ये है पशु और मनुष्य का मिश्रित रूप -अवतार नृसिंह
इतने ढेर सारे जीव जंतु -पशु पक्षी ,पेड़ पौधे ,कीडे मकोडे आखिर किसने बनाया इनको ? और कब बनाया ? सृष्टि कैसे और कब वजूद में आयी ? आज भले ही नब्बे फीसदी लोग इन सवालों पर सोच विचार न करते हों मगर हमारे पुरखों ने इन पर खूब विचार मंथन किया था .हिन्दू पुराण कहते हैं कि क्षीर सागर में सोये विष्णु की नाभि से एक कमल नाल उगी और जिसमें कमल के खिलने के साथ ब्रह्मा भी उसी से पैदा हो गये -फिर जीव जंतुओं से लेकर आदमीं तक सारी सृष्टि उन्होंने रच डाली ! उनकी स्पर्धा में आगे विश्वामित्र भी आए और कुछ चीजें जैसे नारियल ,ऊँट आदि उन्होंने बनाया ! जब एक बार महा प्रलय आयी तो विष्णु ने ही मछली का अवतार लेकर एक नौका में मनु और सतरूपा की देखरेख में सृष्टि को सर्वनाश से बचाया .यह प्रलय की कथा का दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों में में जिक्र है -बाईबल में इसे आर्क आव नोवा कहते हैं ,कुरान में हजरत नूह की कश्ती ! साथ ही बाईबिल में ईश्वर के हीद्वारा इडेन के बगीचे में आदम और हौवा के सृजन की विस्तार सेचर्चा ही जिन्होंने वर्जित फल खा कर आगे की आबादी को अंजाम दिया ,
क्या पुरानों और धर्मों की इन मान्यताओं को आप सच मानते हैं ? या आपके मन में जीव जंतुओं के अस्तित्व और उनकी विविधता को लेकर कोई और ख्याल आता है ? क्या सच में इन्हे ईश्वर ने ही बनाया ?? हिन्दू दर्शन जीवों के उत्तरोत्तर विकसित होने की एक अवधारणा जिसे हम अवतारवाद जह सकते हैं ,रखता है -पहले मछली ,फिर कच्छप ,फिर घोडे सदृश प्राणी ,फिर वाराह ,फिर पशु और फिर मनुष्य के बीच का नरसिंह अवतार और फिर पूर्ण विकसित मनुष्य , भगवान राम ,कृष्ण और संभावित कल्कि आदि ! तो धरती पर जीवजंतुओं के आगमन और उनके विकास की एक झलक हिन्दू मिथकों में तो मिलती है .मगर सच क्या है ?
क्या सचमुच किसी ईश्वरीय शक्ति ने ही जीवों को सृजित किया है ? आप क्या सोचते हैं ? यह पूरा वर्ष अंग्रेज वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन की द्विशती मना रहा है -उनका जन्म १२ फरवरी १८०९ को श्रूस्बेरी इंग्लैंड में हुआ था .इन महाशय ने तो जीव जंतुओं के वजूद को लेकर पहले के विचारों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि जीव जंतुओं की इतनी विविधता महज इसलिए है कि उनका विकास हुआ है और मछली से मनुष्य तक बनने में करोडो वर्ष लगे हैं .सभी जीव जंतु पृथक पृथक नही सृजित हुए हैं बल्कि उनमें गहरा सम्बन्ध है !
चिंतन के इतिहास में इस विचार से मानों जलजला आ गया ! चर्च ने तो डार्विन को गहरे फटकारा ! पर आज सुनते हैं दो सौ सालो बाद चर्च ने डार्विन से सरेआम माफी मांग ली है और स्वीकार कर लिया है कि तब के पादरियों से डार्विन को समझने में भूल हो गयी थी !
"The statement will read: Charles Darwin: 200 years from your birth, the Church of England owes you an apology for misunderstanding you and, by getting our first reaction wrong, encouraging others to misunderstand you still. We try to practise the old virtues of 'faith seeking understanding' and hope that makes some amends."
-Rev Dr Malcolm Brown, the Church's director of mission and public affairs,The Church of England .
चलो देर आयद दुरुस्त आयद !पर हिन्दू आज इस मसले पर क्या सोचता है ? क्या सृष्टि को सचमुच ईश्वर ने नही बनाया ? इस्लाम के अनुयायी क्या सोचते हैं ?
13 comments:
आप ने लोगों को सोचने को छोड़ दिया।
यह अच्छा ही है। सोचने वाला मंजिल पर पहुंच जाता है।
यह स्ट्रॅटजी बड़ी अच्छी है. होम वर्क दे दो या ग्रूप डिस्कशन के लिए टॉपिक दे दो. हमें कॅप्सुल कोर्स चाहिए.
भाई अरविन्द जी, पहली बात तो ये कि ये दुनिया किसी ने भी बनाई हो अपुन ने नहीं बनाई.
दूसरी बात ये कि इस दुनिया के रंग इतने हैं कि कल्पना भी जवाब दे देती है और तीसरी व सच्ची बात ये कि प्रथम श्रेणी के जानकारीपूर्ण आलेख निश्चत ही कम ब्लाग्स पर हैं और आपका ब्लाग उनमें से एक है. मेरी बधाई स्वीकार करें.
सच में हमारे अवतारॊं की कथा विकासवाद की कथा है - मत्स्य-कच्छप-वामन...
सोचने और विचारने का प्रश्न है. आभार आपका .
@ योगिन्द्र मौदगिल जी, भाई आपकी शक्ल को क्या हो गया ? या मेरी नजर कमजोर हो गई? :)बड्डे हैंडसम लग रे हो जी.
रामराम.
डार्विन द्विशती श्रृंखला शुरु हो गयी, आभार । अभी बहुत कुछ सोच नहीं पा रहा हूं, पढ़ रहा हूं और डार्विन के सिद्धांत की शाश्वत शक्ति देख रहा हूं। धन्यवाद ।
अर्विंद जी मेरे ऊपर शक मत करना...
आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
कहीं से तो शुरू हुई होगी यह दुनिया ..रोचक है यह जानना .इस पर कुछ और लिख सके तो लिखे शुक्रिया
डारविन महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। मेरा मन भी उन पर कुछ लिखने को है।
डार्विन द्विशती श्रृंखला के बहाने एक विचारणीय पोस्ट।
अब धार्मिक आदमी तो यही कहेगा कि उसके अपने भगवान/खुदा ने ही बनाई है। काहे उससे यह बात पूछ कर धर्म संकट में डाल रहे हैं।
हमने तो नहीं बनाई :-) बाकी भगवान् जाने !
गॉड/अल्लाह ने विकासवाद के तरीके से दुनिया बनाई.
डार्विन द्विशती श्रृंखला के बहाने एक विचारणीय पोस्ट।सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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