Sunday, 13 March 2011

चाँद : चाहे रहो दूर चाहे रहो पास : फर्क न पड़ेगा कुछ खास

अंतर्जाल पर एक गपोडिये ने यह अफवाह  क्या उड़ा दी कि सुपरमून और सुनामी का रिश्ता है -हिन्दी के कई टी वी चैनेल इसी मुद्दे को लेकर चिचियाना शुरू कर चुके हैं .अब दिन रात यह चिल्ल पों मची हुयी है कि आगामी १९ मार्च को चाँद के धरती से निकटस्थ होने (पेरिगी ) के चलते ही जापान की सुनामी आयी है . दावे हैं कि जब जब भी अतीत में चाँद धरती के सबसे निकट रहा है ऐसी ही आपदाएं ,प्रलयंकारी दृश्य धरती पर दिखे हैं ....आईये मामले की तह में जाते हैं .लेकिन यह पहले ही बताकर कि यह केवल एक बकवास है और चाँद का जापान में आयी सुनामी से कुछ लेना देना नहीं है .और सबसे पहले तो  इस बेसिर पैर  की खबर को  एक  फलित ज्योतिषी ने उडाई थी -उसने एक नया नाम दे दिया -सुपरमून!  जो और कुछ नहीं धरती के सबसे निकट होने पर दिखने वाला  चाँद है जो नया(प्रथमा )  या पूर्णिमा का हो सकता है !

चाँद धरती की परिक्रमा एक अंडाकार पथ में करता है और इस लिहाज से कभी वह धरती के काफी पास और कभी काफी दूर होता है -जब वह बहुत पास होता है तो उस अवस्था को ' perigee '  और दूरस्थ अवस्था को 'apogee ' कहते हैं -पेरिगी पर यह धरती से  354000 किमी और ऐपोजी के समय 410000 किमी दूर हो जाता है ...चूंकि चाँद धरती की परिक्रमा प्रत्येक माह में कर लेता है यह हर पखवारे में इन निकटस्थ और दूरस्थ स्थितियों से गुजरता है ..मगर जब जापान में भूकंप और सुनामी आयी तो चाँद धरती के निकटस्थ कहाँ था? ११ मार्च को तो यह लगभग ४ लाख किमी दूरी पर था मतलब दूरस्थ स्थिति के लगभग करीब -यह तो  आगामी १९ मार्च को यह धरती के सबसे निकट होगा ...फिर दूर के चाँद के गुरुत्व से भला जापान की सुनामी कैसे आयी होगी? 
 चाँद : चाहे रहो दूर चाहे रहो पास : फर्क न पड़ेगा कुछ खास 
बाईं ओर का चाँद धरती के निकटस्थ होने और दायीं ओर का दूरस्थ  होने का अंतर दिखाता है


यह सही है कि चाँद के धरती से सन्निकट होने पर समुद्रों में ज्वार भाटे आते हैं मगर यह स्थति सबसे प्रभावपूर्ण तब होती है जब अन्तरिक्ष में सूर्य ,पृथ्वी और चाँद एक  सीध में आते हैं -इस स्थिति में धरती पर इन आकाशीय पिंडों के गुरुत्व का बल ज्यादा लगता है ....बड़े ज्वार और बड़े भाटे (जल उतार ) आते हैं ....ऐसी स्थितियां नए चन्द्र (प्रथमा /एक्कम ) और पूर्ण चाँद (पूर्णिमा ) के समय होती हैं ...और जब ऐसी स्थितियां चन्द्र -पेरिगी के समय होती हैं तो गुरुत्व का बल धरती पर ज्यादा असरकारी हो जाता है ....मगर इतना  भी नहीं कि सुनामी सी आफत आ जाय ....बस केवल थोडा बड़े ज्वार और भांटे आते हैं जिनसे खौफ खाने की जरुरत नहीं है .

फिल प्लेट जो मेरे पसंदीदा ब्लागर हैं ने इस मामले को अपने ब्लॉग बैड अस्ट्रोनोमी  पर उठाया है और अच्छी तरह से यह समझाया है कि धरती पर चाँद का गुरुत्व इतना अधिक नहीं होता की यहाँ बड़े मौसमी बदलाव आ जाएँ ,भूकम्प और सुनामी आये  या ज्वालामुखियों में विस्फोट हो जाय!तो आगामी १९ मार्च को भी कम से कम चाँद के कारण कुछ नहीं होने वाला है ....हाँ इतनी बड़ी दुनिया में कहीं न कहीं भूकंप भी आएगा और ज्वालामुखी भी फूटेगा मगर यह तो केवल संयोग ही है -चाँद का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है -खुद अपनी धरती  के विकार और मनुष्य की करतूतें इसका कारण भले ही हों ....

14 comments:

ashish said...

ये सत्य है की चाँद के गुरुत्व और सुनामी का कोई सम्बन्ध नहीं है . १८ मार्च को चाँद निहारने के लिए होगा . कविता लिखने के लिए .

प्रवीण पाण्डेय said...

यह सुनामी तो भूकंप जनित थी।

राज भाटिय़ा said...

एक चांद तो मेरे पास भी हे, जिस से कभी कभी थोडी बहुत हलचल हो जाती हे, छोटा मोटा भुकम्पं भी कभी कभी आ जाता हे, यह अलग अलग चांद पर निर्भर करता हे.... कॊई कोई चांद तो सब को हिला कर भी रख देता हे, ओर ऎसा चांद तो अकेला ही विचरता हे कोई भुल ओर गलती से उस के पास पहुच जाये तो जपान जेसा हाल कर देता हे, इस लिये भयंकर चांदो से बच के रहे:) आप की यह रचना बहुत सुंदर लगी,धन्यवाद

Ashish Shrivastava said...

मै इस पर लिखने से बच गया :-)

सतीश पंचम said...

अरविंद जी,

जैसा कि आपने कहा, ये मीडिया वाले कुछ ज्यादा ही खौफ पैदा कर रहे हैं लोगों में....मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है।

एक पहलू ये भी है कि लोग शायद अब सचेत होकर मकान आदि खरीदने और बनवाने के बारे में सोचें कि कैसे भूकंप आदि के समय कम से कम क्षति हो।

बाकी तो ये मीडियात्मक हो हल्ला मचता ही रहेगा।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

दर-असल खबरिया चैनलों के पास इस तरह के बहुत सारे आइटम हैं. जो अपनी झोली से निकाल बाहर करते रहते हैं..

Arvind Mishra said...

@आशीष श्रीवास्तव जी ,
क्या बात है !एक सामान धर्मा की सोच कितनी सकून भरी है -सच है एक सच्चा विज्ञान संचारक सही जानकारी सही समय पर आम लोगों तक पहुँच जाने का हिमायती है -अब तुरत फुरत यह कौन करता है वह स्वयं या कोई और यह बात गौड़ है!
वैसे आपके लिए इससमय करने को बहुत कुछ है -नाभकीय खतरे का मामला भी तो है !

कुमार राधारमण said...

समाचार माध्यम चाहें तो ऐसी खबरों से दूर रहकर भी विज्ञान की सेवा कर सकते हैं।

अभिषेक मिश्र said...

Vartman paridrishya mein aisi hi tathyaparak jaankari ki jarurat thi. Dhanyavad.

डॉ. मनोज मिश्र said...

अच्छी जानकारी,आज -कल लोग चंद्रमा के मुद्दे को ही तूल देने में लगे हैं.

वाणी गीत said...

पेरिगी और ऐपोजी को अच्छी तरह समझाया ...
रोचक विस्तृत जानकारी ...!

रानीविशाल said...

बहुत ही अच्छी और सही जानकारी देती हुई सार्थक पोस्ट के लिए धन्यवाद !
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क्या नाम दें?

विशाल said...

बहुत ही सटीक जानकारी दी आपने.
चाँद पे बेवजह, दाग लगा रहे हैं लोग
सलाम.

Asha Joglekar said...

Perigee aur apogee ise to jante hee na the . Jankari ka shukriya.Chand to kawita likhne ke liye hee hai.