Wednesday, 22 June 2011

विज्ञान संचार के लिए ब्लागिंग लिटरैसी

 विगत दिनों (२० जून २०११) को पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में विज्ञान क्लब ने एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया ..."विज्ञान संचार के लिए ब्लागिंग लिटरैसी" ..इस कार्यक्रम में छात्रों को ब्लागिंग के गुर बताये गए और अभिव्यक्ति के इस नए माध्यम को कैसे विज्ञान संचार के लिए उपयोग में लाया जाय इसकी भी जानकारी दी गयी .....भारत में ऐसे कार्यक्रमों की शुरुआत यहाँ आम जन में वैज्ञानिक नजरिये के विकास के लिहाज से एक स्वागत योग्य कदम है ...भारत में साईंस ब्लागिंग की शुरुआत साईंस ब्लागर्स असोसिएशन से हुई और यह समूचे विश्व में भारत की एक पहल थी ....वैसे अब अंतर्जाल पर साईंस ब्लागिंग के कई निजी ,व्यक्तिपरक  प्रयास तो हैं मगर अब भी इस देशा में संगठित सामूहिक प्रयास कम ही हैं ....अब विज्ञान चिट्ठाकारिता का दायरा बस अन्तर्जाल के आभासी संचार तक ही सीमित नहीं रह गया है। विज्ञान चिट्ठों से जुड़ी गतिविधियों की धमक अन्तर्जाल से बाहर भी पहुँच रही है जिसके परिणाम हैंसांइस ब्लॉगिंग से जुड़े कई ऐसे सेमिनार, परिचर्चायें और कार्यशालाएं   ....

वैज्ञानिक चिन्तन के यज्ञ में नई जानकारियों और नजरिये के हविदान के लिए विज्ञान ब्लॉग श्रेष्ठ संचार माध्यम बन चले हैं। ये अन्तर्जाल युग के विज्ञान यज्ञ में हविदानकर्ता ब्लागर की सदैव सजग उपस्थिति के द्योतक भी हैं। विज्ञान ब्लॉग समाज सेवा की दीगर गतिविधियों की ही तरह `विज्ञान सक्रियकों´ की एक नई जमात को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ये समाज में व्याप्त अन्धविश्वास,और जड़ता के खिलाफ एक पुरजोर अभियान के रुप में सामने आ रहे हैं। यह विज्ञान की सामाजिक सक्रियता (Pro-Science activism) की एक मिसाल हैं।
विज्ञान क्लब देवरिया के संयोजक अनिल त्रिपाठी ने आयोजित की साईंस ब्लागिंग कार्यशाला 

अब ऐसा लग रहा है कि साइंस ब्लॉगिंग `विज्ञान के अन्तर्राष्ट्रीयकरण´ का भी तेजी से मार्ग प्रशस्त कर रही है जो `विज्ञान के संचार´  के परम्परागत ढ़ाँचे  में आमूल चूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान की आम समझ तो बढ़ेगी ही वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच की खाई भी पटती जायेगी। इसके चलते जहाँ कई स्थानिक मुद्दे वैश्विक ध्यानाकर्षण की परिधि में आ जायेंगे वहीं कई ग्लोबल मुद्दे स्थानीय परिप्रेक्ष्यों में प्रासंगिक हो सकेंगे। यह स्थानीय मुद्दों को वैश्विक नजरिये से हल करने के `ग्लोकल´ (ग्लोबल + लोकल=ग्लोकल) दृष्टिकोण का भी मार्ग प्रशस्त करेगा।

दरअसल पाठकों/उपभोक्ताओं के लिए ब्लॉग पत्रकारिता की दुतरफा संवाद सुविधा पारम्परिक विज्ञान पत्रकारिता में सहज रुप से सम्भव नहीं रही है। जानकारियों को शीघ्रता से अद्यतन करते रहने और पाठकों के लिए हर वक्तहर जगह (घर से कार्य स्थान तक कहीं भी) सहज ही ब्लॉग उपलब्ध हैंयहाँ तक मोबाइल के जरिये भी।

 विज्ञान ब्लॉगिरी (या ब्लॉगरी) की छतरी में ये सभी घटक सहज ही समाहित हो सकते हैं। इसी तरह ब्लाग वैयक्तिक यानि एक व्यक्ति संचालित या साझा यानि कई लोगों द्वारा मिलकर संचालित हो सकते हैं। देवरिया में सम्पन्न कार्यक्रम के प्रतिभागियों को ब्लागिंग साक्षरता का पाठ पढाया गया ..  विज्ञान संचार का एक नया (ब्लागिरी) युग आरम्भ हो गया है। जहाँ एक पाठक ही नहीं एक ब्लागर की हैसियत से भी आपका सिक्का जम सकता है।क्या आपकी रूचि साईंस ब्लागिंग में है?

भारत में ऐसी  शुरुआत सांइस ब्लॉगर सोसियेशन  से हो चुकी है जो सम्भवत विश्व में विज्ञान ब्लागरों को एक मंच पर लाने का  अनूठा  पहला प्रयास था ।हमें ऐसे सहयोगियों /फंडिंग एजेंसियों की मदद की दरकार है जो विज्ञान ब्लागिंग के जरिये भारत के विभिन्न प्रान्तों में विज्ञान संचार की मुहिम चला सकें ....कोई सरकारी या गैर सरकारी संस्था  मदद को आगे आयेगी? 


15 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

विज्ञान को रोचक बनाने में बहुत सहायक सिद्ध होगी यह विधा।

योगेन्द्र मौदगिल said...

badiya shuruaat......ruchikar prastuti....sadhuwad

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

विज्ञान विषय आधारित ब्लॉगरों की संख्या बढनी चाहिए।

सार्थक समाचार, शुभकामनाएं

अभिषेक मिश्र said...

ब्लॉग वाकई विज्ञान प्रसार को अन्तराष्ट्रीय पटल तक ले जा सकने में सक्षम हैं.

डा० अमर कुमार said...

सच है.. हिन्दी में विज्ञानपरक डाटाबेस लगभग न के बराबर हैं,
परन्तु यहाँ कि दशा और दिशा तो पोस्ट की टिप्पणीपरकता निर्धारित करती है.. सो ?
मसलन.. भूत..प्रेत..पुनर्जन्म इत्यादिइत्यादिइत्यादि .. इति-यदि !

Darshan Lal Baweja said...

अभी पाठकों की बेहद कमी है लोग कविता कहानी और राजनीती मे ज्यादा उलझे हैं यह विद्या तभी सार्थक है जब सस्ते अंतर्जाल की पहुँच उन बच्चों तक हो जाए हो हिंदी ही जानते हैं जैसे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे,कुछ ये वाले बच्चे अंतर्जाल तक अपनी पहुँच बना पायें है परन्तु फिर उन की रूचि अंतर्जाल पर उपलब्ध अन्य सामग्री मे ज्यादा हो जाती है ४-५ वर्षों तक हालात कुछ और होंगे.
धन्यवाद,इस ब्लोगिंग वर्कशाप को भी प्लान करते हैं निकट भविष्य मे ....

निर्मला कपिला said...

बहुत सार्थक प्रयास । शुभकामनायें बधाईयाँ।

वाणी गीत said...

अंधविश्वास की जड़ें काटने में मददगार रहेंगी यह मुहीम ...
शुभकामनायें !

वाणी गीत said...

अंधविश्वास की जड़ें काटने में मददगार रहेंगी यह मुहीम ...
शुभकामनायें !

Admin said...

bahut sundar aapka blog bahut sundar hai mere blog me aane ke liye link

virendra sharma said...

Vigyaan -blogiyaageeri :Sir you have high lighted the various aspects of science blogging .It was a wonderful workshop reported by you .We need more and more of Popular science write ups in lucid and palatable form .Very truly elaborated by yo sir .Sir sorry could not comment in Hi due to technical reasons .Reaching back Detroit (Canton county )this late evening .Regards .

virendra sharma said...

Vigyaan -blogiyaageeri :Sir you have high lighted the various aspects of science blogging .It was a wonderful workshop reported by you .We need more and more of Popular science write ups in lucid and palatable form .Very truly elaborated by yo sir .Sir sorry could not comment in Hi due to technical reasons .Reaching back Detroit (Canton county )this late evening .Regards .

virendra sharma said...

चिठ्ठा ज्ञान ,चिठ्ठा साक्षरता और चिठ्ठा संवाद इस दौर की ज़रुरत है .आपने सार्थक मुद्दे उठाए हैं .हर कोई जुड़ सकता है विज्ञान चिठ्ठों से और अपनी शंका का समाधान पा सकता है ,प्रश्नोत्तरी के जरिये .आप पूंछे हम बताएं के ज़रिये .

Arvind Mishra said...

Thanks Veerubhai for valuable guidance!

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छा.. ऐसे आयोजन लगातार होने चाहिए।
शुभकामनाएं..