Saturday, 6 June 2009

आखिर चार्ल्स डार्विन ने आखीर में यह क्या कह दिया !

आज चार्ल्स डार्विन की लिखी उस महान ४५८ पेजी पुस्तक - ओरिजिन ,जिसने वैचारिक दुनिया में कभी तहलका मचा दिया था के छंठे संस्करण का परायण पूरा हुआ जिसे पिछले दो माहों से मैं लगातार पढता रहा हूँ ! मुझे लगता है की इस पुस्तक को यदि इंटर /बी एस सी नहीं तो एम् एस सी बायलोजी कक्षाओं में अनिवार्य कर ही दिया जाना चाहिए ! मैंने तो इसके मुद्रित संस्करण को झेला है मगर यदि आपको फुरसत है तो ऊपर के लिंक पर जाकर यह पुनीत कार्य -अंजाम दे सकते हैं !

आप छात्रों को कुछ और पढाएं या नहीं इस किताब का पढ़ना मात्र ही बायलोजी में एक ही नहीं अनेक पी एच डी का ज्ञान प्राप्त करनेके समतुल्य है -हमें दुःख है कि हमारे अध्यापकों ने इस पुस्तक को मूल रूप में पढने को कभी हमें रिकमेंड नही किया ! बस इसका डाईजेस्ट पढ़वाते रहे ! यह हमारी शिक्षा प्रणाली का दोष है जिसका परिणाम है कि भारत में मौलिक शोध न के बराबर हो पा रहा है -कारण बच्चों को ऐसा संस्कार ही नही मिलता कि वे अपनी जिज्ञासा और खोज की प्रवृत्ति को सही दिशा दे सकें ! बहरहाल पुस्तक आज सुबह पूरी हुयी मगर इस महान महान पुस्तक का समपान वाक्य देख कर मैं थोडा अचकचा गया -डार्विन ने पूरी पुस्तक में जीवों के किसी अलौकिक सृजन का जोरदार खंडन किया है और सर्जक की भूमिका को सिरे से नकार दिया है मगर हद हो गयी जब अंत में महाशय यह क्या लिखते भये हैं -

There is grandeur in this view of life, with its several powers, having been originally breathed by the Creator into a few forms or into one; and that, whilst this planet has gone cycling on according to the fixed law of gravity, from so simple a beginning endless forms most beautiful and most wonderful have been, and are being evolved।

चलिए इस वाक्य का एक चलताऊ हिन्दी अनुवाद ट्राई किया जाय -
जीवन की विभिन्न शक्तियों के बारे में यह विचार कितना उच्च है कि सृजनकर्ता द्वारा जीवन के किसी एक अथवा कुछ रूपों को अनुप्राणित कर देने /रच देने के उपरांत एक ओर जहाँ गुरुत्वाकर्षण के स्थायी नियमों के अधीन धरती चक्कर लगाती रही वहीं एक अति साधारण से प्रारंभ से जीवों के अनंत खूबसूरत और अद्भुत रूपों का विकास हुआ और होता जा रहा है .

बड़ी मुश्किल है -डार्विन अपनी पूरी पुस्तक में सृजनकर्ता /सृष्टिकर्ता की भूमिका को नकारते रहे मगर अंत में एक ऐसा समापन वाक्य रच डाला जो कट्टर पंथियों को सीना फुलाकर सृजन्वाद के पक्ष में बोलने का अवसर प्रदान कर गया -क्या डार्विन तत्कालीन चर्च और पादरियों से डर गए थे और उन्हें आर्किमिडीज और ब्रूनो का दहशतनाक हश्र याद हो आया था जो उन्होंने यह समझौता वादी नजरिया अपना लिया ? या फिर सीधे साधे यह कि डार्विन भी कहीं न कहीं "क्रियेटर '' की भूमिका को नकार नहीं पायें ! मैं तो पहले वाली संभावना के पक्ष में हूँ ! आप क्या सोचते हैं ??

Tuesday, 2 June 2009

स्वायिन फ्लू -ताजातरीन !

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब इस विश्व महामारी ( पैन्डेमिक ) के स्तर को ६ पर ले जाने का फैसला कर लिया है .आपको याद दिला दें कि पैडेमिक -महामारियों के स्तर को एक ६ बिन्दु वाले स्केल से जाना समझा जाता है -६ का मतलब है कि अमुक वैश्विक महामारी दुनिया में चारो ओर फैल चुकी है ! स्वायिन फ्लू के यूरोप ,एशियाई देशों जिसमें भारत भी है ,दक्षिण अमेरिका ,आस्ट्रेलिया ,जापान आदि जगहों से फैलने के समाचारों की पुष्टि हो गयी है .
कुल मिला कर इसने ६४ देशों को अब अपने गिरफ्त में ले लिया है .अब तक ११७ मौतें जाहिर हो चुकी हैं .

विश्व स्वास्थ्य संगठन पर इस बात का दबाव पड़ रहा था कि इस महामारी के स्तर को ६ न घोषित किया जाय ! क्योकि इससे वैश्विक आवाजाही ,व्यवसाय और पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है -मगर अभी कल ही २३ देशों के ३० महामारी विशेषज्ञों कीसमवेत राय पर इसके छठें स्तर का अलर्ट किसी भी समय घोषित करने का फैसला ले लिया गया है.इसका आशय तो यही हुआ कि हमें इस त्रासदी के प्रति अपना शुतुरमुर्गी रवैया छोड़कर अब सतर्क हो जाना चाहिए !


स्वायिन फ्लू का वाहक वाईरस एच १ एन १ बहुत शातिर है और स्वस्थ युवाओं तक को भी अपने चपेट में ले रहा है जिनकी रोग प्रतिरोधन क्षमता काफी अच्छी मानी जाती है ! याद रखें इससे बचने का सबसे सरल तरीका है -अपने हाथ को कहीं भी बाहर से आने पर साबुन से साफ़ करें ! जिसे फ्लू हुआ दिखायी दे ,सामना होने पर मुंह नाक को रूमाल से ढकें ! विदेश से आने वाले मेहमानों पर चौकस नजर रखें ! उनके फ्लू ग्रस्त होने पर अपने करीब के स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करें -जैसे जिले के कलेक्टर या चीफ मेडिकल आफीसर (सी एम् ओ )को !


भारत में महामारी के तीन मामलों के पुष्टि हो चुकी है -पहला केस दुबई से होकर न्यूयार्क से हैदराबाद आये एक छात्र का है और नया मामला मां बेटे का है और यह भी बरास्ते दुबई न्यूयार्क से ही कोयम्बतूर पहुँचने का है सभी का इलाज भारत में उपलब्ध एकमात्र प्रभावी औषधि टामीफ्लू से किया जा रहा है .


Sunday, 24 May 2009

ईडा से मिलिए !

ईडा -सौजन्य :ग्रेग लैडेन्स ब्लॉग
जी हाँ यह हैं हमारी अति प्राचीन/आदि पुरखा जिन्हें लेकर इन दिनों काफी हो हल्ला मचा हुआ है !अभी उसी दिन मल्हार वाले अपने पा.ना. सुब्रमणियन ने मुझे इस बारे में निजी मेल भेज कर जैसे सोते से जगाया ! मनुष्य के उद्भव की जड़े तलाशते जीवाश्म विदों को यह फासिल /जीवाश्म जो दरअसल एक नर वानर आदि कुल के मादा प्रतिनिधि लेमूर का है जर्मनी में मिला है -इसे एक नए गण का नामकरण देते हुए डार्विनियस मैसिली प्रजाति बताई गयी है !


यह करीब ४.७ करोड़ वर्ष पहले की है और बहुत बढ़िया हालत में मिली है -पूरी तरह परिरक्षित ! नर वानर कुल को दो समूहों में बाटा गया है -स्ट्रेपसिर्रहिनी और हैप्लोरिनी ! स्ट्रेपसिर्रहिनी में तो मेडागास्कर के लेमूर और लोरिस आते हैं तथा एशिया और अफ्रीका के पोत्तोस और गल्गोस ! हैप्लोरिनी नयी और पुरानी दुनिया के बंदरों और कपियों से सम्बन्धित है जोआकार में मनुष्य सादृश्य रखते हैं ! ऐसा डी एन ए अध्ययन बताते हैं कि ये दोनों समूह तकरीबन ८ करोड़ वर्ष पहले एक दूसरे से अलाग थलग अस्तित्व में आ चुके थे ! अभी मिले ईडा के जीवाश्म से मानव विकास की कई अनसुलझी गुत्थियों के सुलझने की उम्मीद की जा रही है - अध्ययन से पता चलता है कि यह एक मादा फासिल है जिसका वजन ५८० ग्राम है -इसे शाकाहारी होना पाया गया है !

यह एक स्तापित मान्यता है कि मनुष्य का उद्भव अफ्रीका में हुआ -अब जर्मनी के इस अति प्राचीन जीवाश्म के मिलने से क्या मनुष्य की उत्पत्ति के बहु क्षेत्रीय माडल को तो बल नही मिलेगा ! आप इस फसिल के बारे में मेरे एक प्रिय बुक मार्क ब्लॉग साईट -ए ब्लॉग अराउंड द क्लाक पर नजरे फिरा सकते हैं और एक जबरदस्त बाईस्कोप यहाँ देख सकते हैं !













Monday, 11 May 2009

आख़िर पहचान ही ली गयी चिडिया ! भाग्य की मारी कोयल बिचारी !

ऐसी ही दिखती है मादा कोयल !
आखिर वह हतभाग्य चिडिया पहचान ही ली गयी ! मादा कोयल थी बेचारी ! इस समय उनका प्रजनन काल चल रहा है ! और आप जानते होंगें कोयल अपना घोसला तो बनाती नही -यह एक नीड़ परजीवी पक्षी है जो कौए जैसे चालाक पक्षी के घोसले में ,काग दम्पति की आंखों में धूल झोक कर अंडा भी दे आती है और बगलोल बना कौवा दम्पति कोयल शिशु को अपना समझ कर पालता पोषता है -एक दिन वह अहसान फरामोस भी अपने बाबुल के घर को उड़ चलता है -ठगे से रह जाते हैं कौवे !

लेकिन कभी कभी कोयल को इस खतरनाक खेल में जान की भी आहुति देनी पड़ जाती है -जैसा शायद इस बार हुआ ! कौवो ने कोयल को खदेडा या मारा पीटा भी शायद और वह बिचारी असमय ही कल कवलित हो गयी ! जिन्होंने मादा कोयल न देखी हो वे देख लें ध्यान से -यह भूरी सी होती है और शरीर पर सफ़ेद बुंदियाँ होती हैं !
कई लोगों ने इस चिडिया को पहचानने की ईमानदारी से कोशिश की और कुछ लोगों ने इसकी सही पहचान स्थापित करने में मदद की -मैं उन सभी का ह्रदय से आभारी हूँ !

मेरी भतीजी स्वस्तिका को सही उत्तर भी मिल गया और कोयल कौए के बीच की यह सच्ची कहानी भे उसे मालूम हो गयी !

Sunday, 10 May 2009

क्या आप इस चिडिया को पहचानने में मेरी मदद करेंगें ?


ऊपर का चित्र एक हतभाग्य पक्षी का है ! इसे सातवीं क्लास में पढने वाली मेरी भतीजी स्वस्तिका ने आज ही मेल से भेजा है -उसने फोन करके भी पूछा है यह कौन सी चिडिया है ! उसने बताया की यह चिडिया गाँव के घर के बरामदे में अचानक आकर गिरी और तुंरत ही ईश्वर को प्यारी हो गयी !
क्या आप इस चिडिया को पहचानने में मेरी मदद करेंगें ? मुझे स्वस्तिका को बताना है जो मेरे फोन का इंतजार कर रही है !

Monday, 4 May 2009

एक उल्लू शहर में !

यह है बार्न आउल जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है बनारस में !
बनारस में इन दिनों एक उल्लू चर्चा का विषय बना हुआ है ! जिसे एक बच्चे ने घायल अवस्था में वरुण नदी के पास परसों पाया और कलेजे से लगा कर रखे हुए हैं ! यह थोडा अलग सा है ! आज टाईम्स आफ इंडिया में पूरी रिपोर्ट यहा है ! मुझे इसके पहचान के लिए जब ब्यूरो चीफ बिनय सिंह जी ने पूंछा तो मेरे मुंह से इसे देखते ही निकल गया ,"अरे यह तो बार्न आउल /स्क्रीच आउल है -हिन्दी में बोले तो करैल !
वो कहते हैं ना-
बरबाद गुलिस्ता करने को बस एक ही उल्लू काफी है ,हर शाख पे उल्लू बैठे हैं अंजामे गुलिस्तां क्या होगा

मगर मुझे तो आज कल के माहौल पर अकबर इलाहाबादी का शेर ज्यादा फब रहा है !

कद्रदानों की तबीयत के अजब रंग हैं आज , बुलबुलों की ये हसरत की वे उल्लू हुए

बहरहाल टाईम्स आफ इंडिया का यह आलेख पढ़ ही लें ! और गहराई से उल्लू चिंतन के लिए यहाँ भी तशरीफ़ ले जा सकते हैं -बल्कि ले ही जायं अगर फुरसतिया हों !

Saturday, 2 May 2009

स्वाईन फ्लू की कुण्डली -कहीं ये दिन भी देखने न पड़ जायं (भविष्यवाणी ! )

क्या किसी ज्योतिषी ने स्वाईंन फ्लू के इस तरह विश्व-व्यापी बन जाने की भविष्यवाणी की थी ? यहीं चिढ होती है मुझे ज्योतिषियों से ! हे ब्लागरों ,ज़रा सावधान हो जाओ और ये भविष्यवाणी सुनों ! मगर ऐसा कोई दावा नही कि ये सोलहो आने सच होगीं -ये वैज्ञानिक भविष्यवाणी बोले तो फोरकास्टिंग है ! सच भी हो सकती है नही भी ! इसका मकसद बस आपको खबरदार रखना है ! और समय रहते आप अपनी कोई प्लानिंग कर सकें इसलिए ये भविष्यवाणी की जा रही है ! ब्लॉग दुनिया के सारे -गत्यात्मक अथवा गैर गत्यात्मक सभी ज्योतिषी भी पढ़ लें -मैं स्वाईंन फ्लू की कुण्डली बांचने जा रहा हूँ -

आज की ताजा हालात -
स्वाईंन फ्लू अब वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है इसमें कोई शंका नही है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन अब इसके चेतावनी के अन्तिम स्तर यानि ६ की भी घोषणा करने वाला ही है ! अब तक यह १६ देशों में फैल चुका है ! ३६५ मामलों की पुष्टि हो चुकी है -६०० से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं .भारत में भी इसका खतरा मंडरा रहा है ! महाराष्ट्र के जलगांव में १०० सूअरों के मरने से शंकाओं का माहौल गरम हो उठा है ! अभी चूकिं भारत के अधिकांश भाग तेज गरमी की चपेट में हैं इस पर कुछ अंकुश लगा हुआ रहेगा ! यह वाईरस ज्यादा तापक्रम पर सक्रिय नही रहता .मगर बेहद सावधानी की जरूरत है .इस बार खतरा कितना बड़ा है यह इसी से जान सकते हैं कि बर्ड फ्लू का चेतावनी स्तर अभी भी ३ पर कायम है जबकि यह महामारी अब ५ के स्तर से ६ तक पहुँचने वाली है !

अब कल क्या होगा ? मतलब क्या क्या हो सकता है ?

* मई माह बीतते बीतते पूरी दुनिया स्वाईंन फ्लू के पहले दौर ( फर्स्ट वेब ) के चपेट में आ जायेगी !

* दुनिया भर में रोग निवारण ,क्वैरेनटाईन शिविरों की स्थापना होगी -अमेरिका में तो इनकी भरमार होगी !

*जगह जगह रोड ब्लाक्स ,मिलिटरी पोस्ट और निगरानी ,मास्क और दास्ताने पहने लोग दिखेंगें ,जगह जगह स्वास्थ्य कर्मी लोगों की जांच , तापक्रम लेते दिखेंगें !

* देशी और अंतरास्ट्रीय हवाई यात्राये ,जमीनी परिवहन यकायक ठप पड़ सकते हैं !

*दैनिक उपभोग और खान पान के बिक्री स्टोर बंद हो जायेंगें -पेट्रोल पम्पों ,सरकारी दफ्तरों ,बैंको पर ताले लटकते नजर आयेंगें ! किसी प्रमुख अवकाश सा नजारा दिखेगा ! सड़कों पर कम कारें -टैफिक -बस मिलिटरी या पुलिस का भारी बंदोबस्त दिखेगा !

* फिर आएगा दूसरा दौर ( माईल्ड वेब ) -उपरोक्त स्थितियां और भी गंभीर हो उठेंगीं !

* वर्ष के अंत तक मारक लहर ( डेडली वेब ) भी आ जायेगी ! पूरी दुनिया में लोग मास्क पहने हुए होगें ! बाजार ,व्यावसायिक प्रतिष्ठान ,माल ,स्कूल कालेज अनिश्चित काल के लिए बंद हो जायेगें !

* लोगों को ज्यादातर घर के भीतर रहने को बाध्य होना होगा !

* समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा उठेगी -मंदी का एक नया दौर शुरू होगा !

* लोगों के दैनिक क्रिया कलाप ,रोजगार बुरी तरह प्रभावित होगें -केवल बहुत जरूरी खरीद फ़रोख्त -औषधियों ,अत्यावश्यक वस्तुओं की ही होगी -घर से प्रायः निकलने की मनाही होगी !

* दो प्रतिशत मृत्यु दर की सम्भावना होगी !

ये स्थितियां आ सकती हैं और नही भी -यह आपको डराने के लिए नही बल्कि आगाह करने के लिए है ! ज्ञात रहे १९१८ में इसी विषाणु H1N1 के चलते पूरी दुनिया में ४-५ करोड़ लोग मौत के मुंह में समां गए थे ! आज ऐसे विषाणु आक्रमणों से निपटने की हमारे पास बढियां रणनीति और संसाधन हैं फिर भी हमें किसी भी स्तर पर भी लापरवाही नही दिखानी है ! विज्ञान संचारक ब्लागरों ने स्वाईंन फ्लू की ताजातरीन खबरे आप तक पहुचाने की एक कार्यनीति तैयार कर ली है ! आप यहाँ की एक खिड़की में रोज ताक झांक कर सकते हैं !

सन्दर्भ :

http://forecastfortomorrow.com/Files/swineflu.pdf