Wednesday 2 July 2008

शुरू हो गया सर्पदंश से मौतों का सिलसिला ....

यह हैं सापों के लम्बरदार और सबसे अधिक मानव मौतों के जिम्मेदार नाग महराज
सापों से मरने का सिलसिला फिर शुरू हो चुका है .अब से अक्टूबर तक अमूमन हर रोज अखबारों की सुर्खियाँ आपको सापों से हो रही बेमौत मौतों का दास्तान बयान करती रहेंगी .यह एक वार्षिक त्रासदी है .भारत में हर वर्ष तकरीबन ३०००० लोग साँप काटने से मरते हैं ।मैंने इस भयावह त्रासदी को कोई तीसेक साल से जाना समझा है ।ये मौते रूक सकती हैं .ऐसा भी हो सकता कि एक भी मौत सौंप काटने से न हो .लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नही हो पा रहा है .कारण ?

सबसे बडा कारण भोले भाले ग्रामीणों के अंधविश्वास हैं .साँप काटने पर गावों में जो चिल्ल पों मचती है उसे आप सब ने देखा होगा .सबसे पहले लोग ओझा सोखा के पास लेकर रोगी को भागते हैं .अब साँप है तो उसको लेकर जितनी मुंह उतनी बातें -कोई बह्चरिया साँप का विष उसी साँप को बुलाकर खींच लेने का दावा करता है तो कोई जडी बूटी से काटे के इलाज का दंभ भरता है ।कोई मरीज को तुरत फुरत मस्जिद मजार वाले फकीर के पास ले जाने कि जिद करता है .नतीजा यह कि ज्यादातर मामलों में बिचारा मरीज बेमौत मारा जाता है .


सर्पदंश के शिकार व्यक्ति की बड़ी ही दुर्दांत मौत होती है -वह लकवाग्रस्त हो जाता है .जबान भी इसलिए बेकार हो जाती है ...बोल नही पाता ..संज्ञा बनी रहती है बस वेचारा असहाय लोगों को देखता निहारता अपनी बेबसी और लाचारी लिए संसार से विदा हो जाता है -सर्प दंश की मौत इसलिए ही दुसह दुःख देने वाले मानी जाती है .आप आश्चर्य करेंगे पूरे भारत में महज ४ ही साँप ऐसे हैं जिनके काटने से लोग मरते हैं -कोबरा ,करईत ,और वाईपर की दो प्रजातियाँ जो महाराष्ट्र और कुछ जगहों पर ही मिलती हैं -ज्यादातर तो यही कोबरा यानी नाग और करईत ही लोगों के मौत के जिम्मेदार हैं ।इनका विष नुरोटाक्सिक है यानी स्नायुतंत्र इनकी असर से काम करना बंद करता है ॥फेफडे काम करना बंद कर देते हैं .वाइपेर्स का विष खून को जमा देता है ,रक्त संचार रूक जाता है .


जहाँ का मैं रहने वालाहूँ -पूर्वांचल ,उत्तर प्रदेश -केवल नाग और करईत के गिरफ्त में है .यहाँ प्रतिवर्ष २ हजार लोग साँप काटने से मरते हैं .आख़िर सर्पदंश से बचने का और कारगर इलाज का मन्त्र क्या है ?बस केवल एंटी वेनोम और केवल एंटी वेनोम का इंजेक्सन ही सर्पदंश का शर्तिया इलाज है जो अब सरकार के आदेश से हर पी एच सी -प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्ध है .यह पोलीवलेंट है यानी सभी चारों प्रकार के विषैले साँप को काटने पर लगाया जा सकता है -इसे इंट्रावेनस लगाते हैं -सीधे रक्त वाहिका में .अगर सर्पदंश के काटे को ६ घंटों के भीतर यह इंजेक्शन लगवा दिया जाय तो बच जायेगा -इसे गारंटी ही समझिये ।अक्सर यह छः घंटे झाड़ फूक में बीत जाते हैं और फिर कुछ नही किया जा सकता .

क्रमशः ......

12 comments:

Pratyaksha said...

सही जानकारी !

पारुल "पुखराज" said...

july aate hi hamarey yahan is jeev ka prakop bahut badh jata hai..kaarn bahut zyada hariyaali..bas 3-4 mahiiney dar dar kar bitaney padhtey hain....

Gyan Dutt Pandey said...

कोबरा, करैत और वाइपर का भय तो अभी तक व्याप्त है। यदा कदा दर्शन होते हैं, और तब भय और सौन्दर्य का अद्भुत सामन्जस्य दीखता है!
अभी पिछले शुक्रवार को घर में देखा गया था सांप, मेरा भृत्य बताता है।

Shiv said...

बहुत बढ़िया जानकारी है. अंधविश्वास से निकलने की जरूरत है.

Praveen राठी said...

पहले तो ५० ब्लॉग पूरे करने की बधाई :)

सिर्फ़ ४ प्रकार के सांप से इंसान मरता है | सांप के काटने से होने वाली मौतों की संख्या देखकर तो लगता है कि कोई भी सांप काट ले तो मौत हो जाती होगी | सिर्फ़ चार सांप इतने सारे लोगों को कैसे मार सकते हैं? उन्हें कोई और काम नहीं है क्या?

Anonymous said...

इसका मतलब यह समझा जाये कि हमारे प्राचीन ग्रंथो मे सर्प विष चिकित्सा पर जितना कुछ भी लिखा है सब व्यर्थ है। बस एंटी वेनम ही इलाज है। जब यह नही था तो सर्प काटने से सभी मर जाते थे। वाह अरविन्द जी, अच्छी ठेकेदारी कर रहे है विज्ञान की। कल जब विदेशी हमारे ज्ञान को चुराकर उससे दवा बनायेंगे तो आप ब्लाग मे उसकी पैरवी करने लगेंगे। जमीन पर आइये सर और विज्ञान को दायरो मे मत बान्धिये। भारतीय ज्ञान अन्ध-विश्वास और विदेशी ज्ञान सर आँखो पर। वाह , क्या नजरिया है। भगवान बचाये, विज्ञान के आप जैसे मठाधीशो से।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया जानकारी है. जागरुकता आना जरुरी है, इस बात को टाला नहीं जा सकता.

Ashok Pandey said...

बहुत अच्‍छी जानकारी दे रहे हैं। बहुत बहुत आभार। आपकी अगली पोस्‍ट का इंतजार रहेगा।

मैं गांव में रहता हूं और गांवों में खासकर बरसात के दिनों में तो सर्पदंश का भय हमेशा बना रहता है। हमारा इलाका उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल से सटा हुआ ही है और आपकी बात शतप्रतिशत सही है कि इस इलाके में नाग व करैत के काटने से ही लोग मरते हैं।

कृपया अगली पोस्‍ट में एंटी वेनोम इंजेक्‍शन का नाम, उसकी डोज व उसको देने में बरती जानेवाली सावधानियों की भी चर्चा करें।

Anonymous said...

ज्यादातर सांपों में विष नहीं होता। सांप के काटने से लोग डर के मारे हार्ट अटैक में मर जाते हैं, विष के कारण नहीं। हो सकता है कि बिना विष के सापों के काटने पर ओझा बचा लेते हों पर वषैले सांप के काटने पर केवल एंटी वेमन ही इसका इलाज है।
कुछ साल पहले चेनई में विटकर के फार्म पर देखा कि कैसे उन्होंने सोसायटी बनायी जिसमें लोग सांप लाते हैं और उसका जहर निकालते देखा। यह जहर वे एंटी वेमन कंपनियों को बेचते हैं। वहां बिच्छू का विष भी निकालते देखा।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बस केवल एंटी वेनोम और केवल एंटी वेनोम का इंजेक्सन ही सर्पदंश का शर्तिया इलाज है जो अब सरकार के आदेश से हर पी एच सी -प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्ध है .यह पोलीवलेंट है यानी सभी चारों प्रकार के विषैले साँप को काटने पर लगाया जा सकता है -इसे इंट्रावेनस लगाते हैं -सीधे रक्त वाहिका में .अगर सर्पदंश के काटे को ६ घंटों के भीतर यह इंजेक्शन लगवा दिया जाय तो बच जायेगा -इसे गारंटी ही समझिये ।
Bhut kaam ki jaankari di hai. Isse bahut logon ka bhala hoga.

राज भाटिय़ा said...

सच मे आप का लेख आंखे खोलने वाला हे, लेकिन लोग सब कुछ जान कर भी इन्ही पख्ण्दियो के चक्कर मे पड जाते हे, वेसे मेने सुना हे कई लोग तो सांप के काटने से ही मर जाते हे डर के मारे, जबकि सांप जहरीला भी नही होता

L.Goswami said...

sahi jankari.aap un 4 sanpo ki taswir aur pahchan bhi bata den sabko labh hoga.khaskar mujhe main jharkhand se hun yhan karait ka bahut aatank hai khaskar patidar karait aur king kobra.