली ..उसने पहले तो चूजे महराज की फोटो मोबाईल से उतारी ऑर आगे की जानकारी के लिए मामला मुझे सौंप दिया ।
यह पर्पिल सनबर्ड का नवजात है .यह बहुत छोटी चिडिया है -बस अंगूठे के बराबर -नर प्रणय काल में बैंगनी -नीलापन लिए रहता है ,मादा का उपरी भाग भूरा तथा नीचे का पीलापन लिए होता है . प्रणय काल के अलावा दोनों एक जैसे ही लगते हैं -हाँ नर के गले से एक गहरी काली पट्टी पेट तक जाती है . हिन्दी मे इसे शकर खोरा ऑर गाँव देश मे फुल्चुसकी भी कहते हैं .हमारे यहाँ अब चिडियों मेआम लोगों की रूचि न के बराबर रह गयी है .यह चिंता की बात है ।
छायांकन :प्रियषा मिश्रा
4 comments:
यह तो बड़ा प्यारा लग रहा है - गौरैय्या जैसा।
पहली बार सुना शकर खोरा। क्या चीनी या मधु खाता है?
मुझे उत्तर पहले ही देना था ,क्योंकि प्रश्न सहज ही है -यह फूलों का रस चूसता है -पराग प्रेमी है .इसलिए इसलिए शकर खोरा
बहुत प्यारा बच्चा है..हमने भी तीन चिड़िया पाली हुई हैं.
शकरखोरा के बारे में पढ कर अच्छा लगा।काश, मैं भी इसे फूलों का रस चूसते हुए देख पाता...
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