Wednesday, 21 January 2009

पुरूष पर्यवेक्षण -एक उंगली उठी !

थम्ब्स अप ! मगर क्या समझे ? (स्रोत विकीपीडिया )
आप भले ही निन्यानवे काम ठीक करें मगर अनजाने में भी एक भी ग़लत काम हो गया तो लोगों की उंगलियाँ उठने लगती हैं ! किसी की भी दसों उंगलियां हमेशा घी में नही रहतीं और घी भी कोई सीधी उंगली से थोड़े ही निकलता है !यह सही है कि किसी की भी पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं मगर भारत की तो बात ही मत कीजिये यहाँ लोकतंत्र का ऐसा जलवा है कि एक अंगूठा छाप भी हमारा राष्ट्रपति बन सकता है .ये बातें आपको किसी सीनोफ्रेजिक का असम्बद्ध प्रलाप लग सकती है मगर इनमें एक बात जों समान है वह उँगलियों का महात्म्य है .
हमारी पाँचों उंगलियाँ भले ही परिमाप में बराबर नहीं हैं लेकिन कई मामलों में कोई भी किसी से कम नहीं बल्कि बढ़ चढ़ है ! मगर मजे की बात यह है कि इन उँगलियों के नाम तक भी ठीक ठीक लोगों को पता नही रहता ! आप ही बताईये क्या आप जानते हैं कि आपकी अनामिका उंगली कौन है ? और इसे अनामिका क्यों कहा जाता है ? इसी तरह क्या फोरफिंगर ,इंडेक्स फिंगर और तर्जनी उंगली एक ही हैं या अलग अलग ! जरा अपनी वह उंगली आगे कीजिये जिसमें इलेक्शन की स्याही लगती है -यह कौन सी उंगली है ? क्या नाम है इसका !
चलिए एक अन्गुलि -परिचय सेशन हो जाय .
पहले अंगूंठा ,भला इससे कौन अपरिचित होगा ! जमीन जायदाद के अनेक दस्तावेजों पर यही तो अपनी अन्तिम मुहर लगाता है ! यूनान मे यह प्रेम की देवी वीनस को समर्पित है ,इस्लाम में मुहम्मद को ! मगर इशारों की भाषा में यह फैलिक बोले तो लैंगिक इशारे से अपमान के बोध का भी बायस बनता है .एक लिफ्ट मांगने वाले का अंगूठा ही उठता है और सबकुछ ठीक ठाक है -ओ के का सिग्नल भी अंगूठा ही देता है .लेकिन कई पारंपरिक युद्धों -मल्ल युद्धों में झटके से अंगूठे को नीचे गिराने का आशय था कि प्रतिपक्षी को मार दिया जाय ! जबकि अंगूठे को झटके से ऊपर उठाने का मतलब अभयदान से था जों आगे चल कर थम्ब्स अप या ओके सिग्नल में तब्दील होता गया ! लेकिन कई देशों में अंगूठे को ऊपर उठा कर ओके का इशारा /लिफ्ट लेने का इशारा अश्लील अर्थों में ले लिया जाता है -तो अगर आप सीरिया, सउदी अरब और ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस ,सार्देनियाँ आदि देशों में पर्यटक बन के जा रहे हैं तो किसी से लिफ्ट लेने के लिए अंगूठा मत उठायें मार पड़ सकती है -वहाँ उठे अंगूठे को देखते ही अश्लील भाव का संचार होता है कि आ मेरे इस अंगूठे पर बैठ जा !
तर्जनी -तर्जनी के अनेक नाम है -यही फोरफिंगर है ,इंडेक्स फिंगर है .बारीक कामों में अंगूठे की हमजोली है .ट्रिगर यही दबाती है ,दिशा दर्शक है .फोन के डायल पर यही थिरकती है ,लिफ्ट की बटन यही दबाती है .कथोलिक लोग इसे होली घोस्ट का दर्जा देते हैं ,इस्लाम में लेडी फातिमा से सम्बन्धित है .हाथ देखने वाले इसे बृहस्पति से जोड़ते हैं .कही कहीं इससे अश्लील इशारों का काम लिया जाता है .इसे बिल्कुल ऊपर उठा कर रखा जाय तो यह ब्रह्म एक है का बोध कराता है -कालिदास -विद्योतमा शास्त्रार्थ में इस उंगली का महात्म्य जग जाहिर है ।लघु शंका इच्छा /अनुमति की भी यही संकेतक है !
अब बारी है मध्यमा की -हाथ की उँगलियों में सबसे बड़ी उंगली है मगर कुछ देशों में इसे आगे कर अगल बगल की दोनों उँगलियों को पीछे मोडे रहकर अश्लील लैंगिक इशारा किया जाता है ! कैथोलिक इसे ईशा मसीह से जोड़ कर देखते हैं तो इस्लाम में फातिमा के खाविंद को समर्पित है .
शादी व्याह के रस्म से जुडी अंगुली है अनामिका यानी रिंग फिंगर जिसमें मंगनी /व्याह की अंगूठी पहनी /पहनाई जाती है .ऐसी मान्यता रही है की इससे निकलने वाली एक शिरा/नर्व ह्रदय तक पहुँचती है हालाँकि इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है .हस्तरेखाविद इसे सूर्य से या सूर्यपुत्र से जोड़ कर देखते है ,इस्लाम हसन से और ईसाई इसे आमेन फिंगर -आशीर्वाद अंगुली मानते हैं .मगर इसका अनामिका नामकरण क्यों ? कहते है विद्वानों में एक बार गणना होने लगी की सबसे बड़ा कवि कौन -तो कनिष्ठा उंगली से गणना शुरू होने पर पहले ही कालिदास का नाम आ गया पर फिर उसके बाद विद्वानों को यह लगा की ठीक कालिदास के बाद की भी जगह कोई ले नही सकता इसलिए दूसरी अंगुली अनामिका हो गयी !
अन्तिम उंगली कनिष्ठा है जो मन से सम्बन्धित है विनम्रता से सम्बन्धित है .अब जो उंगली कालिदास से जुड़ गयी है उसका सम्बन्ध मन और विनम्रता से क्यों न हो -आख़िर उच्च्च विद्वता विनम्रता ला ही देती है .
यह तो रही संक्षेप में उँगलियों की पृथक पृथक दास्तान ! सब मिलकर कई संकेत इशारों को जन्मदेती हैं -विजय की मुद्रा में उंगलियाँ अंगरेजी का अक्षर वी बनाती हैं तो एकसाथ मिलकर मुक्का बन जाती है .पर सावधान कई पश्चिमी देशों में वी बनाईये तो ध्यान रहे हथेली आगे की ओर हो नहीं तो हथेली अपनी और करके कहीं आपने वी बनाया तो समझिये खैर नही -यह अश्लील संकेत है !

18 comments:

seema gupta said...

पाँचों उंगलियाँ से मिल कर हाथ बनता है और उँगलियों के इतने सारे गुणों के साथ तो क्या कहने ,कितना महत्व है इनका हमारे जीवन मे ....बहुत सी नई बातो को जाना है आज के इस लेख से ...आभार.."

Regards

Anonymous said...

उंगली पुराण ज्ञान वर्धक रहा. आभार.

रंजू भाटिया said...

बहुत नई बातें पता चली इस के माध्यम से ..इनकी भी अपनी एक भाषा है .जो सोच समझ के बोलनी चाहिए ..शुक्रिया

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब जानकारी. इस श्रंखला की अगली कडी का हमेशा इन्तजार रहता है. बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी मिलती है.

रामराम.

Alpana Verma said...

'वी' के बारे में तो एक दम नई जानकारी है --नहीं तो कैसे भी हो-V= हमेशा विक्टरी साइन ही समझा जाता था--हथेली की दिशा भी मायने रखती है--यह आज पता चला!ज्ञानवर्धक और रोचक लेख.

Gyan Dutt Pandey said...

हथेली और उंगलियां तो सारा ब्रह्माण्ड समेटे हैं! बहुत अच्छी लगी यह जानकारी।
सारा नृत्यशास्त्र तो उंगलियों की मुद्राओं पर ही आर्धारित है।

Science Bloggers Association said...

अब समझा थंब्स अप और उंगलियों के मायने। शुक्रिया।

mamta said...

उंगलियों के बारे मे तो इतना ज्ञान नही था । नई और रोचक बातें पता चली खासकर v साइन के बारे मे ।

संगीता पुरी said...

जानकारी भरा आलेख है यह।

दिनेशराय द्विवेदी said...

आज तो आप ने ज्ञान धारा बहा दी।

arun prakash said...

आज तो आपकी पांचो उंगलिया घी में हैं नाम करण की जानकारी दे कर आपने ज्ञान तो बढाया है लेकिन पुरूष पर्वेय्क्षण में अंग यात्रा में आप कुछ कंजूसी बरत रहे हैं
यही बात खटक रही है आशा है आप संकेत समझ रहे होंगे

arun prakash said...

एक अंगुली कितना बवाल खड़ा कर सकती है वह भी पुरूष की शायद आप को याद हो ग्रेग चैपेल का कोल्कता में ऊँगली का इशारा वह कौन सी ऊँगली थी ,
वह भाई साहिब ऊँगली उठ जाए तो क्रिकेट से आउट और बगल वाली ऊँगली झुक जाए तो कोच से आउट होना पड़ जाएगा यह तो चैपेल ने सोचा भी नहीं होगा
पुरुषों की उँगलियों में औरतो जैसी दूसरे को नचाने वाली ताकत क्यों नही रहती ,इसका भी खुलासा करें

Arvind Mishra said...

अरुण भाई ! मुझे ब्लाग्निकाला दिलवाने पर क्यों तुल रहे हैं ? पहले ही काफी लानत मलामत झेल चुका हूँ और अब भी भद पिटवाने का संकेत दे रहे हैं आप ! क्यों भूलते हैं हम सांस्कारिक भारतीय हैं और अंग वर्णन यहाँ वर्जित है !

हरकीरत ' हीर' said...

ungliyon se judi jankari acchi lagi....maine kahin pdha tha anamika dil se judi hoti hai isliye isi ungli me anguthi pehnayi jati hai....!

महेन्द्र मिश्र said...

नई बातो को जाना .ज्ञानवर्धक जानकारी भरा आलेख है.आभार

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, लेकिन अंगुठे के बिना पांचो ऊगलियां वेकार है,
धन्यवाद

अजित वडनेरकर said...

बहुत ज्ञानवर्धन हुआ अरविंद जी। धन्यवाद ...

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह... क्या बात है भाई जी... कमाल की जानकारी...