भारतीय सीमा में अनधिकृतरूप से आयी नयी मांगुर प्रजाति (?)
जी हाँ ,हम पहले से ही देश की सीमा में चोरी छिपे घुस आयी कई विदेशी मछलियों से जूझ रहे हैं कि और नयी मछली आ धमक पड़ी है .कोलकाता के बाजारों में इसे चाइना मांगुर के नाम से जाना जा रहा है ..ज्ञात हो कि अफ्रीकी मूल की विदेशी मांगुर -अफ्रीकन शार्प टूथ कैटफिश(Clarias gariepinus) के भारत में अनधिकृत रूप से आ धमकने से यहाँ के देशज मत्स्य संपदा के सामने संकट की स्थति आ गयी थी -क्योकि यह एक भयंकर मांसाहारी मछली है और अपने बच्चों तक को उदरस्थ कर लेती है ...मतलब इसमें स्वजातिभक्षण का भी दुर्गुण है ..प्राकृतिक जलस्रोतों में इनके दुर्घटनावश प्रवेश से देशज मत्स्य प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है -माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसके पालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था ...
और यह है भयंकर मांसाहारी अफ्रीकी मांगुर
अपनी देशी मांगुर(Clarias batracus ) जहां अमूमन दो से ढाई सौ ग्राम की मिलती है विदेशी मांगुर बाजारों में डेढ़ दो किलो से सात आठ किलो तक उपलब्ध है ....यह ५० किलो से भी ऊपर तक हो सकती है ....अपनी देशी मांगुर अब तेजी से विलुप्त होने की और बढ़ रही है ...यह एक चिंताजनक स्थिति है ..
संकट में अपनी देशज मांगुर
अभी हम विदेशी मांगुर की समस्या से जूझ ही रहे थे कि यह नयी रंगीन मांगुर प्रजाति फिर बाहर से आ टपकी है ....यह चोरी छिपे थाईलैंड -बांग्लादेश -बंगाल के जरिये भारत में प्रवेश पा चुकी है ...कभी एक सिल्क रूट हुआ करता था जिससे चीन के रेशम का व्यापार होता था -अब अवैध मत्स्य प्रजातियों के लिए एक नया प्रतिबन्धित मत्स्य रूट वजूद में आ चुका है ..जिसके सहारे यह नयी गुलाबी मांगुर प्रजाति भारत में प्रवेश पा चुकी है -इसकी प्रजाति पहचान के प्रयास हो रहे हैं -आरम्भिक पड़ताल से लगता है कि यह ऐक्वेरियम के लिए
संभवतः लाई गयी थी मगर विदेशी मांगुर के बैन किये जाने और देशी मांगुर की उपलब्धता निरंतर कम होते जाने से उपजी रिक्तता का फायदा चालाक मत्स्य व्यवसायी उठाना चाह रहे हैं ....यह नयी मछली अभिशाप होगी या वरदान यह जांच का विषय है -इसके जिन्दा नमूने (लाईव स्पेसेमेन ) नेशनल ब्यूरो आफ फिश जेनेटिक्स रिसोर्सेज लखनऊ को पहचान और विस्तृत दिशा निर्देश के लिए भिजवा दिए गए हैं जो देश में विदेशी मत्स्य प्रजातियों पर निगाह रखने के लिए नोडल विभाग है ....उनकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा है!
प्रिंट मीडिया ने भी कवर किया इस पोस्ट को सौजन्य ब्लोग्स इन मीडिया
प्रिंट मीडिया ने भी कवर किया इस पोस्ट को सौजन्य ब्लोग्स इन मीडिया
6 comments:
मछलीहारी मछली।
यहां भी चाइनीज!
Reading something like this first time.
Nice read !!
नई प्रजाति की मछलियों की आमद किसी कारण विशेष से migration तो नहीं!
ये रंगीन मान्गुरें तो भाई साहब इस देश की राजनीति को भी डस रहीं हैं .जो इनके खिलाफ बोलता है उसका "गडकरी "बना दिया जाता है ।
मत्स्य उद्योग को लेके आपने गंभीर विषय की तरफ ध्यान आकृष्ठ किया है .देखें ऊँट किस करवट बैठता है .
kya baat hai....mere liye bilkul nai jaankari...sadhuwad..
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