Science could just be a fun and discourse of a very high intellectual order.Besides, it could be a savior of humanity as well by eradicating a lot of superstitious and superfluous things from our society which are hampering our march towards peace and prosperity. Let us join hands to move towards establishing a scientific culture........a brave new world.....!
Friday, 27 March 2009
आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये !
आज धरती प्रहर में आप अपना एक वोट धरती को दें ! कोटि कोटि नर मुंडों के बोझ से आक्रान्त धरती की फिक्र आख़िर कृतज्ञ मानवता ही कर रही है .आज एक वैश्विक मतदान प्रहर -रात्रि ८.३० और ९.३० के बीच में आपका वोट लेने की मुहिम है ! आप किसे चुनेंगें -पर्यावरणीय संघातों से विदीर्ण धरती को बचाने की मुहिम को या फिर उन कारकों को जिनसे यह धरती तबाह होने को उन्मुख है ? फैसला आपके हाथ में है !
यह सिलसिला सिडनी से वर्ष २००७ से शुरू हुआ जब २२ लाख लोगों ने अपने बिजली की स्विच को एक घंटे के लिए आफ कर दिया ! वर्ष २००८ में पाँच करोड़ लोगों ने यही काम दुहराया और अपने बिजली स्विचों को आफ किया भले ही सैन फ्रैंसिस्को का मशहूर का गोल्डन गेट ब्रिज ,रोम का कोलेजियम ,सिडनी का ऑपेरा हाउस ,टाईम्स स्क्वायर के कोकोकोला बिल्ल्बोर्ड जैसे मशहूर स्मारक भी अंधेरे से नहा गए !
इस वर्ष यह अभियान दुनिया के एक अरब लोगों तक मतदान की अपील ले जाने को कृत संकल्प है .यह आह्वान किसी देश ,जाति ,धर्म के बंधन को तोड़कर अपने ग्रह -धरती के लिए है -धरती माँ के लिए है ! और इसकी आयोजक संस्था कुछ कम मानी जानी हस्ती नही है बल्कि वर्ल्ड वाईड फंड (WWF) है जिसकी वन्यजीवों की रक्षा के उपायों को लागू करने के अभियान में बड़ी साख रही है -अब यह पूरे धरती को ही संरक्षित करने के लिए लोगों के ध्यान को आकर्षित करने की मुहिम में जुट गयी है ! VOTE EARTH नारे के साथ यह आज एक अरब लोगों तक अपनी अपील लेकर जा पहुँची है ! मेरी यह दरख्वास्त भी इसी अपील का एक बहुअल्प विनम्र हिस्सा भर है !इसका पूरा ब्योरा कोपेनहेगेन में इसी वर्ष तय वर्ल्ड क्लाईमेट चेंज कांफ्रेंस में रखा जायेगा ! जिसमें विश्व की सरकारों द्वारा ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ प्रभावी कदम के लिए प्रबल जनमत जुटने की तैयारी है !
तो आज आप अपने मतदान के लिए अपने घर के बिजली के स्विचों को मतदान -स्विच बनाएं -ठीक रात्रि साढे आठ बजे स्वेच्छा से घर की बिजली गोल कर दें और एक घंटे बिना बिजली के बिताएं -यह आपका प्रतीकात्मक विरोध होगा उन स्थितियों से जिनसे धरती की आबो हवा ही नही ख़ुद धरती माँ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं !
भारत सहित ७४ दूसरे देशों का यह संकल्प है ! धरती प्रहर ( रत्रि साढे आठ बजे और साढे नौ के बीच ) में अपना वोट दीजिये ताकि धरती तरह तरह के पर्यावरणीय आघातों ,प्रदूषणों से बची रहे और प्रकारांतर से ख़ुद हमारा अस्तित्व भी सही सलामत रहे !
वाराणसी के टाइम्स आफ इंडिया ने आज इस मुहिम को बुलंद स्वर दिया है जबकि हिन्दी अख़बार बस भारतीय जनतंत्र के चुनावी महायग्य से ही ध्यान नही बटा पा रहे !
आईये धरती माँ के लिए एक वोट आप भी दीजिये !
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19 comments:
चलिये आज कैण्डल लाइट डिनर सही!
वोट दिया!
बहुत ही सामयिक और सटीक प्रेरक लेख .
भाई जी हिंदी के अखबारों से ऐसी आशा..?
ना.. ना..!!!
खैर...
अपुन ने घर में बोल दिया कि मैं हूं या नहीं १ घंटा बिजली गोल रखें..
OK
जी जरूर ... रात्रि ८.३० और ९.३० के बीच बिजली की मेन स्विच ही आफ कर दूंगी।
वोट दिया जी ..बहुत सही अच्छा कहा आपने
वोट हमने भी दिया. वैसे हमारे यहां तो तीन चार घंटे बिजली बंद ही रहती है. यह टिपणी भी इन्वर्टर महाराज की कृपा पर है कि कब तक चलेंगे? वैसे बहुत सही ख्याल है आपका.
रामराम.
आभार हमारा भी वोट धरती माता के साथ हैं...
Regards
शाम से देर रात तक हमारे यहां तो किसी भी दिन बिजली नहीं रहती। शायद सरकार अपने हिस्से का वोट भी हमसे हर रोज डलवाती है :)
कैण्डल लाइट डिनर का लुत्फ़ हम भी लेंगे जी
vote to de diya jayega lekin in westarn deshon ki vidyut supply ki vyastha yadi u p bijali board ko saunp di jaye to save earth ko purna bahumat mil jata
in westarn deshon ne hi to sabse jyada shoshan kiya aur ab use bachane ke naam par ek prakar emotional atyachar hi to kar rahe hain
khair sanketik hi sahi lekin prayas accha hai
प्रशंसनीय प्रयास।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
"आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये !"
चलिये मान लेते है आप की राय
बिजली रहती ही नहीं हमारे कस्बे में ८.३० से ९.३० के बीच । मैं अपना इन्वर्टर भी ऑफ कर दूंगा । प्रेरक प्रविष्टि के लिये धन्यवाद ।
हम सब साथ हैं .
प्रयास की सफलता की शुभकामनाएं. मैं भी साथ हूँ.
पक्का रहा जी। कैण्डिल जलाने की छूट है ना?
भैय्या यहाँ तो अनवरत दे रहे हैं. आज भी देंगे.
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