Sunday, 1 March 2009

चन्द्र -शुक्र युति का वह नजारा ! यह एस्ट्रोफोटो तो देखिये !!

पिछली २७ फरवरी को आसमान में सायंकाल चंद्रमा और शुक्र के करीब दिखने के इस दृश्य ने व्योम विहारियों को काफी रुझाया .गत्यात्मक ज्योतिष ने भी इसी अपने एजेंडे के तहत हायिलाईट करने का अवसर नहीं गवाया और इस सामान्य सी खगोलीय घटना को इस लहजे से प्रस्तुत किया कि मैंने उस दृश्य को न देखना ही मुनासिब समझा -दरअसल मैं फलित ज्योतिष को एक बकवास से कमतर नहीं मानता और अंधविश्वासों की श्रेणी में इसे सबसे ऊपर मानता हूँ ,और भोली भाली जनता को गुमराह कर धनार्जन का एक अधम,अनैतिक जरिया मानता हूँ ! उद्विग्न मन से मैंने उस पोस्ट पर यूं टिप्पणी दी -
"यह एक सामान्य खगोलीय घटना है पर उतना प्रामिनेंट दिखेगा भी नही जितना उभार कर आप उसे दिखा /प्रस्तुत कर रही हैं ! मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ और मुझे पता है कि मेरे सुख दुःख का इससे कोई रिश्ता नहीं है ! मैं आज्माऊंगा भी नहीं !
-मुझे आपके दिल दुखाने का अफ़सोस होता है -सारी मैम ,मगर मजबूर हूँ!"

मगर इस फैसले से मैं एक सुन्दरतम खगोलीय घटना के अवलोकन से चूक गया ! काश मैं गत्यात्मक जोतिष के फलितार्थों से उतना अलेर्जिक न हुआ होता तो इस दृश्य को अवश्य निहार कर धन्य होता !

मेरी बुकमार्क पसंदों में से एक बैड अस्ट्रोनोमी ने उस आकाशीय दृश्य से अभिभूत हो कर एक पूरी पोस्ट ही अपने ब्लॉग पर डाली -आप अवश्य जायं,पढ़ें भी और कुछ अद्भुत दृश्यावली -एस्ट्रो फोटोज का दीदार करें !

15 comments:

Himanshu Pandey said...

बैड एस्ट्रोनामी के सारे चित्र अभिभूत करने वाले हैं.
धन्यवाद लिंक के लिये.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत धन्यवाद लिंक के लिये.

रामराम.

Shikha Deepak said...

हम इसे प्रत्यक्ष देखने से चूक गए, पर चित्र दिखाने के लिए धन्यवाद।

संगीता पुरी said...

माफ करें .... पर पूर्वाग्रह से ग्रस्‍त रहनेवाले लोगों के साथ अक्‍सर ऐसा होता है .... पर चिंता न करें ... अगली बार जब भी हमारे सौरमंडल के अंदर पृथ्‍वी से दिखाई पडनेवाला इस तरह का कोई भी दृश्‍य उपस्थित होगा ... मैं आपको अवश्‍य बताउंगी।

दिनेशराय द्विवेदी said...

परसों अनायास ही यह नयनाभिराम दृश्य पश्चिमी आकाश में दिखाई दिया। मैं ने अपनी पत्नी से पूछा आज तीज हो गई है क्या। वे बोली नहीं आज तो दूज ही है। मैं ने पंचांग देखा तो पता लगा कि वाकई सुबह दूज थी और शाम को तीज हो चुकी थी। हम दोनों सही थे। हाँ मुझ पर इस युति का प्रभाव यह हुआ कि मेरा मन देख कर प्रसन्न हो गया।
अब फलित वाले चाहें तो इसे फलित कह सकते हैं।

Kavita Vachaknavee said...

मैंने २८ की रात उक्त दृश्य देखा था। इस दिन शुक्र चंद्रमा के भीतरी ओर न होकर बाहरी ओर था और इस ०) दृश्य की अपेक्षा यह )० दृश्य था। देर रात तक पहुँचते पहुँचते इनका अन्तराल बढ़ता चला गया। काफ़ी देर तक दृश्य का आनन्द लिया।

Alpana Verma said...

bahut bahut shukriya is link ke liye...lekin yah to sachmuch ek adbhut ghatan rahi...chitr kitne sundar hain!

seema gupta said...

"wowwwwww......बेहद सुंदर और आश्चर्यचकित करने वाले चित्र.."

Regards

रंजू भाटिया said...

बहुत सुन्दर था यह नजारा देखा था मैंने भी इसको ..शुक्रिया

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

चित्रों का लिंक प्रदान करने हेतु आभार....

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इस सुंदर खगोलीय घटना को सिर्फ किसी के कुछ भी कह देने से छोड देना अच्छा नहीं रहा। पर आप भी क्या करते, छोटी छोटी बातों को दिल पर ले लेना आपकी आदत जो ठहरी। आइंदा मेरी सलाह तो यही है, ऐसी जगहों से आप दूर ही रहें, जिनसे आपना मन खिन्न हो जातो हो।

राज भाटिय़ा said...

अर्विन्द जी मेने कल भी एक तारा देखा जो पिछले एक दो महीनो से दिखाई दे रहा है, जिस की चमक बहुत ही ज्यादा है, ओर जब मेने कल इसे देखा तो यह चन्द्र्मा से काफ़ी नीचे था, क्या बतायेगे यह कोन सा तारा, या ग्रह है.
हम तो इसे वो वाला टुल बक्स समझ रहे थे जो कुछ समय पहले अंतिरक्ष मै एक विगायाणिक महिला के हाथ से छुट गया था, ओर यहां समाचार पत्रो मे बताया गया कि उसे हम रात को नंगी आंखो से भी देख सकते है, तो क्या यह वही है???

Gyan Dutt Pandey said...

ज्योतिष और नक्षत्र का को-रिलेशन तो मुझे सदैव एक अबूझ पहेली सा लगता रहेगा।
किधर जाया जाये!

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