भारत जैसे गरीब देश के लिए अरबों रुपयों का यह तमाशा या वैज्ञानिक आतिशबाजी क्या शक्ति प्रदर्शन का हेतु लिए महज दिखावा हैं। यह सवाल कई लोगों के जेहन में कौंध रहा है .नहीं नहीं यह मौका है भारत को अपनी तकनीकी क्षमता का स्व -आकलन का ,खुद को साबित करने का .
आज नहीं तो निकट भविष्य में ही मानुषों का मंगल पलायन होना ही है -बिना मंगल पर पहुंचे मानवता का मंगल नहीं है यह तथ्य अब विज्ञानी और विज्ञान कथाकार अच्छी तरह समझ गए हैं . हमारे संस्रोत तेजी से ख़त्म हो रहे हैं ,जनसख्या बढ़ रही है -उन्नत देश गरीब देशों को अंगूठा दिखा मंगल पर मंगल मनाने की जुगत में है -ऐसे में भारतवासियों का हर वक्त अपने गरीबी के अरण्य रोदन के बजाय इस मंगल मुहिम को प्रोत्साहित करना चाहिए -यह पूरी मानवता के (भविष्य के ) अस्तित्व के लिए करो या मरो का प्रश्न है .
मुझे लगता है कि चन्द्र बस्तियां बसे न बसे किन्तु मंगल पर मानव बस्तियां निश्चय ही एक हकीकत बनेगीं . मार्स - 1 2 प्रोजेक्ट तो ऐसी किसी सम्भावना को एक दशक के भीतर ही पूरा करने के अभियान पर है . आज मंगल आरोहण पर जाने वाले मंगलयान यानि मार्स आर्बिटर मिशन (मॉम ) का एक मकसद है लाल ग्रह पर मीथेन की उपस्थिति का पता लगाना जो कार्य पहले किसी ने नहीं जांचा परखा . अगर मीथेन की उपस्थिति वहाँ पायी जाती है तो निश्चय ही यह जैवीय पर्यावास के लिए एक शुभ संकेत होगा . चंद्रयान ने जैसे चन्द्रमा पर पानी की पुष्टि का अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत किया है वैसे ही मीथेन की उपलब्धता की मगल पर पुष्टि इस अभियान का एक बड़ा हेतु है .हमारा पड़ोसी चीन अपने मंगल अभियान में अब तक असफल रहा है मगर उसकी कोशिशें जारी है। अपने मगलयान को मंगल पर पहुँचने में दस माह का समय लगेगा . वहाँ पहुँच कर यह उसकी परिक्रमा करता रहेगा और इसके खोजी यन्त्र तथा कैमेरे जरूरी सूचनाएं मुहैया कराते रहेगें .
आज सुबह सुबह ही जब स्वप्निल भारतीय ने अमेरिका से मुझे फेसबुक पर एक तुरंता सन्देश भेजा कि उनके लेख के लिए मैं अपनी त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करूं तो मुझे लगा कि समूची दुनिया भारत के इस अभियान को बड़ी व्यग्रता से देख रही है . याहू के इंडियन साईंस फिक्शन ग्रुप ने भी इस अभियान पर एक चर्चा छेड़ दी है .
शुभकामनाएं भारत -कर दो साबित खुद को!
शुभकामनाएं भारत -कर दो साबित खुद को!
6 comments:
.
.
.
इंतजार तो मुझे भी है, पर इसरो का पिछला रिकॉर्ड और इस प्रोजेक्ट की असहज करती जटिलता मुझे आशावान नहीं होने दे रही... :(
...
वक्त के साथ चलने की जरूरत की अभिव्यक्ति है यह प्रयास। सफलता की मंगलकामना।
अभियान सफल रहा.. हार्दिक बधाई.बढ़िया विचार अभिव्यक्ति...
भगवान् वेन्कटेशवर की आराधना नासा के साइंसदानों ने तिरुपति आकर की है। गीता में मंगल की लालिमा का ज़िक्र है। अभियान सफल अवश्य होगा। समत्व भाव बनाये रखना ज़रूरी है।
Definitely a commendable effort, provided there is no political intentions about the timing.
निर्बाध बढ़ रहा है मंगलयान अपने लक्ष्य की ओर।
Post a Comment