Monday 31 August 2009

लो जी, एक और सुअरा !

अभी एक सुअरा (स्वायिन फ्लू ) के प्रकोप से मानवता कराह ही रही है कि एक नए सुअरा का पता लगने से वैज्ञानिक समुदाय चिंतित हो उठा है .गनीमत यही है कि यह नया सुअरा स्वायिन फ्लू के विपरीत मनुष्य के लिए अभी तक तो निरापद पाया गया है .मगर बकरे की माँ जो इस मामले में एबोला वाईरस हैं आख़िर कब तक खैर मनायेगी ?

वैज्ञानिकों ने एबोला वाईरस के इस स्ट्रेन- reston ebola virus की पहचान फिलीपीन के घरेलू सूअरों में की है ! वैसे यह सतरें तो अभी तक निरापद पाया गया है मगर है यह उसी घातक एबोला समूह का ही सदस्य जिनसे अनियंत्रित रक्तस्राव के साथ तेज बुखार हो जाता है !

खतरनाक एबोला विषाणु मनुष्य में छुआछूत से फैलने वाली बीमारियों में कुख्यात हैं और इनसे मरने की दर ८० फीसदी तक जा पहुँचती है ! अभी खोजा गया तो यह सुअरा सौभाग्य से एबोला परिवार का एकलौता निरापद सदस्य है -मगर विषाणु म्यूटेशन करते रहते हैं यह कौन नही जानता ? पहले पहल यह निरापद एबोला वाईरस १९८९ में बंदरों में पाया गया था -आख़िर ये वाईरस पहले पहल बंदरो (ऐड्स की याद है ? ) में ही क्यों मिलते है ? कौन बातएगा ? और फिर सुअरा बन मानवता को ग्रसित करते हैं ! कुदरत का यह क्या खेल है ??


इस निरापद सुअरा की खोज का श्रेय मैकिन्टोश नामक वैज्ञानिक को है और पूरी रिपोर्ट मशहूर साईंस पत्रिका के १० जुलाई के अंक में प्रकाशित है .
आभारोक्ति : स्वायिन फ्लू के लिए सुअरा शब्द की सूझ भाई गिरिजेश राव की है !

16 comments:

श्यामल सुमन said...

जानकारी तो मिली लेकिन डर भी गया।

Udan Tashtari said...

ये तो एकदमे नई जानकारी टिका गये आप!

दिनेशराय द्विवेदी said...

जानकारी से सुमन जी डर क्यों गए?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

जब निरापद है तो काहें डरा रहे हैं? शीर्षक पढ़ते ही मेरे कलेजे की धौंकनी चलने लगी थी। अब ठीक है।

अन्त तक आते-आते गिरिजेश जी की रचनाशीलता का नमूना देककर मुस्कान भी आ गयी। शुक्रिया।

समयचक्र said...

नई जानकारी देने के लिए आभार.

रंजू भाटिया said...

अभी तो एक फ्लू का शोर कम नहीं हुआ यह नयी जानकारी मिली शुक्रिया

Gyan Dutt Pandey said...

गिरिजेश सशक्त शब्द-सम्पदा के धनी हैं! इनके शब्द-धन पर डकैती कैसे की जाये! :-)

इस्लामिक देशों में सुअरा-इटिस तो नहीं होता होगा न?!

seema gupta said...

जानकारी के लिए आभार
regards

Abhishek Ojha said...

लिंक पर फोटो तो बड़ी मस्त है... अब ऐसे पकाएंगे सूअर को तो जो भी हो माफ़ है :) सूअर का कोई दोष नहीं.

राज भाटिय़ा said...

हमे क्या.... हम तो हर दम बेठे है तेयार... जब बुलावा आया चल पडेगे.

ताऊ रामपुरिया said...

आभार जी आपका. लगता है एक पूरा सूअरा युग ही शुरु होने वाला है.

रामराम.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

अरे आप ने तो 'सुअरा' शब्द को पूरा पॉपुलर बना दिया। धन्यवाद।

प्रकृति के खेल अजीब होते हैं। म्यूटेशन की बात धाँसू है। एक विज्ञान गल्प हो जाय ! लिख डालिए।

P.N. Subramanian said...

भैय्या हम तो आजकल मुंबई में अपना ठियाँ बनाये हुए हैं. देखें अब यह नया वाला सुवरा कहाँ प्रकट होता हैं. जानकारी के लिए आभार.

Anil Pusadkar said...

बच के रहना रे बाबा,बच के रहना रे।

Arshia Ali said...

Jaankaari ke liye aabhar.
( Treasurer-S. T. )

Ghost Buster said...

आपका प्रयास विफ़ल रहा. हम बिल्कुल नहीं डरे. गिरिजेश राव जी की टिप्पणियाँ उनकी शब्द-सम्पदा और विचार प्रवाह को दर्शाती हैं. आज इनका ब्लॉग अच्छे से खँगालते हैं.