क्या पुरूष नितम्ब भी आकर्षण के केन्द्र हैं ?चित्र सौजन्य -Enlighter
नारी नितम्ब वर्णन पर कुछ काबिल दोस्तों की भृकुटियाँ तन गयीं थीं -कुछ ने चुनौती भी दे डाली थी कि मैं उसी तर्ज पर पुरूष पर्यवेक्षण करके दिखा दूँ तो वे जानें ! तो जानी ये लो हाजिर है पुरूष पर्यवेक्षण की यह अगली कड़ी -नितम्ब निरीक्षण ! पर एक बात पहले ही कह देता हूँ -मैं हूँ तो सार्वजनिक शिष्टाचार और जीवन मूल्यों का धुर समर्थक(निजी जीवन की बात बिल्कुलै अलग है ) पर ये होली कहीं कहीं हावी हो जाय तो मुआफ कर दीजियेगा ! मैं यह और आगे के दो ढाई अंग होली को भेंट कर रहा हूँ !
पूरी दुनिया में पाये जाने वाले १९३ नर वानर प्रजातियों में से केवल मनुष्य ही उभरे हुए मांसल गुम्बदाकार नितम्बों का हकदार है .वह अपनी विकास यात्रा में जैसे ही उठ खडा हो दो पैरों पर चलना लग गया और शेष कपि भाई भतीजों से अलग एक विशिष्ट जीवन शैली का वाहक बन बैठा तो उसके पैरों पर अधिक भार के आने तथा कुछ सेक्स जनित कारणों से नितम्बों की ग्लूटियल पेशी पुष्ट होने लगी ! फैलाव पाने लगीं !
नितम्बों को हंसी ठिठोली का फ़ोकस माना जाता है .कितने ही गंदे चुटकुले मनुष्य के इस अंग को समर्पित हैं -लातों के भूत बातों से नहीं मानते वाली हिंसा में ये बिचारे नितम्ब ही प्रमुख रूप से पाद प्रहार झेलते हैं ! यह आश्चर्य है कि गुप्तांग के इतने सामीप्य के बाद भी विशेष देखभाल की कौन कहें ये अक्सर चिकोटी या प्रहार की पीडा झेलते हैं .नितम्बों का सार्वजनिक प्रदर्शन कई देशों में अश्लील और कानून कलह का बायस बन बैठा है .यहाँ तक कि कुछ मामले सर्वोच्च न्यायालय तक जा पहुंचे हैं जहाँ क़ानून के जानकारों ने सार्वजनिक नितम्ब प्रदर्शन के औचत्य पर जोरदार बहस की है.स्विट्जरलैंड का तो एक मुकदमा नजीर बन बैठा जब सर्वोच्च न्यायालय ने नितम्ब प्रदर्शन को आपत्तिजनक तो माना पर अश्लील नहीं . अश्लील इसलिए नहीं कि यह मनुष्य का कोई प्रजनन अंग थोड़े ही है ।
नितम्ब नारी के मामले में तो यौनाकर्षण की भूमिका में हैं हीं -एक सर्वेक्षण में यह भी उजागर हुआ कि यह अंग नारियों की भी पसंद है .रायशुमारी में जाहिर हुआ कि नारी की रुझान छोटे मगर कसे (मस्कुलर ) हुए नितम्बों में होती है -व्यवहारविदों द्वारा इस अभिरुचि के विश्लेषण पर पाया गया कि ऐसा इसलिए है कि छोटा पुरूष नितम्ब नारी के सहज ही भारी नितम्बों से बिल्कुल विपरीत होकर पुरुषत्व की भूमिका को इंगित करता है .छोटे कसे हुए गठे नितम्ब इस तरह पौरुष शक्ति का भान कराते हैं ! और शायद ये यौन क्रिया में भी अतिशय सक्रियता ( athletic पेल्विक thrusting ) के प्रति आश्वस्त करते हैं !
मानव अंगों में नितम्बों का प्रमुख होना मानवीयता का द्योतक है इसलिए भूतों, पिशाचों ,जिन और राक्षसों के चित्रांकन में नितम्बों को एक तरह से गायब ही कर दिया गया है .और यह भी मान्यता बन बैठी कि पुष्ट मानव नितम्ब का दर्शन मात्र ही बुरी आत्माओं को भयग्रस्त कर देती हैं -इसलिए पुराने भित्तिचित्रों ,शिला -शिल्पांकनों में मानव नितम्बों को उभार कर दिखाया गया है ताकि बुरी नजरों से मानवता बची रहे ! जर्मनी में आज भी ग्राम्य इलाकों में लोग बाग भयंकर तूफानों के समय मुख्यद्वार पर तूफ़ान की दिशा में नितम्ब अनावृत हो खडे हो जाते हैं ।
भारत के कई मंदिरों की बाह्य भित्ति नितम्बों के विविध दृश्यावलियों से भरे हैं -अब इसके पीछे कामोत्तेजना और बुरी नजरों से रक्षा की भावना में से कौन प्रमुख है कौन गौण यह चिंतन और मनन का विषय हो सकता है -इस बार की होली पर यह विषय बौद्धिक विमर्श के लिए चुना जा सकता है ! और विमर्श तो चलते ही रहते हैं !
जारी .....
18 comments:
हम तो पहले भी केवल इस पर्यवेक्षण के मूक पाठक रहे हैं, और अभी भी हैं . एक बात है जो चकित करती है हर एक आलेख में, जैसे यहां -
"रायशुमारी में जाहिर हुआ कि नारी की रुझान छोटे मगर कसे (मस्कुलर ) हुए नितम्बों में होती है" ।
यह रायशुमारी के आंकड़े कहां से उठा लाते हैं आप? दिलचस्प आंकड़े ।
आपकी ये पोस्ट महिलाओं को पढ़वाना ख़तरे से ख़ाली नहीं है सर। पुरुषों को अपने नितम्बों पर चिकोटियों के हमले का डर ज्यादा है क्योंकि लम्बे नाखू़नों के हथियार महिलाओं के पास बहुतायत से पाए जाते हैं। हा हा हा।
ओबेसिटी का ये आलम है कि कमर कब खत्म हुई और नितम्ब कब शुरू हुये, यह पहेली हल करना दुरुह हो जाता है! :)
चलिए होली के लिए एक मसाला मिल गया. आभार.
नितम्बों के ऊपर ऑफिस में कुर्सियाँ तोड़ने वालों का शारीरिक भार भी सर्वाधिक आयत होता है। जो खड़ा होकर या चलते हुए काम करते हैं उनकी तुलना में देरतक बैठकर काम करने वालों के नितम्ब अपना आकार सुडौल नहीं रख पाते।
ऊपर से यदि तोंद का आकार बढ़ जाता है तो नितम्ब पीछे की ओर निकलकर सन्तुलन साधने का काम करते हैं। ऐसी हालत में दर्जी का काम बहुत कठिन हो जाता है। :)
अच्छे नितंब प्रगतिशीलता की निशानी हैं, ऐसा मैंने सुना है।
नितंब चर्चा के बहाने बहुत सी नई जानकारियॉं प्राप्त हुई। आभार।
आपका यह लेख पढा । कई जानकरी मिली ।
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीगी भीगी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
मुझे लगता है यदि कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ अनावृत नितम्ब कर के सायं-प्रातः दो-दो घंटे खड़ा हुआ जाये तो काली नज़र वाले ब्लागरों की टिप्पणियों से बचा जा सकता है... बाकि ताऊ से सलाह भी की थी मैंने... तो अरविंद जी, ताऊ ने बताया कि अनावृत नितम्ब वालों को खूटें पर नहीं जाना चाहिये गलती से चले जायें तो बैठना नहीं चाहिये.....
होली का रंगीन प्रणाम स्वीकारें
@जानकारियों के खजानों के खजाने के मुहाने पर बैठा यह बालक हिमांशु क्या कह रहा है -सुधीजनों सुनो ! भैया इन्टरनेट पर सर्च करो ना ? एक हालीवूड़ हेरोईन ने १९८० के दशक में यह किताब लिखे थी -ये वूमन लुक्स अट मेन'स बम्स !
@योगेन्द्र भाई ताऊ के साथ यह आजमूदा नुस्खा बाद में सभी के साथ शेयर हजूर करियेगा ! सभी तो त्रस्त हैं बुरी नजर वालों से !
Himanshu please read this -
Women prefer tight bums. A small, compact bum is the favourite of women everywhere but few understand its magnetic attraction. The secret is that a tight, muscular arse is necessary to make the strong forward thrusting motion needed for successful sperm transfer during sex. Click here to read the rest paragraph from the article.
http://enlightr.com/articles/53-articles/264-is-she-a-chest-legs-or-bum-gal#bum
आज की पोस्ट का पठन जरा लॆट हुआ . आज काम से जरा गायब थे. इसलिये देरी माफ़ी चाहेंगे.
होली की आपको बहुत शुभकामनाएं.
इस शोधपरख लेख को पढने के बाद फर्नीचर डिज़ाइनरों का काम सरल हो जाएगा:)
कुर्सी का झगडा भी इन्हीं महाशय के लिए होता है.
जबरदस्त अनुसंधान चल रहे हैं आपके आजकल, पोस्ट जोरदार रही।
पिछली पोस्ट भी पढ़ी और ये ग्रह किसी ना किसी दिन तो गिरेंगे ही क्योंकि जब इतने पास तक आ सकते हैं तो थोड़ा पास भी आ सकते हैं।
निजी जीवन की बात कैसे अलगे है भाया
ये समझ में नहीं आया
होली के अवसर पर कम से कम विशाल व उन्नत नितम्ब धारकों के सामान्य यौन जीवन के बारे में ही कुछ बताते तो कम से कम यह तो पता चलता कि कितना त्याग व बलिदान कि कहानिया छिपी है इन सेठो के उत्तल लेंसों में
रंगों के पर्व होली की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना .
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