मैं आज मानव प्रणय श्रृखला को आगे ले जाना चाहता था मगर न जाने किस अज्ञात प्रेरणा से इसी विषय से सम्बन्धित लगभग उन्ही तथ्यों के साथ एक पोस्ट फिर यहाँ आ गयी -अब स्तब्ध मैं अपने लिखे को कूड़े में मतलब फिलहाल रिसायिक्लिन बिन में डाल कर अब आपके लिए कुछ नया लेकर आया हूँ -वो कहते हैं न कि दुनिया में और भी गम हैं इक मोहब्बत के सिवा !
मैंने पिछले दिनों मैदानी कार्यों पर ज्यादा ध्यान लगाया और तभी यह कौंधा कि अपने काम के सिलसिलें से जुडी कुछ "वैज्ञानिक ,रचनात्मक .कलात्मक " बातों को अपनी सरकारी सेवक आचरण नियमावली के प्रावधानों के बिना उल्लंघन के आपके साथ साझा कर सकता हूँ ! तो क्यों नहीं इस छूट का लाभ उठाऊँ !
मैंने पिछले दिनों एक अफ्रीकी मूल की मछली टिलैपिया की चर्चा की थी जिसे चोरी छिपे घुसपैठियों ने भारत में ला दिया और आज इसने गंगा और सहायक नदियों में बाकी मछलियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है ! इन जीवों की स्थिति भी म्यान में बस एक तलवार की होती है ,बस यहाँ म्यान को वैज्ञानिक लोग niche -नीशे बोलते हैं -मतलब यह शब्द किसी भी जीव के एड्रेस और आक्यूपेशन -पते और काम दोनों का एक साथ बोध कराता है ! मतलब अगर टिलैपिया ने किसी niche को कब्जिया लिया है तो सीधा यह मतलब है कि उस niche में पहले से वास करने वाली मछली के दुर्दिन आ गये ! वह कालांतर में विलुप्त भी हो सकती है !
अभी टिलैपिया का आतंक बदस्तूर जारी है तभी एक और चोरी छिपे मछली प्रजाति भारत में बरास्ते बंगाल स्मगल हो आ गयी है और अभी जब मैंने इसे एक तालाब में अचानक देखा तो होश हवाश गुम -अरे यह तो पिरान्हा लग रही है जो अमेरिकन मूल की मछली है -अब बिचारा मछली पालक परेशान -"नहीं साहब यह रूप चंदा है -इसका जीरा (शिशु मीन ) मुझे एक एक रूपये में मिला है ! मैंने दो हजार खरीदे हैं -बंगालियों का कहना है कि यह बहुत जल्दी बढेगी ..." अब उसे कौन बताये कि यह मछली अमेरिका की कुख्यात पिरान्हा है जिसके बारे कहा जाता है और कुछ हद तक सच भी है कि यदि पिरान्हा से भरे टैंक में किसी बड़े जानवर को भी डाल दिया जाय तो बमुश्किल १५ मिनट में उसके शरीर पर मांस का एक रेशा भी नहीं बचेगा !केवल कंकाल ही रहेगा ! अब ऐसी मछली यदि खुली कुदरती जल धाराओं में आ गयी तो क्या कहर गुजरेगा यह सहज ही कल्पनीय है !
सुन्दर सलोनी मछली मगर खतरनाक कितनी ?
उत्तर प्रदेश से पिरान्हा परिवार की इस मछली की यह पहली रिपोर्ट मेरी जानकारी में है -जो प्रजाति -पहचान मैंने की है वह है -
Pygocentrus nattereri और जो चित्र मैंने लिया है वह भी देखिये -इसकी सुन्दरता पर मत जाईये -यह बहुत खतरनाक है !
अभी इन मछलियों को कानूनन बैन नहीं किया गया है ! जबकि इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक कमेटी भी है जो बाहरी जनन द्रव्यों -जर्म प्लाज्म के आंतरिक निवेशन की समीक्षा और रोक के लिए ही है ! हमें तो फील्ड में वही करना है जो निर्देश मिलेगा! बस इसकी रिपोर्ट ऊपर भेज देते हैं !
13 comments:
मछली के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आभार.
बहुत बढ़िया विस्तार से जानकारी देने का आभार.
यूँ ही ज्ञानवर्धक करें...
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Tech Prevue: तकनीक दृष्टा
आप को जिस काम के लिए सरकार ने नियुक्त किया है वह तो बहुत बड़ा काम लग रहा है।
इस देश में बड़ी-बड़ी खुफ़िया एजेन्सियाँ और पुलिस टीमें आदमियों की स्मगलिंग और गैर कानूनी आवाजाही नहीं रोक पा रही है। विदेश से आने वाले आतम्कियों का हमला भी नहीं रुक पा रहा है। आपको तो निहत्था होकर पानी के रास्ते आने वाली खतरनाक प्रजातियों की मछलियों का आना और कहर बरपाना रोकने का काम मिला हुआ है।
बाप रे, कैसे करते हैं यह सब...?
पिरान्हा का तो नाम ही झुरझुरी पैदा करने के लिये काफ़ी है. नदियों में इसकी उपस्थिति तो खौफ़नाक खबर है.
हैदराबाद के मछलीघर में पिरान्हा देवी के दर्शन किये थे. कतई सुंदर नहीं लगी थीं. शायद इनकी ख्याति हावी रही होगी हमारे दिमाग पर.
बढ़िया लेख.
अजी भारत मै क्या क्या रोकेगे ? ओर कोन रोकेगा ? बहुत सी ओर भी कई बाते है जो ठीक नही लेकिन सब को अपनी पडी है, देखे कब होती है इस मच्छली की रोक थाम, या होती भी है??
आप ने जानकारी बहुत अच्छी दी.
धन्यवाद
ये विदेशी मछलियाँ तो तबाही ला देंगी । अच्छी जानकारी के लिये आभार ।
घुसपैठिये मछलियाँ क्यों ला रहे हैं ?
यह पिरान्हा इतनी ही खतरनाक है, तब तो इसे बैन करना ही होगा ।
जानकारी के लिये साभार
लेखनी प्रभावित करती है.
यहाँ तो स्टीमर पर बैठकर दो पैर वाले भयंकर प्राणी भी आराम से देश हिलाने आ जाते हैं,
ये तो मछलियाँ हैं ..... कैसे होगी रोकथाम ?
बहरहाल
आपने बहुत ही ज्ञानवर्धक और दिलचस्प जानकारी
दी !
आभार
पिरान्हा तो ऐसी है जैसे शृंगार किये हुये सूपर्णखा! :)
फैंटम की कोमिक्सेस में इसके बारे में काफी पढ़ा है. ये तो बहुत खूंख्वार होती है.
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