Saturday 16 January 2010

दुखी मानवता के लिए फलित ज्योतिषी एक स्थाई राहत केंद्र हैं!

यह पोस्ट अभी भी एक  ब्लॉग पर चल रही निरर्थक बहस से प्रेरित है .जहाँ एक फलित ज्योतिषी हठयोग किये हुए है कि उसकी  भविष्यवाणी गलत हो ही नहीं सकती ..... विज्ञान और फलित ज्योतिष का बड़ा फर्क भी यही है .एक विज्ञानधर्मी के शोध नतीजों को जब दूसरा विज्ञानी आपने प्रयोग परीक्षणों के आधार पर (ज्यादातर तो  आंशिक ही)  पूरी तरह से भी खंडित कर देता है तो इतनी हील हुज्जत नहीं होती जितनी की इंगित ब्लॉग पर हो रही है. वैज्ञानिक नए तथ्यों को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं क्योकि विज्ञान की पद्धति यही है,संस्कार भी यही है . वैज्ञानिक पद्धति एक तार्किक और  विश्लेषणात्मक  तरीके पर आधारित है -जहाँ जिज्ञासाओं के समाधान हेतु  कल्पित संभावनाए और फिर अनेक संभावनाओं में से सही कौन है के चुनाव के लिए प्रयोग परीक्षण और पुनि पुनि सत्यापन के बाद प्राप्त नतीजा स्वीकार किया  जाता है .और यह विज्ञान   विधि गोपन नहीं है ,सर्वज्ञात है . कोई भी इस पद्धति को  सत्यनिष्ठा से अपना कर शोध कार्य कर सकता है और नतीजों पर पहुँच सकता है.

अब फलित ज्योतिषी पहले तो ऐसी किसी पद्धति को नहीं अपनाते ...और अगर कोई पद्धति अपनाते भी हैं  तो वह बहुत कुछ गोपनता लिए होती है .और  नतीजे भी  दोहरी व्याख्या लिए होते हैं -मतलब चित भी मेरी और पट  भी मेरी ! जैसे एक ज्योतिषी को बताना  था कि   अमुक व्यक्ति  को लड़का होगा या लडकी तो उसने एक लिफ़ाफ़े में अपनी महान भविष्यवाणी बंद कर चुनौती दी कि जब संतानोत्पत्ति हो तभी इसे खोला जाय ,बहरहाल जजमान को पुत्री हो गयी -लिफाफ खोला गया -लिखा था -पुत्री न पुत्रा .ज्योतिषी जी ने तुरंत व्याख्यायित कर दिया -मैंने कहा था न कि पुत्री ....न पुत्रा... अब देखिये पुत्री हुई. फलित ज्योतिषियों का यही आजमूदा नुस्खा है.आप उनसे पार नहीं पा सकते .

मैं फलित ज्योतिष और इनके पोषकों और अनुयाइयों से बहुत खार खाता  हूँ मगर एक बात मुझे रोकती है जेहाद छेड़ने में -इनके चलते बहुत से लोग जीवन में आशा की किरण देखते है ,दुश्चिंताओं से थोडा बच जाते हैं -दुखी मानवता के लिए ये फलित शास्त्री एक स्थाई राहत केंद्र हैं -मगर हाँ विज्ञान की भावना के कट्टर उन्मूलक भी है ये. और इसलिए विज्ञान प्रेमियों को इनके पुरजोर विरोध में लगातार सक्रिय रहना चाहिए -ताकि दुनिया में अन्धविश्वास का ही  एक छत्र राज्य न हो जाय.इधर कुछ दिनों से ब्लागजगत में इनकी धमाचौकड़ी फिर बढ रही है ऐसे में हमें कुछ और तस्लीम और साईंस ब्लागर्स चाहिए जो निरंतर ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश का अभियान छेड़ सकें .



फलित ज्योतिष(अस्ट्रोलोजी)  और ज्योतिष /ज्योतिर्विज्ञान(अस्ट्रोनोमी ) में बहुत फर्क है .एक मात्र पत्रा  देख कर ऊलजलूल भविष्यवाणियाँ करता  है तो दूसरा  गणनाओं की पुष्टि स्वरुप आसमान /अन्तरिक्ष को भी निहारा करते हैं -अस्ट्रोनोमी का जहां आशातीत विकास हुआ है अस्ट्रोलोजी बाबा  आदम के ज़माने के आगे नहीं बढ सकी है ...और बढ़ना भी नहीं चाहती. फलित ज्योतिष आज भी आदि मानवों के भय आशंकाओं  को केंद्र बनाकर भविष्यवाणियाँ करता है -ग्रहण में कुछ खाओ पीओ मत ,दक्षिण की दिशा में मत जाओ ,सोमवार को पूर्व दिशा में मत चलो आदि आदि हास्यास्पद निर्देशों के ऊपर नहीं उठ सका है फलित ज्योतिष. घबराये, डरे लोगों का मनोविज्ञान आज भी फलित को जिलाए हुए हैं .कल सूर्यग्रहण था लोग बाग़ पर कोई असर नहीं दिखा ,ज्यादातर लोग खान पान करते दिखे .ऐसे ही जब लोगों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति का प्रसार हो जायेगा फलित ज्योतिष के अलविदा का पल आ पहुंचेगा .लेकिन अभी सम्पूर्ण शिक्षा और वैज्ञानिक  मनोवृत्ति का लक्ष्य दूर है ..तब तक ज्योतिषियों की चांदी  रहेगी .
ॐ फलित ज्योतिर्विद्याय नमः

16 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप से सहमत हूँ।
काउंसलिंग के लिए ज्योतिषी की बहुत बड़ी भूमिका है। लेकिन वह व्यक्तिगत चीज है। एक काउंसलर के रूप में ज्योतिषियों की महति भूमिका रही है। लेकिन आज कल इस उद्देश्य के लिए हर तरह के काउंसलर सामने आ रहे हैं जो वैज्ञानिक पद्धति से काम करते हैं।
दूसरी ओर ज्योतिषियों ने काउंसलिंग की जगह ठगी का धंधा अख्तियार कर लिया है। विशेष रूप से मीडिया पर आ कर तो उन्हों ने जनता को इस अंधविश्वास को जन जन तक पहुँचाने का अभियान छेड़ दिया है। सब से पहले तो मीडिया पर इस अंधविश्वास का प्रचार प्रतिबंधित होना चाहिए। सार्वजनिक रूप से भविष्यवाणी कर देने और उस के मिथ्या निकलने को दंडनीय अपराध घोषित होना चाहिए।

समयचक्र said...

काफी कुछ सहमत हूँ . कल स्टार न्यूज़ टी.वी. चैनल में कल विज्ञान और ज्योतिष को लेकर काफी बहस चल रही थी . वैसे दोनों से आत्म संतुष्टि प्राप्त होती है .... सभार बढ़िया आलेख के लिए ...

समयचक्र said...

काफी कुछ सहमत हूँ . कल स्टार न्यूज़ टी.वी. चैनल में कल विज्ञान और ज्योतिष को लेकर काफी बहस चल रही थी . वैसे दोनों से आत्म संतुष्टि प्राप्त होती है .... सभार बढ़िया आलेख के लिए ...

अन्तर सोहिल said...

"आज नही है कल हो जायेगा"
यही आशा राहत का काम करती है और सडकछाप ज्योतिषी इसी का लाभ लेते हैं।

प्रणाम स्वीकार करें

संगीता पुरी said...

अस्ट्रोलोजी बाबा आदम के ज़माने के आगे नहीं बढ सकी है ...और बढ़ना भी नहीं चाहती.
क्‍यूं नहीं बढना चाहेगी ये .. पर जहां सभी विज्ञान एक दूसरे के सहारे से आगे बढ रहे हैं .. इसे आप विज्ञान मानने को ही तैयार नहीं .. हमें यह बताएं कि वैज्ञानिक ऐसा क्‍यूं मान लेते हैं कि अस्ट्रोलोजी विज्ञान नहीं है .. पर्याप्‍त शोध के अभाव में ज्‍योतिषी बाबा आदम के जमाने(जैसा कि आप कह रहे हैं) की पुस्‍तके पढने को मजबूर है .. क्‍यूंकि पाश्‍चात्‍य शिक्षा पद्धति ने इसकी मान्‍यता नहीं दी।

संगीता पुरी said...

लिखा था -पुत्री न पुत्रा .ज्योतिषी जी ने तुरंत व्याख्यायित कर दिया -मैंने कहा था न कि पुत्री ....न पुत्रा... अब देखिये पुत्री हुई.
वो उस जमाने की बात होगी .. जब लोग मूर्ख हुआ करते थे .. मैं ग्रहों की स्थिति को देखकर तिथि के साथ किसी विषय पर संभावना की तलाश करते हुए बुद्धिजीवी वर्ग के मध्‍य भविष्‍यवाणियां करती हूं .. अगस्‍त के महीने में स्‍वाइन फ्लू फैला था .. वैज्ञानिक घबडाए हुए थे .. पर मैने स्‍पष्‍ट कहा था कि अगस्‍त के मध्‍य में जितनी भयावह स्थिति बनी हुई है .. उसके बाद नहीं रहेगी मेरे आलेख का अंश देखें ...
इस प्रकार ग्रहों के हिसाब से सर्दियों में इसकी वृद्धि का डाक्‍टरों द्वारा किया जानेवाला अनुमान गलत साबित होना चाहिए । जनवरी 2010 के बाद यह वायरस नाममात्र ही रह सकता है , जिसे नियंत्रित कर पाना काफी आसान होगा।
इस तरह की एक नहीं पचासो भविष्‍यवाणियां मैने की है .. किसी एक के कहने से फलित ज्‍योतिष गलत नहीं हो सकता है !!

संगीता पुरी said...

स्‍वाइन फ्लू वाले पोस्‍ट का लिंक ये रहा ...
http://sangeetapuri.blogspot.com/2009/08/blog-post_12.html

संगीता पुरी said...

फलित ज्योतिष के अलविदा का पल
असंभव .. मैं उस दिन के इंतजार में हूं .. जब प्रत्‍येक घर का प्रत्‍येक सदस्‍य को फलित ज्‍योतिष के वैज्ञानिक तथ्‍यों की जानकारी हो जाए .. क्‍यूंकि उसके बाद वह किसी अंधविश्‍वास या दूसरे के बहकावे में नहीं आ सकेगा !!

Arvind Mishra said...

@बिलकुल सही कहा आपने दिनेश जी ,मिथ्या भविष्य फल बताना अब संज्ञेय अपराध घोषित हो तभी ठीक है !

डॉ. मनोज मिश्र said...

ऐसे तो इस झूठ विद्या के वाचन वालों का का होगा?

Himanshu Pandey said...

सही कहा आपने ! काउंसिलर्स के तौर पर ज्योतिषी ठीक हैं, इस बात से सहमत हूँ , और इसका व्यापक अर्थ भी है ।

रोचक प्रस्तुति !

mukti said...

गणित ज्योतिष तो निश्चित ही एक विज्ञान है. यद्यपि मैं स्वयं गणित और फलित दोनों ही प्रकार के ज्योतिष को नहीं मानती हूँ. परन्तु मेरे विचार से फलित ज्योतिष भी एक प्रकार की विद्या है, यदि वह अन्धविश्वास नहीं फैलाती तो. हाँ, यदि वह अन्धविश्वास को बढ़ावा देती है, तो उसका विरोध होना चाहिये.

तनु श्री said...

कर्म ही प्रधान है,भाग्य भरोसे जीवन की नैया पार नही होगी .

Dr. Shreesh K. Pathak said...

इसका एक विधा के स्तर पर विरोध करते जाना हमारे वैज्ञानिक मन का परिचायक नही है..!
विज्ञान भी संभावनाओं के चरण से गुजर कर जाता है..इसके साथ भी स्थापनाएं टूटती हैं और गढ़ी जाती हैं..!

सतत प्रयोग और परिणाम से ही तय हो पाता है. सो कोई झूठ का महात्म्य गाया जा रहा हो तो विरोध जरूरी पर यदि कोई व्यक्ति अपने स्तर से कार्य/श्रम करके कुछ कर रहा हो तो ठीक है..अपनी-अपनी तर्क प्रणालियाँ हैं..एक विज्ञान मन का जिज्ञासु तो हर विधा को सम्मान की नज़र से देखेगा और पोंगापंथी का विरोध भी दृढ हो करेगा..!

मै कई ज्योतिषियों को जानता हूँ जो उच्च-प्रशिक्षित,गंभीर और विद्यारागी हैं..उनका विज्ञान का ज्ञान चमकृत करता है..इसके इतर धोखे बाजों की बात ही क्या..!

स्पष्ट रूप से मै किसी विधा के विरोध के विरोध में हूँ...!

विवेक रस्तोगी said...

ज्योतिष एक विज्ञान है, और इसमें कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने स्वार्थ का उल्लू सीधा कर रहे हैं, शायद यह पोस्ट उन लोगों के लिये लिखी गई है।

निर्मला कपिला said...

मैं श्रीश पाठक जी से पूरी तरह सहमत हूँ। हर विद्द्या का दुरुपयोग हुया है क्या साईंस का दुरुपयोग नहीं हो रहा हमे इन दुरुपयोगों का विरोध करना चाहिये न कि किसी विद्या को ही नकार देना चाहिये। धन्यवाद्