

अरब ऑर यूनानी मूल की एक दंतकथा के मुताबिक वहाँ के रेगिस्तानी भागों मे एक पक्षी हुआ करता है -PHOENIX-अग्नि पक्षी ,जिसके बारे में दंत कथा है कि वह सैकड़ों साल जिंदा रहता है ख़ुद बी ख़ुद अपने को भस्मीभूत कर लेता है ऑर इच्छा मुताबिक फिर अपनी राख से ही उत्पन्न हो उठता है -समूहे चार्वाक दर्शन को इस तरह चुनौती देते इस 'अमर पक्षी 'ने अब एक नया कारनामा कर दिखाया है .धरती के दिक्काल से परे जाकर अब यह मंगल की धरती पर यह सकुशल उतर गया है .जी हाँ ,यह चर्चा है नासा द्वारा मंगल की धरती पर उतारे गए जल[ऑर जीवन ]खोजी यान की जो कल से ही अन्तरिक्ष मे जीवन खोजी वैज्ञानिकों ऑर स्पेस तक्नीसियनों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है ।
फीनिक्स का मुख्य काम मंगल की धरती के आर्कटिक क्षेत्र में पिछले एक लाख वर्षों के बीच जमा पानी [यदि वह सचमुच मौजूद रहा है तो ......]को खोज निकालना है .इसके जिम्में दूसरी प्राथमिकता का काम होगा वहाँ मिटटी का रासायनिक विश्लेषण ताकि यह जाना जा सके कि जीवन दाई तत्वों -कार्बन ,नायीत्रोजन ,फास्फोरस आदि की वहाँ क्या मौजूदा स्थिति है .वह यह भी देखेगा कि कोई ऐसा कम्पाउंड तो वहाँ नही है जो जैवीय विकास के लिए विषम स्तिती पैदा करदे ।
कई वैज्ञानिक ऐसा सोचते हैं कि वहाँ जरूर कोई ऐसा जीवन -जीवाणु मिल जायेगा जो बर्फानी चट्टानों मे जमा-दबा होगा ऑर सुरक्षित होगा ,ठीक वैसे ही जैसे कि अभी कुछ वर्षों पहले धरती के ही आर्कटिक क्षेत्र में एक जीवाणु -Carnobacterium pleistocenium पाया गया जिसके बारे में एक एक्जोबायालोजिस्ट [जो धरती से बाहर जीवन की खोज मे जुटा हो वह वैज्ञानिक ] रिचर्ड हूवर ने कहा कि वह ३२ हजार वर्ष पुराना है मगर तरोताजा है .ऐसे ही बहुत सम्भव है कि मंगल की बर्फीली धरती भी ऐसे जीवाणुओं को अपने गर्भ मे छिपाए हो ऑर माकूल माहौल में वे पनप उठें ।
जो भी हो अमर पक्षी की नामराशी वाले नासा के यान ने एक करिश्मा तो कर ही दिखाया है अब हमे उत्सुकता से यह इंतज़ार है कि इस पक्षी की चोंच में आने वाले मंगल की मिटटी से हमें इस लल्छौहं ग्रह के बारे मे ऑर नया क्या पता लगता है .मंगल की ओर कूँच करने की रणभेरी बज चुकी है ---चलिए हम भी कोरस मे शामिल हों-मंगल भवन अमंगल हारी ....[बायाँ चित्र अमर पक्षी -स्रोत सौजन्य -विकिपीडिया ;दायाँचित्र -मंगल पर जा उतरा है फीनिक्स -नासा के वेब साईट से साभार .]
4 comments:
आपने तो बड़े रोचक तरीके से प्रस्तुति कर फिनिक्स अभियान के प्रति जिज्ञासा जगा दी।
बहुत सुन्दर।
सच काफ़ी रोचक दासतान बयां की आपने.
चित्र भी काफ़ी अच्छे हैं.
वंहा (मंगल) पर भी ब्लॉग-ब्लॉग खेलेंगे.
वाह जी, रोचक प्रस्तुति.
दंत कथाओं अथवा पुरा कथाओं को विज्ञान से जोडने का आपने एक बहुत खूबसूरत काम किया है। इससे पहले भी मैं इस विषय पर आपके आलेख पढता रहा हूँ। यह नया तो है ही प्रभावकारी भी है। मुझे लगता है इससे लोगों की विज्ञान में रूचि बढेगी।
मंगल पर फिनिक्स का पहुंचना सम्पूर्ण मानवता के लिए एक बहुत बडी उपलब्धि है। और इस उपलब्धि को इतने रोचक ढंग से प्रस्तुत करना, और भी सुखद लगा। इसके लिए आप बधाई के पात्र तो हो ही जाते हैं।
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