विगत दिनों साईंस ब्लागिंग पर राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली और तस्लीम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साईंस ब्लागिंग के एक कार्यशिविर में भाग लेने का अवसर मिला . इस आयोजन में अन्य महानुभावों के साथ ही राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली के निदेशक डॉ. मनोज पटैरिया भी उपस्थित हुए .हिन्दी में साईंस ब्लागिंग की शुरुआत आशीष श्रीवास्तव ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति अगस्त ,2006 से और उन्मुक्त ने साईंस और साईंस फिक्शन पर वर्ष 2006 से ही कई बेहतरीन विज्ञान विषयक पोस्ट लिख कर किया. इस ब्लॉग ने इस विधा की संभावनाओं को देखते हुए तदनंतर भारत में साईब्लाग के नामकरण से नियमित साईंस ब्लागिंग की नीव भी तभी रख दी थी जब दुनिया के और विकसित देश इंटरनेट से जुड़े अन्य संभावनाओं में विज्ञान संचार का भविष्य तलाश कर रहे थे .
इस पहल का ही यह परिणाम था कि भारत में दुनियां का पहला साईंस ब्लॉगर असोशिएसन भी वजूद में आ गया जो सोसाईटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत है और इसका एक वैधानिक स्टेटस है. खुशी की बात है कि इन सद्प्रयासों का फल अब संगठित रूप लेता दिख रहा है .विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत हमारे कई मित्र अभी भी इस विधा को लेकर कई तरह के प्रश्न करते हैं जिनका जवाब मैं सहर्ष देता हूँ और आज यहाँ भी उन सवालों को उत्तर सहित रखना चाहता हूँ -
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग(विज्ञान चिट्ठाकारिता ) की परिभाषा क्या है ?
उत्तर -वह अंतर्जालीय विधा जो ब्लॉग के जरिये विज्ञान का संचार /लोकप्रियकरण करती है साईंस ब्लागिंग कही जाती है .
प्रश्न- कौन कर सकता है साईंस ब्लागिंग ?
उत्तर : वैज्ञानिक (अपने विषय विशेष से सम्बन्धित ), विज्ञान पत्रकार , साईंस के छात्र मुख्यतः ग्रेजुएट -पोस्ट ग्रेजुएट ,विज्ञान शोधकर्ता और पर्यावरण -वन्यजीवन विशेषज्ञ /सक्रियक और विज्ञान कार्यकर्ता/सक्रियक आदि साईंस ब्लागिंग कर सकते हैं .
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग का प्रतिपाद्य क्या है अर्थात इसके अधीन विज्ञान के किन विषयों को लिया जा सकता है ?
उत्तर -वे सभी विषय जिन्हें लक्ष्य वर्ग या आम जनता तक ले जाया जाना हो.
प्रश्न-विज्ञान ब्लागिंग का लक्ष्य वर्ग क्या है ?
उत्तर -यह निर्भर करता है कि साईंस ब्लॉगर कौन है ? यदि वह शोधरत वैज्ञानिक है तो वह अपने समवयी (पीयर )/ समान क्षेत्र में शोधरत वैज्ञानिकों को शोध की प्रगति और समस्याओं को अवगत कराने के लिए साईंस ब्लागिंग का सहारा ले सकता है . अगर वह विज्ञान का शैक्षणिक क्षेत्र का प्रोफ़ेसर है तो छात्रों को विषय की सरल सहज समझ के विकास को लक्षित कर साईंस ब्लागिंग कर सकता है ,यदि कोई पर्यावरण या वन्य जीवन का सक्रियक है तो आम लोगों तक इनसे जुड़े मुद्दों को उन तक पहुंचाने और इस तरह जन जागरण के लिए विज्ञान ब्लागिंग को जरिया बना सकता है . विज्ञान पत्रकार विज्ञान से जुड़े अनेक समाचारों , रपटों को संचारित कर सकता है . इस तरह विज्ञान ब्लागिंग का क्षेत्र बहुत व्यापक है और इसके तहत कई लक्ष्य वर्ग आ सकते हैं।
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग का उद्येश्य क्या है ?
उत्तर -विज्ञान का संचार और आम लोगों तक विज्ञान को सहज सरल तरीके से ले जाना और लोगों में वैज्ञानिक नजरिया उत्पन्न करना ,विज्ञान की अभिरूचि के साथ विज्ञान विषयों के प्रति जागरण ही साईंस ब्लागिंग का मुख्य उद्येश्य है .
इस समय विज्ञान के प्रति छात्रों में गिरती अभिरुचि को भी इससे पुनर्जीवित किया जा सकता है . बच्चों को विभिन्न सरकारें मुफ्त में लैपटाप दे रही हैं जो विज्ञान ब्लागिंग की ओर उन्हें सहज ही उन्मुख कर सकता है .
प्रश्न -एक विज्ञान ब्लॉगर से विज्ञान की जानकारी के अलावा और क्या अपेक्षित है ?
उत्तर : उसे अंतर्जाल पर कार्य करने का आरम्भिक अनुभव होना चाहिए . और कम्प्यूटर अप्लिकेशन्स /इस्तेमाल करने की मूलभूत बातें पता होनी चाहिए . यह जल्दी सीखा जा सकता है .
प्रश्न -ब्लॉग क्या है ?
उत्तर -यह आनलाईन डायरी है -वेब और लाग का संक्षिप्त रूप है ब्लॉग!
प्रश्न -कैसे बनाए जाते हैं ब्लाग ?
उत्तर -गूगल में हाऊ टू मेक अ ब्लॉग लिख कर सर्च करें और बताये लिंक पर जाएँ जहाँ ब्लॉग मिनटों में बनाने की साईट उपलब्ध हैं -हाँ किसी ब्लॉग को तकनीकी दृष्टि से समृद्ध करने के कई उपाय हैं जिन्हें तकनीकी विशेषज्ञों से सीखा जा सकता है .इस लिहाज से राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की जाने वाली कार्यशालाएं बहुत लाभकारी हैं .
प्रश्न -साईंस ब्लॉग का कंटेंट क्या हो ?
उत्तर -यह साईंस ब्लॉगर के ऊपर निर्भर है -यदि वह विज्ञान पत्रकार है तो विज्ञान से जुड़े समाचारों को कवर करेगा -रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ....और यदि पर्यावरण से जुडा कोई सक्रियक हुआ तो वह पर्यावरण से जुड़े मसलों को उठा सकता है -जन जागरण कर सकता है , व्हिसिल ब्लोवर की भूमिका भी निभा सकता है . एक विज्ञान शोधकर्ता वैज्ञानिक अपने शोध की समस्याओं को समान लोगों से साझा कर सकता है ,चर्चा कर सकता है !
एक सूचना है कि राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली और तस्लीम के संयुक्त तत्वावधान की आगामी कार्यशाला रायबरेली में हैं जिसके लिए आप तस्लीम के संयोजक डॉ जाकिर अली रजनीश( zakirlko@gmail.com) से सम्पर्क कर सकते हैं .
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग(विज्ञान चिट्ठाकारिता ) की परिभाषा क्या है ?
उत्तर -वह अंतर्जालीय विधा जो ब्लॉग के जरिये विज्ञान का संचार /लोकप्रियकरण करती है साईंस ब्लागिंग कही जाती है .
प्रश्न- कौन कर सकता है साईंस ब्लागिंग ?
उत्तर : वैज्ञानिक (अपने विषय विशेष से सम्बन्धित ), विज्ञान पत्रकार , साईंस के छात्र मुख्यतः ग्रेजुएट -पोस्ट ग्रेजुएट ,विज्ञान शोधकर्ता और पर्यावरण -वन्यजीवन विशेषज्ञ /सक्रियक और विज्ञान कार्यकर्ता/सक्रियक आदि साईंस ब्लागिंग कर सकते हैं .
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग का प्रतिपाद्य क्या है अर्थात इसके अधीन विज्ञान के किन विषयों को लिया जा सकता है ?
उत्तर -वे सभी विषय जिन्हें लक्ष्य वर्ग या आम जनता तक ले जाया जाना हो.
प्रश्न-विज्ञान ब्लागिंग का लक्ष्य वर्ग क्या है ?
उत्तर -यह निर्भर करता है कि साईंस ब्लॉगर कौन है ? यदि वह शोधरत वैज्ञानिक है तो वह अपने समवयी (पीयर )/ समान क्षेत्र में शोधरत वैज्ञानिकों को शोध की प्रगति और समस्याओं को अवगत कराने के लिए साईंस ब्लागिंग का सहारा ले सकता है . अगर वह विज्ञान का शैक्षणिक क्षेत्र का प्रोफ़ेसर है तो छात्रों को विषय की सरल सहज समझ के विकास को लक्षित कर साईंस ब्लागिंग कर सकता है ,यदि कोई पर्यावरण या वन्य जीवन का सक्रियक है तो आम लोगों तक इनसे जुड़े मुद्दों को उन तक पहुंचाने और इस तरह जन जागरण के लिए विज्ञान ब्लागिंग को जरिया बना सकता है . विज्ञान पत्रकार विज्ञान से जुड़े अनेक समाचारों , रपटों को संचारित कर सकता है . इस तरह विज्ञान ब्लागिंग का क्षेत्र बहुत व्यापक है और इसके तहत कई लक्ष्य वर्ग आ सकते हैं।
प्रश्न -साईंस ब्लागिंग का उद्येश्य क्या है ?
उत्तर -विज्ञान का संचार और आम लोगों तक विज्ञान को सहज सरल तरीके से ले जाना और लोगों में वैज्ञानिक नजरिया उत्पन्न करना ,विज्ञान की अभिरूचि के साथ विज्ञान विषयों के प्रति जागरण ही साईंस ब्लागिंग का मुख्य उद्येश्य है .
इस समय विज्ञान के प्रति छात्रों में गिरती अभिरुचि को भी इससे पुनर्जीवित किया जा सकता है . बच्चों को विभिन्न सरकारें मुफ्त में लैपटाप दे रही हैं जो विज्ञान ब्लागिंग की ओर उन्हें सहज ही उन्मुख कर सकता है .
प्रश्न -एक विज्ञान ब्लॉगर से विज्ञान की जानकारी के अलावा और क्या अपेक्षित है ?
उत्तर : उसे अंतर्जाल पर कार्य करने का आरम्भिक अनुभव होना चाहिए . और कम्प्यूटर अप्लिकेशन्स /इस्तेमाल करने की मूलभूत बातें पता होनी चाहिए . यह जल्दी सीखा जा सकता है .
प्रश्न -ब्लॉग क्या है ?
उत्तर -यह आनलाईन डायरी है -वेब और लाग का संक्षिप्त रूप है ब्लॉग!
प्रश्न -कैसे बनाए जाते हैं ब्लाग ?
उत्तर -गूगल में हाऊ टू मेक अ ब्लॉग लिख कर सर्च करें और बताये लिंक पर जाएँ जहाँ ब्लॉग मिनटों में बनाने की साईट उपलब्ध हैं -हाँ किसी ब्लॉग को तकनीकी दृष्टि से समृद्ध करने के कई उपाय हैं जिन्हें तकनीकी विशेषज्ञों से सीखा जा सकता है .इस लिहाज से राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की जाने वाली कार्यशालाएं बहुत लाभकारी हैं .
प्रश्न -साईंस ब्लॉग का कंटेंट क्या हो ?
उत्तर -यह साईंस ब्लॉगर के ऊपर निर्भर है -यदि वह विज्ञान पत्रकार है तो विज्ञान से जुड़े समाचारों को कवर करेगा -रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ....और यदि पर्यावरण से जुडा कोई सक्रियक हुआ तो वह पर्यावरण से जुड़े मसलों को उठा सकता है -जन जागरण कर सकता है , व्हिसिल ब्लोवर की भूमिका भी निभा सकता है . एक विज्ञान शोधकर्ता वैज्ञानिक अपने शोध की समस्याओं को समान लोगों से साझा कर सकता है ,चर्चा कर सकता है !
एक सूचना है कि राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद ,नई दिल्ली और तस्लीम के संयुक्त तत्वावधान की आगामी कार्यशाला रायबरेली में हैं जिसके लिए आप तस्लीम के संयोजक डॉ जाकिर अली रजनीश( zakirlko@gmail.com) से सम्पर्क कर सकते हैं .
8 comments:
वाह जी वाह
विज्ञान ब्लौगिंग को अभी एक लंबा सफर तय करना है. शुरुआत के संबद्ध में दी महत्वपूर्ण जानकारी का धन्यवाद...
तर्क बने आधार जगत का,
तर्क दुधारी हो लेकिन वह।
जनवरी 2005 में कानपुर आई.आई.टी. के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर आशीष गर्ग ने ज्ञान-विज्ञान पर चर्चा करने के लिये ब्लॉग बनाया था।
ज्ञान-विज्ञान ब्लाग का लिंक ये रहा!
http://www.webring.org/l/rd?ring=hindibloggers;id=22;url=http%3A%2F%2Fvigyaan.blogspot.in%2F2005%2F01%2Fblog-post.html
आभार अनूप जी इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए
मुझे याद रखने के लिये आभार।
उन्मुक्त जी ,
आपका उल्लेख न होना एक चूक होती और मेरी निजी कर्तव्यच्युति!
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