इन दिनों शाम को उत्तर और पूर्व के कोने पर एक बड़ा सा टिमटिमाता तारा दिख रहा है -मैं इससे परिचित नहीं था तो मैंने अर्थस्काई से पूछ लिया -उन्होंने कन्फर्म कर दिया कि यह वेगा है -हिन्दी में अभिजित ....हिन्दी पंचांग अभिजित को २८वां नक्षत्र मानता है और कहते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म और विवाह अभिजित नक्षत्र में हुआ था मतलब उस समय सूर्योदय के समय चन्द्रमा अभिजित नक्षत्र में थे.....
अब अभिजित तारा शुभ है या अशुभ यह तो मैं नहीं मानता मगर राम का जीवन तो यही बताता है कि उनका पूरा जीवन ही बहुत संघर्ष और कष्टमय बीता -मगर मैंने कल ही यह तारा देखा तो तुरंत ही सम्मोहित हो उठा ...कहते हैं इस तारे का उल्लेख महर्षि वेदव्यास ने महाभारत के वन पर्व(अध्याय 230, श्लोक 8–11) में किया है जाहिर है इस तारे को लेकर हजारों वर्ष से लोगों को उत्सुकता रही है ..
खगोलीय ग्रीष्म त्रिकोण
Courtesy:http://earthsky.org/
वेगा यानि अभिजित एक खगोलीय ग्रीष्म त्रिकोण की निर्मिति करता है -मतलब दो और तारों के शीर्ष पर रहकर एक त्रिभुज बनाता है.आप ऊपर के चित्र देखकर इस ग्रीष्म त्रिकोण की स्थिति भलीभांति समझ सकते है हैं -अन्य दोनों तारें हो सकता है आपको ठीक से न दिखें मगर अभिजित तो बड़ी ही प्रमुखता से सायंकालीन बेला और रात गए तक चमक रहा है -आप इसे रात साढ़े आठ बजे उत्तर और पूर्व के कोने पर आसानी से देख सकते हैं .
12 comments:
पँडित जी, इसे देखने के फलाफल का निर्धारण किये बिना ही पोस्ट ठेल दिया ? :)
वैसे आपकी सूचना हेतु बता दूँ कि स्टेलॅरियम नाम का एक फ़्री शोर्स सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करके आप अपने कम्यूटर लैपटॉप पर भी आसमान की मौज़ूदा स्थिति देख सकते हैं । इसे http://www.stellarium.org/ से डाउनलोड करें ।
इसका लाभ यह है कि, साँझ सबेरे आपको आकाश ताकते कोई पकड़ नहीं सकता :-)
फिल्मों के प्रेम त्रिकोण ही देखे हैं अब तक।
हमने आकाश को ताकना छोड़ दिया था, परंतु अब फ़िर से ताक झांक शुरु करनी ही पड़ेगी। लगता है कि कहीं कुछ छूट गया है।
धन्यवाद जी....
चकिये आज देखेगे...
डा० अमर कुमार
लिंक के लिए धन्यवाद ,
अब जो मजा खुले आसमान को निर्बाध नैसर्गिक निहारने में है वह कहाँ उसे नेट पर निहारने में ....
आप तो अभी ही सभ्यता को कैदखाने में राख देना चाहते हैं जबकि अभी तेजाबी बरसात का भी दौर नहीं दौरा है ...
देखते हैं इस त्रिकोण को भी..
आजकल सहरों में रात में रोशनी के कारण आकाश में तारे देखना मुश्किल होता है। शहर से बाहर देखने में ही अचअछा होता है,
क्या आप गंगा के तट पर रोशनी रहित जगह तारे देखते हैं।
उन्मुक्त जी ,
इन तारों /ग्रहों को देखने के लिए मैं झट से छत पर जाता हूँ जब बिजली चली जाती है जो इन दिनों सौभाग्य से ज्यादा जा रही है ..थोड़ी देर आँखों की कंडीशनिंग के बाद खगोल संसार का सिमसिम साकार हो जाता है !
आप भी try करें !
मैं भी ट्राई करता हूँ.
नौमी तिथि मधुमास पुनीता ,
सुकल पक्ष "अभिजित "हरी -प्रीता .
श्री राजा राम दशरथ पुत्र के जन्म से ही तालुक्क रखता है मानस का यह श्लोक .आभार आपका जानकारी के लिए .
jaankari ke liye dhanyawad!!!
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