Tuesday 21 October 2008

दूर के नहीं अब चंदामामा !

चंद्रयान का रूट चार्ट
भारत का चन्द्र विजय अभियान शुरू हो गया ..आज सुबह ही चंद्रयान -१ चन्द्रमा की दूरी नापने चल पडा है -उसे आंध्रप्रदेश के सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा से छोडा जा चुका है और वह पल पल चाँद की दूरी को हमसे कम कर रहा है -भारत के लिए भी अब चाँद ज़रा पास खिसक आया है .मानव रहित चंद्रयान -१ दो वर्षों के चन्द्र विजय अभियान पर निकल पडा है .यह एक तरह का रोबोटिक अभियान है जो चन्द्र सतह का एक त्रिविमीय नक्शा तैयार करेगा और बेशकीमती खनिजों की उपस्थिति भी मार्क करेगा .
यह अभियान ख़ास तौर पर चन्द्र ध्रुवों की सतह और सतह के नीचे बर्फ की मौजूदगी की भी पड़ताल करेगा और भविष्य के नाभिकीय संलयन ऊर्जा स्रोत हीलियम -३ की भी प्रचुरता का पता लगायेगा जिसकी धरती पर बेहद कमी है .मगर यह नाभिकीय ऊर्जा का एक अपार स्रोत है .साथ ही टाईटेनियम जैसे दुर्लभ तत्व की खोजबीन भी की जानी है .यह मिशन चाँद के पास और दूर के हिस्सों की भी पड़ताल करेगा ।
चंद्रयान-१ जिस पोलर सैटलाईट लांच वेहकल पर आरूढ़ है वह उसे एक पृथ्वी परिक्रमा पथ पर जा छोडेगा .जहाँ से वह चाँद की टेढी राह पर निकल चलेगा -जैसे ही वह चाँद की गुरुत्व सीमा में आयेगा कई मोटरें दगेगीं जिससे उसकी गति धीमी पड़ जायेगी .अब यह चाँद की लगभग वृत्ताकार कक्षा में १००० किमी ऊपर होगा और ४-५ दिनों में चाँद के १०० कमी नजदीक तक पहुँच जायेगा .
इस यान के साथ ही कई देशों के प्रोब भी हैं जिसकी चर्चा साईब्लाग पर पहले हो चुकी है .अब भारत ,चीन ,जापान और दक्षिण कोरिया सतेलाईट छोड़ने के बड़े मुनाफे वाले व्यवसाय पर नजरें जमाये हैं और अपने अन्तरिक्ष कार्यक्रमों को एक अंतर्रास्त्रीय सम्मान और आर्थिक लाभ के नजरिये से भी देख रहे हैं .
चीनियों की अन्तरिक्ष की चहलकदमी से अभी पिछले ही माह वह विश्व का तीसरा देश हो गया जिसने ऐसी क्षमता हासिल की है .
अफ़सोस यह है कि भारत के चन्द्र विजय अभियान को इस देश में ही सराहना नही मिल रही है -लोगों का कहना है कि भारत जैसे गरीब देश में जहाँ अभी भी लोगों को जीने खाने की मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नही हुयी हैइन कार्यकर्मों में संसाधनों को पानी की तरह बहाया जाना बुद्धिमानी नही है -इस अभियान पर तकरीबन ४ अरब रुपये खर्च हो रहे हैं .

14 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

ham sab ke kiya yeh garw ki baat hai.....achchi post ke liye badhaaee

Smart Indian said...

बहुत अच्छी ख़बर सुनाई है अरविन्द जी. बधाई हो. यह एक नई शुरूआत है.

Anonymous said...

अच्‍छी पोस्‍ट। बधाई। आपका लेख पढ़कर तो यही कहा जा सकता है कि आठ अरब क्‍या सोलह भी हों तो ये कार्यक्रम रुकने नहीं चाहिएं। लेकिन अभी मैं ये पूरी तरह से समझने की कोशिश कर रहा हूं कि इस प्रोजेक्‍ट की क्‍यों आलोचना हो रही है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने सारी जानकारियाँ एक स्थान दे दीं उस से बहुत सुविधा हो गई है। आशा है आने वाले दिनों में भी ये चन्द्रायन की प्रगति के बारे में जानकारियाँ साईब्लाग पर मिलती रहेंगी।

seema gupta said...

"wow, its amezing and wonderful, fir to ek din hum bhee chand pr ja skenga na..............."

Regards

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर जानकारी इक्कठा दे दी अपने ! आपका ब्लॉग ऎसी जानकारियों का खजाना है ! चंद्र अभियान से सम्बंधित जानकारियाँ आगे भी कृपया देते रहे ! धन्यवाद !

योगेन्द्र मौदगिल said...

बढ़िया प्रस्तुति है भाई जी
जरूरी भी
साधुवाद

समयचक्र said...

बढ़िया प्रस्तुति बहुत अच्छी ख़बर सुनाई है अरविन्द जी. बधाई ...

भूतनाथ said...

बहुत बढिया ख़बर ! हमने भी ऊपर सुनी थी ! आपने जरुरी जिज्ञासाएं शांत की इसके लिए आपका धन्यवाद !

Gyan Dutt Pandey said...

भारतीय होने के नाते गर्व महसूस हुआ। और आशा है कि उत्तरोत्तर प्रसन्नता वाली खबरें सुनने को मिलती रहेंगी इस अभियान में।

admin said...

यह वास्‍तव में बहुत गर्व का विषय है। इसके साथ ही साथ अब भारत की नजरें सैटेलाइट प्रक्षेपण कराने वाले देशों के बाजार पर भी जमनी चाहिए।

रंजू भाटिया said...

बहुत ही खुशी हो रही है यह देख कर ..आपने बहुत अच्छा लिखा है इसके बारे में शुक्रिया

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर पोस्ट लिखी आप ने, पुरी जान कारी के साथ, वेसे अलोचना भी सही कर रहै है लोग जिस देश मै बच्चो को स्कुल नसीब नही हो रहा वहां पर इतना खर्च??? क्या इस से उन बच्चो को दुढ नसीब होगा खाना नसीब होगा??? जिस देश मै २०% लोग भुखे रहतै हो, वहा इस तरह की बाते कुछ अजीब लगती है शायद इसी लिये लोग इस की आलोचना करते हो???
अब पता नही कल भारतीया अखवारो पर नजर मारुगां
आप का धन्यवाद

arun prakash said...

आज कल तो एक बोइंग विमान खरीदने पर भी इतना ही मूल्य चुकाना पड़ जाता है हमारे देश में किसी भी दूरगामी निर्णय की आलोचना आम बात है जहाँ एक लाख करोड़ की सब्सिडी पेट्रोल खाद व खाद्य पर दी जा रही हो जहाँ शेयर मार्केट को सुधारने के लिए महंगी कीमतों का खतरा उठा कर भी रेपो रेट घटा दी जाती हो जिस देश में आई . पी .एल के प्रसारण अधिकार ४१०० करोड़ में बिकते हों वहां ४०० करोड़ के खर्च को लेकर हाय तौबा करना ठीक नहीं हमें यह कामना करनी चाहिए कि यह अभियान अपने सारे मिशन पूरे करे वैज्ञानिकों को बधाइयाँ